दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत रत्न प्रणव मुखर्जी जी के निधन को पूरे देश के लिए बेहद दुखद बताया है।  उन्होंने कहा है कि प्रणव दा कई दशकों तक भारतीय राजनीति के क्षितिज में प्रणव की तरह ही कांतिमान रह कर काम करते रहे। उन्होंने निरंतर राष्ट्र को मजबूत करने का काम किया। चाहे पक्ष हो या विपक्ष वह हमेशा सबको साथ लेकर चले। एक सांसद के तौर पर प्रणव दा के भाषणों ने अच्छी बहस के साथ ही देश को नई दिशा देने का काम किया है।

शाह ने आज ने टि्वटर पर एक वीडियो पोस्ट किया, और लिखा पीएम  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल हुआ और प्रणव दा को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा,  “ विपक्ष में रहकर नीति की कटु आलोचना हो या स्वयं नीति निर्धारक दोनों में ही प्रणव दा का कौशल बखूबी दिखाई देता था। इतने लंबे और सुदृद करियर में वित्त, विदेश, रक्षा और वाणिज्य सहित अनेक मंत्रालयों पर प्रणव दा की अमिट छाप देखी जा सकती है।”  उन्होंने कहा कि बिना किसी त्रुटि के सार्वजनिक जीवन में इतना लंबा योगदान देना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। प्रणव दा को सबको साथ रखने की कला में महारत हासिल थी। जब वह सत्ता में थे, तो हमेशा विपक्ष के साथ तालमेल बैठाने के लिए काम करते रहे और जब विपक्ष में रहे तो एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने से भी कभी पीछे नहीं हटे।”

गृहमंत्री ने कहा,  “प्रणव दा ने कांग्रेस को अपनी सेवा का माध्यम बनाते हुए  लंबे समय तक भारतीय राजनीति में अमूल्य योगदान दिया, इसे समृद्ध किया और इसका बहुत ही अच्छा मार्गदर्शन किया। मुझे लगता है कि उनका यह योगदान राजनीति में आने वाले हर युवा के लिए प्रेरणादायी रहेगा।”  उन्होंने कहा कि प्रणव दा जब भारत के राष्ट्रपति बने तो राष्ट्रपति पद की गरिमा बढ़ाने में भी उन्होने कोई कसर नहीं छोड़ी। राष्ट्रपति भवन को आम आदमी के लिए खोलना उनका एक बहुत बड़ा फैसला था। प्रणव दा ने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए देश तथा विदेश में अपनी विद्वता और अभ्यासू स्वभाव तथा इतिहास तथा अंतरराष्ट्रीय  मामलों के अपने ज्ञान के माध्यम से हमेशा राष्ट्र का सम्मान बढ़ाया।” उन्होंने कहा कि प्रणव दा अब हमारे बीच नहीं हैं और  उनकी कमी  सब को हमेशा खलेगी। उन्होंने प्रणव दा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए  कहा , “ईश्वर प्रणब दा की आत्मा को शांति दे और उनके परिजनों को इस विकट दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। ॐ शांति शांति शांति।”

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