संवाददाताः संतोष कुमार दुबे
दिल्लीः दिल्ली सरकार ने विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को शराब नीति से संबंधित CAG यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को पेश कर दिया। CAG की रिपोर्ट को CM रेखा गुप्ता ने सदन में रखा। उधर, LG वीके सक्सेना ने कहा कि पिछली सरकार ने इस रिपोर्ट को रोककर रखा था और सदन में नहीं रखा। उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने संविधान का खुलेआम उल्लंघन किया।
आरोप बता दें कि CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि नई शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2002 करोड़ रुपए ज्यादा का राजस्व घाटा हुआ। पॉलिसी कमजोर थी और लाइसेंस प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई। एक्सपर्ट पैनल ने पॉलिसी में कुछ बदलाव के सुझाव दिए थे, जिन्हें तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया। आइए अब आपको CAG रिपोर्ट की कुछ अहम बिंदुओं को बताते हैं…
दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व घाटाः CAG की रिपोर्ट के अनुसार, AAP सरकार की शराब नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2,002.68 करोड़ रुपये का भारी राजस्व घाटा हुआ। इस घाटे के कई कारण थे। गैर-अनुरूप वार्डों में खुदरा दुकानें न खोलने से 941.53 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सरेंडर किए गए लाइसेंसों को दोबारा टेंडर न कर पाने से 890 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। कोविड-19 का हवाला देते हुए आबकारी विभाग की सलाह के विरुद्ध क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों को शुल्क में छूट देने से 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों से उचित सुरक्षा जमा राशि एकत्र न करने से 27 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
लाइसेंस उल्लघंनः CAG की रिपोर्ट में लाइसेंस उल्लंघन की भी बात सामने आई। नई शराब नीति में दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 35 को लागू नहीं किया गया। इसके कारण विनिर्माण में रुचि रखने वाले थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के साथ संबंध रखने वाले थोक विक्रेताओं को लाइसेंस दे दिए गए। सरकार ने दिवालियापन, ऑडिटेड वित्तीय विवरण, बिक्री डेटा और अन्य राज्यों में घोषित थोक मूल्य, आपराधिक पृष्ठभूमि सत्यापन जैसे आवश्यक मानदंडों की जांच किए बिना लाइसेंस जारी किए।
थोक विक्रेताओं का मार्जिन दोगुने से ज्यादा किया गयाः CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि थोक विक्रेता मार्जिन को 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया। ऐसा यह कहकर किया गया कि गोदामों में सरकार द्वारा अनुमोदित लैब की स्थापना से जुड़ी गुणवत्ता जांच प्रणाली की भरपाई करना जरुरी था। हालांकि, कोई लैब स्थापित नहीं की गईं। इस प्रकार, थोक लाइसेंसों का लाभ मार्जिन बढ़ गया, जबकि राजस्व कम हो गया।
कोई स्क्रीनिंग नहीं, अग्रिम लागतों की अनदेखी की गईः CAG की रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन AAP सरकार ने सॉल्वेंसी, वित्तीय विवरणों और आपराधिक रिकॉर्ड पर उचित जांच किए बिना खुदरा शराब लाइसेंस दिए। शराब क्षेत्र चलाने के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक के शुरुआती निवेश की आवश्यकता थी, फिर भी कोई योग्यता वित्तीय मानदंड निर्धारित नहीं किया गया था। इस प्रकार वित्तीय रूप से कमजोर संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए। कई बोलीदाताओं ने पिछले 3 सालों में न्यूनतम से शून्य आय की रिपोर्ट की। ये उपाय प्रॉक्सी स्वामित्व का सुझाव देते हैं, जो राजनीतिक पक्षपात और पिछले दरवाजे के सौदों के बारे में सवाल उठाते हैं।
एक्सपर्ट्स की सिफारिशों की अनदेखी की गईः CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि आप सरकार ने 2021-22 की आबकारी नीति का ड्राफ्ट तैयार करते समय अपनी ही एक्सपर्ट्स समिति की सिफारिशों की अनदेखी की। इसका कोई औचित्य भी दर्ज नहीं किया गया।
पारदर्शिता की कमी, एक कारोबारी को 54 शराब चलाने की इजाजत दी गईः CAG की रिपोर्ट के अनुसार शराब नीति में पारदर्शिता की कमी थी। नीति ने एक आवेदक को 54 शराब की दुकानों तक संचालित करने की अनुमति दी, पहले सीमा 2 थी। इससे एकाधिकार और कार्टेलाइजेशन का मार्ग प्रशस्त हुआ। पहले, सरकारी निगम 377 खुदरा दुकानों का संचालन करते थे, जबकि 262 निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित की जाती थीं। नई नीति ने 849 दुकानों के साथ 32 खुदरा क्षेत्र बनाए। लेकिन केवल 22 निजी संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए।
कुछ खास ब्रांड को बढ़ावा दिया गयाः CAG की रिपोर्ट के अनुसार आप की नीति ने निर्माताओं को एक ही थोक विक्रेता के साथ गठजोड़ करने के लिए मजबूर किया। इससे कुछ थोक विक्रेताओं को आपूर्ति श्रृंखला पर हावी होने की अनुमति मिली। 367 पंजीकृत IMFL ब्रांडों में से, 25 ने दिल्ली में कुल शराब की बिक्री का लगभग 70% हिस्सा लिया। केवल तीन थोक विक्रेताओं (इंडोस्पिरिट, महादेव लिकर और ब्रिडको) ने 71% से अधिक आपूर्ति को नियंत्रित किया। इन तीनों के पास 192 ब्रांडों के लिए विशेष आपूर्ति अधिकार भी थे। जो प्रभावी रूप से यह तय करते थे कि कौन सा ब्रांड सफल होगा या विफल। इससे शराब की कीमत को बढ़ाया जा सकता है।
कैबिनेट और एलजी की मंजूरी नहीं ली गईः CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन दिल्ली सरकार ने महत्वपूर्ण राजस्व प्रभाव वाले प्रमुख छूट और छूट कैबिनेट की मंजूरी के बिना या एलजी से परामर्श किए बिना दी गईं। यह कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।
कई इलाकों में अवैध रूप से शराब की दुकानें खोली गईंः CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि AAP सरकार के के आबकारी विभाग ने MCD या DDA से अनिवार्य अनुमोदन के बिना कई क्षेत्रों में शराब की दुकानों को मंजूरी दी। निरीक्षण टीमों ने जोन 23 में 04 दुकानों को गलत तरीके से कमर्शियल क्षेत्रों में घोषित किया। कुछ मामलों में आवेदकों ने खुद स्वीकार किया कि दुकानें आवासीय / मिश्रित भूमि उपयोग क्षेत्रों में थीं। फिर भी लाइसेंस जारी किए गए। इन उल्लंघनों के कारण, 2022 की शुरुआत में MCD द्वारा सभी चार अवैध शराब की दुकानों को सील कर दिया गया था। इससे साबित होता है कि उचित प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया गया था।
शराब की कीमत में भी पारदर्शिता नहींः CAG की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली आबकारी विभाग ने एल 1 लाइसेंसधारियों को महंगी शराब के लिए अपनी खुद की एक्स-डिस्टिलरी कीमत (ईडीपी) तय करने की अनुमति दी, जिससे कीमतों में हेरफेर हुआ।
परीक्षण नियमों का भी हुआ उल्लंघनः CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी विभाग ने लाइसेंस तब भी जारी किए, जब गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्टें गायब थीं या भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मानदंडों का अनुपालन नहीं कर रही थीं। विदेशी शराब के 51% परीक्षण मामलों में, रिपोर्टें या तो 1 वर्ष से पुरानी थीं, गायब थीं, या उन पर कोई तारीख नहीं थी। जो बड़ी लापरवाही को दर्शाता है।
तस्करी रोकने के लिए नहीं की गई जरूरी कार्रवाईः CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी खुफिया ब्यूरो यानी EIB तस्करी के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई करने में विफल रही। खासकर देशी शराब की, जो जब्त किए गए स्टॉक का 65% हिस्सा थी। उन्होंने सक्रिय कार्रवाई करने के बजाय केवल जब्ती दर्ज की। FIR एनालिसिस से कुछ क्षेत्रों में बार-बार तस्करी के पैटर्न का पता चला। फिर भी सरकार कार्रवाई करने में विफल रही। जो लापरवाही या संभावित मिलीभगत का संकेत है।
अवैध शराब व्यापार को बढ़ावा दिया गयाः CAG की रिपोर्ट के अनुसार आबकारी विभाग ने खंडित और बुनियादी रिकॉर्ड बनाए रखे। जिससे राजस्व घाटे या तस्करी के पैटर्न को ट्रैक करना असंभव हो गया। आपूर्ति प्रतिबंधों, सीमित ब्रांड विकल्पों और बोतल के आकार की बाधाओं के कारण, अवैध देशी शराब का व्यापार फल-फूल रहा था।
नियमों का उल्लंघन करने वाले शराब कारोबार लाइसेंसधारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गईः CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी कानूनों का उल्लंघन करने वाले शराब लाइसेंसधारियों को दंडित करने में AAP सरकार विफल रही। आबकारी छापे मनमाने ढंग से किए गए, जिससे कोई असर नहीं हुआ। सबूत एकट्ठा करने और पुष्टि करने में विफलता ने उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ मामलों को कमजोर कर दिया। रिपोर्ट गलत थीं, और कारण बताओ नोटिस भी गलत तरीके से तैयार किए गए थे।
सुरक्षा लेबल परियोजना को दर किनार किया गयाः CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि लेबल की सुरक्षा बढ़ाने के लिए आबकारी चिपकने वाले लेबल की परियोजना को लागू नहीं किया जा सका। जिससे आपूर्ति श्रृंखला धोखाधड़ी के लिए असुरक्षित हो गई। धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए आधुनिक डेटा एनालिटिक्स और AI का उपयोग करने के बजाय, AAP की आबकारी नीति पुराने और अप्रभावी ट्रैकिंग तरीकों पर निर्भर थी।
संविधान का उल्लंघन कियाः मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विधानसभा में दिल्ली की शराब नीति-2024 से जुड़ी सीएजी रिपोर्ट पेश की। इसके बाद दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा, “यह जानकर हैरानी होती है कि 2017-18 के बाद सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की गई है। इस संबंध में तत्कालीन विपक्ष के नेता यानी मैंने और पांच अन्य विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष, तत्कालीन मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से रिपोर्ट पेश करने का अनुरोध किया था। राज्य की वित्तीय स्थिति जानने के लिए यह बहुत जरूरी था। दुर्भाग्य से सीएजी रिपोर्ट पेश नहीं की गई और पिछली सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया।”
इससे पहले सदन में विपक्षी पार्टी AAP के विधायकों ने ने CM हाउस में भगत सिंह और डॉ. भीम राव अंबेडकर की तस्वीर के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया। LG वीके सक्सेना जब भाषण दे रहे थे, तब आप विधायकों ने मोदी-मोदी की नारेबाजी की। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष आतिशी समेत AAP के विधायकों को 03 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया।
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने विधानसभा का सत्र 02 दिन के लिए बढ़ा दिया है। यानी अब सत्र 28 फरवरी और 01 मार्च को भी चलेगा। इससे पहले सत्र 03 दिन यानी 24, 25 और 27 फरवरी तक ही चलाने की जानकारी सामने आई थी। 26 फरवरी को शिवरात्रि की वजह से छुट्टी है।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा है कि विधानसभा में जो आबकारी ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई है। इसके सात अध्याय 2017-21 की आबकारी नीति पर हैं। एक अध्याय नई आबकारी नीति पर है। दिल्ली सरकार ने पुरानी आबकारी नीति की खामियों और भ्रष्टाचार को दिल्ली की जनता के सामने उजागर किया था। उस नीति के तहत हरियाणा और यूपी से अवैध रूप से शराब लाई जाती थी। यह रिपोर्ट वही बात दोहरा रही है जो हमने कहा था कि पुरानी नीति के कारण दिल्ली की जनता को घाटा हो रहा है। इस नीति से यह स्पष्ट होता है कि पुरानी नीति को हटाकर AAP सरकार ने सही फैसला लिया।
उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के आठवें अध्याय में कहा गया है कि नई नीति पारदर्शी थी, इसमें कालाबाजारी रोकने के उपाय थे और इसके जरिए राजस्व में वृद्धि होनी चाहिए थी। जब यही नीति पंजाब में लागू की गई, तो वहां आबकारी राजस्व में वृद्धि हुई। इस नीति के कारण 2021 से 2025 तक राजस्व में 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट कहती है कि अगर नई नीति सही तरीके से लागू होती, तो राजस्व एक साल में ही 4,108 करोड़ से बढ़कर 8,911 करोड़ हो जाता। यह नई नीति लागू नहीं की गई, इसलिए 2,000 करोड़ रुपए कम राजस्व आया। इसकी जांच होनी चाहिए कि इसे किसने लागू नहीं होने दिया। इसके लिए तीन लोग जिम्मेदार हैं- दिल्ली LG, CBI और ED। यह नीति स्पष्ट करती है कि आप सरकार ने पुरानी नीति को हटाकर सही निर्णय लिया। हम मांग करते हैं कि इस CAG रिपोर्ट के आधार पर FIR दर्ज कर जांच कराई जाए और कार्रवाई की जाए।
आतिशी के मुताबिक इस रिपोर्ट ने हमारी बात को पुख्ता कर दिया कि शराब की बिक्री में भ्रष्टाचार था। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि 28 प्रतिशत से ज्यादा भ्रष्टाचार ठेकेदारों द्वारा किया जा रहा था और पैसा दलालों की जेब में जा रहा था। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि शराब की कालाबाजारी हो रही थी। सबको पता था कि शराब के ठेके किस पार्टी के लोगों के पास हैं। शराब के ठेकेदारों ने लागत मूल्य की गलत गणना करके मुनाफा कमाया।