संवाददाताः संतोष कुमार दुबे
दिल्लीः कांग्रेस बीजेपी का पड़ोगी बन गई है। जी हां कांग्रेस मुख्यालय का पता बदल गया है अब कांग्रेस मुख्यालय का पता इंदिरा गांधी भवन’ 9A, कोटला रोड, नई दिल्ली है, जो बीजेपी मुख्यालय से चंद कदमों की दूरी पर स्थित है। सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी के अन्य नेताओं के साथ बुधवार को इसका उद्घाटन किया।
आपको बता दें कि करीब 47 साल बाद कांग्रेस ने अपना पता बदला है। इससे पहले पुराना ऑफिस 24, अकबर रोड था। नए ऑफिस की आधारशिला 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने रखी थी।
कांग्रेस मुख्यालय से 500 मीटर दूर बीजेपी का मुख्यालय है। कांग्रेस के नये मुख्यालय को बनाने में 252 करोड़ रुपए लगे। बीजेपी का दफ्तर डेढ़ साल में बना था। कांग्रेस नेता कमलनाथ ने 2019 में कहा था कि बीजेपी मुख्यालय 700 करोड़ में बना है।
आपको बता दें कि बीजेपी देशभर में 768 ऑफिस बना रही है। इनमें से 563 ऑफिस बनकर तैयार हैं, जबकि 96 पर काम चल रहा है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले साल अगस्त में इसकी जानकारी दी थी।
इस बारे में सवाल करने पर कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डिनेटर अमरीश रंजन ने बताया कि दिल्ली के अलावा, हर राज्य और जिले में पार्टी दफ्तर हैं। कुछ ब्लॉक ऑफिस भी हैं, लेकिन उन्हें नंबर नहीं पता।
कांग्रेस के नए ऑफिस का मेन एंट्रेंस सामने नहीं, बल्कि पीछे के दरवाजे से है। इसकी वजह बीजेपी है। दरअसल, ऑफिस का फ्रंट एंट्रेंस दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर है। ऐसे में एड्रेस पर यह नाम आता, इसलिए पार्टी ने फ्रंट एंट्रेंस के बजाय बैकडोर एंट्री यानी पिछले दरवाजे से एंट्रेंस चुना, जो कोटला रोड पर खुलता है।
हाइटेक सिक्योरिटी, जानेंकितना भव्य है नया मुख्यालयः
इंदिरा भवन में 6 फ्लोर हैं और दावा किया गया है कि इसकी इमारत इकोफ्रेंडली है। इसमें कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेताओं के मॉन्यूमेंट्स लगाए जाएंगे। पहले फ्लोर पर कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यालय होगा। इसमें कांग्रेस के विंग जैसे- महिला, युवा कांग्रेस और NSUI समेत पार्टी से जुड़े अलग-अलग संगठनों के भी ऑफिस होंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा के साथ हाईस्पीड इंटरनेट और तकनीक के मामले में यह काफी आगे है।
इसमें बड़े मीटिंग हॉल के साथ लाइव टेलीकास्ट की सुविधा और मीडिया कॉन्फ्रेंस सेंटर के लिए अलग जगह बनाई गई है। यहां के डिजाइन आर्काइव में पार्टी के ऐतिहासिक दस्तावेज, पुराने और भाषण और तस्वीरें मिलेंगी। रिसर्च के लिए बड़ी लाइब्रेरी बनाई गई है। सुरक्षा को देखें तो हाइटेक CCTV कैमरे के साथ मॉडर्न सिक्योरिटी के इंतजाम किए गए हैं। इसके अलाव कैफेटेरिया, रेस्टिंग लाउंज भी इसका हिस्सा हैं। छतों पर सोलर पैनल और ग्रीन एरिया के साथ यहां पार्किंग और लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था भी की गई है।
आपको बता दें कि 70 के दशक में कांग्रेस का ऑफिस डॉ. राजेंद्र प्रसाद रोड पर था। इसका एड्रेस 3, रायसीना रोड था। इसके ठीक सामने 6, रायसीना रोड पर अटल बिहारी वाजपेयी रहा करते थे, इसलिए कांग्रेस ने यहां भी बैकडोर एंट्री चुनी थी।
1978 में कांग्रेस में टूट के बाद ऑफिस पार्टी सांसद जी वेंकटस्वामी को अलॉट बंगले 24, अकबर रोड में शिफ्ट किया गया था। तब से अब तक यह कांग्रेस मुख्यालय का पता रहा।
बर्मा हाउस बना कांग्रेस का लकी चार्म 24: अकबर रोड कभी इंडियन एयरफोर्स के चीफ का घर हुआ करता था। इसके अलावा यह इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की पॉलिटिकल सर्विलांस विंग का ऑफिस भी रहा। उससे पहले यह बंगला बर्मा हाउस के नाम से जाना जाता था।
बंगले को यह नाम पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था। दरअसल, इसी बंगले में म्यांमार की भारत में राजदूत डॉ. खिन काई रहती थीं। वे म्यांमार की आयरन लेडी कही जाने वाली आंग सान सू की की मां थीं और करीब 15 साल तक आंग के साथ इस बंगले में रही थीं।
इंदिरा ने जब 24, अकबर रोड को कांग्रेस मुख्यालय के तौर पर चुना था, तब पार्टी काफी मुश्किलों से जूझ रही थी। लेकिन यह ऑफिस कांग्रेस और इंदिरा दोनों के लिए काफी लकी साबित हुआ।
1980 के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौटी। यह ऑफिस चार प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह का गवाह रहा।
14 जनवरी: पुराने ऑफिस पर आखिरी बार पार्टी का झंडा उतारा गया
पुराना ऑफिस नहीं छोड़ेगी कांग्रेस: सूत्रों के मुताबिक नए ऑफिस में शिफ्ट होने के बाद भी कांग्रेस अपना पुराना ऑफिस खाली नहीं करेगी। यहां बड़े नेताओं का उठना-बैठना होता रहेगा। कांग्रेस से पहले भाजपा ने भी दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित नए ऑफिस में शिफ्ट होने के बाद भी अपना पुराना ऑफिस 11, अशोक रोड नहीं छोड़ा है।
केंद्र सरकार ने 2015 में कांग्रेस को दिए गए चार बंगलों का आवंटन रद्द किया था। इसमें 24, अकबर रोड भी शामिल था। इसके अलावा 26 अकबर रोड (कांग्रेस सेवा दल ऑफिस), 5-रायसीना रोड (यूथ कांग्रेस ऑफिस) और C-II/109 चाणक्यपुरी (सोनिया गांधी के सहयोगी विन्सेंट जॉर्ज को आवंटित) का आवंटन भी रद्द कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने लुटियंस जोन में भीड़-भाड़ की वजह से सभी पार्टियों को अपना दफ्तर बदलने का निर्देश दिया था। इसके बाद सबसे पहले भाजपा ने 2018 में दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर अपना ऑफिस बनाया।
9 दशकों में कितनी बार बदला कांग्रेस का मुख्यालय?
पिछले 90 सालों के इतिहास में कांग्रेस का मुख्यालय कई बार बदला है. मोतीलाल नेहरू के दौर में कांग्रेस का मुख्यालय इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ करता था. साल 1930 में नया भवन बनवाया जिसे आनंद भवन के नाम से जाना गया है. इससे जुड़े स्वराज भवन का इस्तेमाल कांग्रेस के मुख्यालय के तौर पर होने लगा.
देश में आजादी के दौर तक कांग्रेस का मुख्यालय प्रयागराज में था। फिर 1947 में देश को आजादी मिलने के चंद रोज पहले मुख्यालय की जगह बदली और इसे दिल्ली शिफ्ट किया गया। मुख्यालय का नया पता दिल्ली 7 जंतर-मंतर हो गया। बताया जाता है कि देश के बंटवारे के लिए 15 जून, 1947 को हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक इसी मुख्यालय में हुई थी।
इसके बाद कांग्रेस पार्टी का एक और नया मुख्यालय बनाने की स्थिति तब बनी जब कांग्रेस दो हिस्सों में बंटी। 1969 में पार्टी पार्टी, कांग्रेस (0) और कांग्रेस (R) में बंटी। एस निजलिंगप्पा के नेतृत्व वाली कांग्रेस का 7, जंतर मंतर रोड वाले ऑफिस पर कब्जा रहा। वहीं, इंदिरा की कांग्रेस (IR) ने नेहरू मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे एमवी कृष्णप्पा को आवंटित किए गए बंगले 21, विंडसर प्लेस को पार्टी का मुख्यालय बनाया।
1971 में एक बार फिर मुख्यालय को बदला गया और इसे 5, राजेंद्र प्रसाद रोड पर शिफ्ट किया गया। फिर इमरजेंसी का दौर आया और 1977 में चुनावी हार के बाद पार्टी का मुख्यालय 24 अकबर रोड पर बनाया गया। यही वो मुख्यालय है जो लम्बे समय में पार्टी का मुख्यालय रहा। अब 47 साल बाद कांग्रेस ने 9A, कोटला रोड पर नया मुख्यालय बनवाया है.