दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का असर संसद के मानसून सत्र पर स्पष्ट तौर से दिखाई दे रहा है। कोविज-19 के बीच 14 सितंबर से शुरू हुए 17वीं लोकसभा का चौथा सत्र के पहले दिन संसद में सब कुछ बदला-बदला नजर आया। संसद परिसर में प्रवेश से लेकर सदन की कार्यवाही तक में हर जगह कोरोना का असर देखा गया। प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और सांसद से लेकर संसद के कर्मचारी तथा सुरक्षाकर्मी फेस मास्क पहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते दिखे।
संसद परिसर के प्रवेश द्वार पर टेम्परेचर चेक किया गया तथा सभी की कोविड टेस्ट की रिपोर्ट देखी गई। सत्र की शुरुआत से पहले करीब 4000 लोगों का कोरोना टेस्ट हुआ। इनमें सांसद, उनके स्टाफ, संसद के कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि अब तक 17 सांसदों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनमें मीनाक्षी लेखी, अनंत कुमार हेगड़े और प्रवेश साहिब सिंह सहित सबसे अधिक सांसद बीजेपी के हैं। वहीं वाईआरएस कांग्रेस के दो और शिवसेना, डीएमके और आरएलपी के एक-एक सांसद भी कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं।
लोकसभा में क्या बदलाव आया है?
- बैठने की व्यवस्था: लोकसभा में सिर्फ 200 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई थी। वहीं 30 सदस्य गैलरी में बैठे थे।बाकी सदस्य राज्यसभा में बैठे थे। लोकसभा में ही एक बड़ा स्क्रीन लगाया गया है, जिसके माध्यम से राज्यसभा में बैठे लोकसभा के सदस्य भी नजर आ रहे थे। राज्यसभा में बैठे सदस्य स्क्रीन के जरिए लोकसभा की कार्यवाही देख रहे थे।
- नहीं हुआ प्रश्नकाल: पहली बार लोकसभा की कार्यवाही में प्रश्नकाल नहीं हुआ। विपक्ष ने इस पर हंगामा किया और इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया।
- सदस्यों को बैठकर बोलने की अनुमति दी गई: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसदों को अपनी सीट पर बैठकर बोलने की अनुमति दी। चार घंटे की कार्यवाही में सभी सांसदों ने बैठकर सवाल-जवाब किए।
- दो गज की दूरी का पालन : लोकसभा में सभी सांसद मास्क और ग्लव्स पहने नजर आए। साथ ही दो गज की दूरी बनाकर सांसद बैठे थे।
लोकतंत्र का गला घोंट रही है सरकारः कांग्रेस
- लोकसभा में प्रश्नकाल नहीं होने को लेकर हंगामा हुआ। कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रश्नकाल सदन की कार्यवाही का अहम हिस्सा है। यह गोल्डन आवर्स है, लेकिन आप कह रहे हैं कि विशेष परिस्थितियों की वजह से इसे नहीं करा सकते हैं। दरअसल, आप लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश कर रहे हैं।
- एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे विपक्षी सांसदों के सवाल पूछने का अधिकार छीनने वाला कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने हमारे सवाल पूछने का अधिकार छीन लिया है। वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि प्रश्नकाल संसदीय प्रणाली के मूलभूत ढांचे से जुड़ा है। इसका प्रमुख अंग है।
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रश्नकाल के मुद्दे पर सरकार का बचाव किया। उन्होंने कहा कि असाधारण परिस्थितियों में संसद की कार्यवाही करनी पड़ रही है। चार घंटे के लिए सदन चलेगा। मैंने अपील की थी कि इसमें प्रश्नकाल न हो। आधे घंटे का एक जीरो आवर हो।
संक्रमण फैलने से रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम…
ससंद में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए रोज छह बार एसी बदले जाएंगे। सांसदों को कोरोना से बचाव के लिए डीआरडीओ की किट मिलेगी। हर किट में 40 डिस्पोजल मास्क, एन95 मास्क, सैनिटाइजर की 20 बोतलें, 40 ग्लब्ज और दरवाजा बंद करने के लिए टच फ्री हुक्स होंगे।