संवाददाता

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः  पार्टी नेतृत्व में बदलाव को लेकर चिट्टी लिखने वाले गुलाम नबी आजाद की कांग्रेस महासचिव पद से छुट्टी हो गई है। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 11 सितंबर को पार्टी की सीडब्ल्यूसी यानी कांग्रेस कार्य समिति में बड़े बदलाव किए। इसके तहत महासचिव पद से गुलाम नबी आजाद, मोतीलाल वोरा, अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और लुइजिन्हो फैलेरियो को हटा दिया गया है।

आपको बता दें कि गुलाम नबी आजाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने सोनिया को चिट्ठी लिखी थी। सात अगस्त को लिखी गई चिट्‌ठी में इस नेताओं ने ‘फुल टाइम लीडरशिप’ की मांग की थी। माना जा रहा है कि ये बदलाव राहुल की ताजपोशी का रास्ता साफ करने के लिए किए गए हैं, क्योंकि चिट्ठी लिखने वाले नेता लीडरशिप में बदलाव चाहते थे।

डीब्ल्यूसी में हुई इस बदलाव में सबसे बड़ा झटका गुलाम नबी आजाद को लगा है। पिछली बार सीडब्ल्यूसी की बैठके में राहुल गांधी के एक कथित बयान का विरोध करने वालों में गुलाम नबी सबसे आगे थे। ऐसी भी चर्चा है कि उन्हें अब राज्यसभा का दोबारा टिकट मिल पाना भी मुश्किल है।

सोनिया के सुझाव पर पार्टी में नेतृत्व में बदलाव के लिए एक समिति गठित की गई थी। छह सदस्यीय इस समिति को  संचालन समिति कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि यह समिति राहुल गांधी की ताजपोशी और पार्टी संगठन में नए बदलावों का रास्ता साफ करेगी। इस समिति में पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, सोनिया गांधी के सबसे भरोसेमंद अहमद पटेल, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक को शामिल किया गया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को सबसे बड़ा प्रमोशन मिला है। वे भी इस कमेटी में शामिल किए गए हैं।

उम्र की वजह से हटाए गए चार नेताः-

गांधी परिवार के सबसे भरोसमंद नेताओं में से एक मोतीलाल वोरा लंबे समय तक पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे हैं, लेकिन अब 92 साल के हो गए हैं। सोनिया गांधी की भरोसेमंद रही अंबिका सोनी  अब 77 साल उम्र हो चुकी है। पिछली लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे 2019 में चुनाव हार गए और  78 साल के हो चुके हैं। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे लुईजिन्हो फलेरियो 69 साल के हो चुके हैं।

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