विदेश डेस्क

प्रखर प्रहरी

मास्कोः पूर्वी लद्दाख में सीमा पर जारी गतिरोध को लेकर भारत ने चीन से स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि वह एलएसी यानी  वास्तविक नियंत्रण रेखा पर से अपने सैनिकों को पीछे हटा कर यथा स्थिति कायम करनी होगी। भारत स्थिति को सामान्य बनाने के लिए बातचीत का पक्षधर है,  लेकिन किसी को भी इसमें तनिक भी संदेह नहीं होना चाहिए कि भारत अपनी राष्ट्रीय संप्रभूता और अखंडता की रक्षा करने के लिए दृढ प्रतिज्ञ है।

पूर्वी लद्दाख में लगभग चार महीने से सीमा पर चल रही तनातनी के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चार सितंबर की रात  रूस की राजधानी मास्को में चीनी रक्षा मंत्री जनरल वी फेंगही से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच लगभ सवा दो घंटे घंटे तक  सीमा पर तनाव और अन्य मुद्दों पर विस्तार से बात हुई । दोनों रक्षा मंत्री एसओसी यानी शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने मास्को गए हैं और यह बैठक एससीओ की बैठक से इतर हुई।

इस दौरान दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। आपको बता दें कि भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की  सीमा पर चल रहे तनाव के दौरान पहली मुलाकात है और नी रक्षा मंत्री के अनुरोध पर हुई थी। इस दौरान राजनाथ ने कहा कि चीनी सैनिकों का जमावड़ा , उनका आक्रामक व्यवहार और यथा स्थिति बदलने की कोशिश दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है। यह गतिरोध को खत्म करने को लेकर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में बनी सहमति के अनुरूप भी नहीं है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारतीय सैनिकों का सीमा प्रबंधन के बारे में हमेशा जिम्मेदारीपूर्ण रूख रहा है,  लेकिन इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि भारत अपनी राष्ट्रीय संप्रभूता और अखंडता की रक्षा करने के लिए दृढ प्रतिज्ञ है।

उन्होंने कहा कि दोनों देशों को राजनीतिक नेतृत्व के बीच बनी उस सहमति के अनुसार कार्य करना चाहिए,  जिसमें कहा गया है कि द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए सीमा पर शांति बनाये रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि चीन को भारत के साथ बातचीत कर पेगोंग झील समेत टकराव वाले सभी क्षेत्रों से अपने सैनिकों को वापस हटाना चाहिए और द्विपक्षीय समझौतों तथा संधियों के अनुरूप सीमा पर तनाव कम करना चाहिए। चीन को एलएसी का सम्मान करना चाहिए और एकतरफा यथा स्थिति को बदलने की कोशिश    से बाज आना चाहिए।  उन्होंने कहा कि दोनों देशों को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे स्थिति जटिल बने और तनाव बढे।

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