बॉलीवुड में ऐसा गिरोह काम करता है, जो भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त है। कई बड़े नामचीन फिल्म अभिनेताओं और निर्माताओं का नाम दाऊद इब्राहिम से बीते दशकों में जुड़ा है। कई तो ऐसे हैं,जिन्होंने दाउद की पार्टी में जाने से लेकर उससे मुलाकात और फोन पर हुई बात को स्वीकार भी किया है। मौजूदा दौर में सिर्फ दाउद ही नहीं कई ऐसे निवेशक बॉलीवुड से जुड़े हैं जो छोटे बड़े बजट की फिल्मों को फाइनेंस करते हैं और फिल्मों के जरिए भारत की संस्कृति और सामाजिक परिवेश में जहर घोलते हैं।

एक समय बालीवुड में पारिवारिक कलह पर कई फिल्में बनीं। जब भारत में संयुक्त परिवार का दौर जाता रहा तो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और पति-पत्नी के बीच दरार की कहानियां खूब लिखीं गईं। मौजूदा दौर में लिविंग रिलेशन और उन्मुक्त समाज की एक कथाकारी की गई, जिसने ना सिर्फ सामाजिक वर्जनाओं की धज्जियां उड़ा दीं बल्कि प्रेम की असीमित शक्ति को सिर्फ शारिरिक हवस तक सीमित कर दिया। सिर्फ इतना ही नहीं आइटम सांग के नाम पर फूहड़ गाने , अश्लील डांस और किरदारों के ऐसे नाम और कारनामे दिखाए जाने लगे, जिससे ना सिर्फ बहुसंख्यक हिंदू आबादी का मनोबल टूटे बल्कि नई पीढ़ी की कामोत्जेना सामाजिक अपराध में बदल जाए।
शाहरुख, सलमान, आमिर और सैफ अली खान बीते तीन दशक से बॉलीवुड पर कुछ ऐसे छाए रहे कि इन्हें भारत के बुद्धिजीवियों और महान दार्शनिक आइकॉन की तर्ज पर पेश किया जाने लगा।
इस तरह के सस्ते आइकॉन बना कर उनका फायदा लेने में देश के राजनीतिक दल भी पीछे नहीं रहे। चूंकि फिल्म स्टार्स की अपनी फैन फॉलोइंग होती है और उसमें अगर सियासी दार्शनिक सोच का घालमेल कर दिया जाए तो देश की बहुतायत जनता को गुमराह करना और आसान हो जाता है।

चारों खान बीते दशक में कांग्रेस नेतृत्व के बेहद करीब रहे। शाहरुख और राहुल कई मौंकों पर साथ दिखे। आमिर खान को सत्यमेव जयते नाम के टेलीवीजन सीरियल के जरिए आम जनता के बीच इन्टलेक्चुअल क्लास का आइकॉन दिखाने की कोशिश की गई। दूसरी तरफ सैफ अली खान ने अपनी पहली पत्नी अमृता को छोड़ करीना के साथ मोहब्बत का ऐसा खेल खेला जिसे लव जेहाद का आधुनिक संस्करण कहा जाए तो गलत नहीं होगा। मुस्लिमों द्वारा हिंदू लड़कियों को भगाने के मामलों ने उस दौर में खासी तेजी पकड़ी। उधर सलमान खान हिरन मारकर कौम की ताकत का मुजायरा करते रहे। जेल जाकर जब जब सलमान की तस्वीरें बाहर बाहर आईं तब तब उनके कारनामों का जिक्र कम हुआ और उनके लुक की चर्चा गली गली छिड़ गई। ये उदाहरण बताते हैं किस तरह मुस्लिम किरदारों को ना सिर्फ बॉलीवुड में स्थापित किया गया बल्कि उन्हें समाज के बीच मीठा जहर घोलने का जिम्मा भी सौंपा गया।

बॉलीवुड की इस मुस्लिम लॉबी की कारगुजारियों को अगर और करीब से समझना हो तो याद कीजिए 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में असहिष्णुता के राग को सबसे तेज सुर में किन लोगों ने गाया था। आमिर खान का कहना था कि उनकी दूसरी या तीसरी हिंदू बीबी को भारत में डर लगने लगा है। इस बयान के ठीक बाद आमिर को टाटा स्काई के विज्ञापन तक से बाहर कर दिया गया था। उस दौर में आमिर खान के साथ लगी लॉबी उन्हें देश के बड़े चिंतकों में शुमार कराने में लगी थी जबकि हकीकत किसी से छिपी नहीं है। 2014 के बाद से शाहरुख खान की कोई एक फिल्म बताइये जिसने ढंग का कारोबार किया हो। अपने पूरे फिल्म करियर में स्वदेश और चक दे इंडिया को छोड़ दें तो शाहरुख हमेशा दूसरे की महबूबा या बीबी को लेकर भागे ही हैं। शाहरुख खान ने आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स का मालिक बनकर बड़े पैमाने पर हेराफेरी की है। मुंबई में उनकी कंपनी पर देश की बड़ी जांच एजेंसियों ने रेड भी डाली थी लेकिन कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए की सरकार में अपनी पहुंच और पकड़ से शाहरुख ने सारे मामले दबवा दिए। आज तक उन मामलों पर बर्फ ही जमी है।

सलमान खान के अन्डरवर्ल्ड से रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। सलमान के पिता सलीम खान पर्दे के पीछे रहकर अपने बच्चों की कारगुजारियों पर पर्दा डालने का ही काम करते हैं। सलमान ने कई बार अपने बयानों से संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल खड़े किये हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बॉलीवुड के कई कलाकारों, गायकों और अन्य विधाओं से जुड़े लोगों के करियर बर्बाद करने में अपनी पूरी ताकत लगाई है। अभिषेक बच्चन, विवेक ओबरॉय, हिमेश रेशमिया जैसे सितारे सलमान खान का शिकार हुए। कहते तो यहां तक हैं कि अन्डरवर्ल्ड से अपने रिश्तों के दम पर सलमान ने संजय दत्त को भी चुनौती दे दी थी लेकिन संजय दत्त उनसे ज्यादा पकड़ वाले निकले और सलमान को संजय के सामने झुकना पड़ा।

सिर्फ खान ही क्यों इमरान हाशमी को मत भूलिए। अश्लीलता और फूहड़ता की सीमाएं पार करने वाले इस कलाकार ने अपनी फिल्मों में सिर्फ सेक्स परोसा है। निर्माता निर्देशक महेश भट्ट भी देश के उन महान बुद्धिजीवियों में अपनी गिनती कराने का कोई मौका नहीं छोड़ते जिससे देश की सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवस्था छिन्न भिन्न होती हो। महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट के तार तो मुंबई हमले के मुख्य आरोपी आतंकी डेविड कोलमेन हेडली से जुड़े थे। उसी के बाद महेश भट्ट थोड़ा बैकफुट पर गए और मामले को मैनेज किया। लेकिन उसके बाद कभी अपनी बेटी से शादी करने की इच्छा तो कभी उनकी बेटियों की अश्लील तस्वीरें जहां तहां वायरल होती रहती हैं और महेश भट्ट अपने बयानों से उसे सही ठहराने की कोशिश करते हैं।

कई मौकों पर ऐसा देखा गया है कि भारत में सामने से देखने पर बड़े बड़े फिल्म स्टार्स से लेकर फिल्म मेकर्स तक आपको हिंदू नाम से काम करते मिल जाएगें लेकिन इनके पीछे जो लोग बैकिंग करते हैं वो मुस्लिमों की बहुत बड़ी लॉबी है। फिल्म की स्क्रिप्ट से लेकर कलाकारों के चयन और फिल्म निर्माण से जुड़े तमाम छोटे बड़े कामों में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी और भागीदारी बढ़ी है। अब बॉलीवुड में काम करने वाले मुस्लिम कौम के जेहादी बड़े नेताओं के परिवार की लड़कियों को भी अपने जाल में फंसा रहे हैं। ज्यादा दिन नहीं बीते जब बीजेपी के एक बड़े नेता की भतीजी से मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में छोटा मोटा काम करने वाले मुस्लिम बिरादरी के एक लड़के ने अपने जाल में फंसाया और उससे शादी कर ली। उसके रिसेप्शन में लखनऊ के ताज होटल में कई नामी गिरामी लोग पहुंचे थे। हालांकि इस घटना के कुछ दिन बाद ही पार्टी संगठन से उस नेता की विदाई कर दी गई। सिर्फ इतना ही नहीं टेलीवीजन के टैलेंट हंट कार्यक्रमों में जो प्रतियोगी जीते उनमें से ज्यादातर लड़कियों को बॉलीवुड में तेजी से काम मिला और उसके बाद किसी ना किसी मुस्लिम ने ही उससे शादी की और साल दो साल में तलाक दे दिया। सुनिधि चौहान इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। 18 साल की उम्र में सुनिधि की शादी बाबी खान नाम के शख्स से 2002 में हुई और 2003 में तलाक हो गया। इस दौरान एक बच्चा भी हो गया।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत भले आत्महत्या कही जा रही हो, लेकिन हत्या और आत्महत्या के बीच झूलती ये मिस्ट्री बॉलीवुड की इसी मुस्लिम लॉबी की देन है। कहा जा रहा है कि सलमान खान ने इस उभरते सितारे को तीन बड़ी फिल्मों से बाहर करवा दिया। करन जौहर, एकता कपूर, फरहा खान और इन जैसे बहुत सारे फिल्म प्रोड्यूसर और मेकर चारों खान के साथ मिलकर एक ऐसा गैंग चला रहे हैं जिसके तार देश की सीमाओं से बाहर भारत के दुश्मनों से जुड़े हैं। बीते एक दशक में बॉलीवुड में जो हिंदू कलाकार आए उन्हें किसी ना किसी तरह से डंप करने की कोशिश की गई। इससे पहले गोविंदा जैसे कलाकारों ने बॉलीवुड में अपनी जगह जरुर बनाई लेकिन कलई तब खुली जब गोविंदा के डी कंपनी से रिश्ते उजागर हुए। नाम बदनाम होने लगा तो कांग्रेस के टिकट पर उन्हें चुनाव लड़ने का मौका दिया गया और बहुत सारे सवाल किनारे लगा दिए गए।
और छोड़िये जनाब हालही में अमिताभ बच्चन ने फ्लाइट से मजदूरों-श्रमिकों को भेज कर मीडिया में खूब वाहवाही लूटी। लखनऊ में उतरी ऐसी ही एक फ्लाइट से जो लोग एयरपोर्ट से बाहर आए वो ना तो श्रमिक लग रहे थे और ना ही कामगार मजदूर। रंगबिरंगे बुरका पहने कई महिलाएं एयरपोर्ट पर अपने बच्चों को संभालती नजर आईं।

शेखर आनंद त्रिवेदी, लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं टिप्पणीकार हैं।

यह लेखक के निजी विचार हैं।

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