दिल्लीः जिंदगी में शांति और संतुलन बनाए रखने के लिए तकनीकी ज्ञान और कौशल स्किल के साथ भावनाओं को समझने तथा नियंत्रित करने का कौशल भी आवश्यक है। जी हां हम बात कर रहे हैं इमोशनल इंटेलिजेंस की, जो रोजमर्रा की चुनौतियां, रिश्तों की उलझनें और काम के दबाव के बीच हमें सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करती है।

इमोशनल इंटेलिजेंस हमारे पर्सनल रिलेशन को बेहतर बनाने के साथ-साथ करियर में भी सफलता पाने के रास्ते खोलता है। यह भावनाओं को समझने और नियंत्रित करने का कौशल है। यदि हम यह नहीं सीख सके हैं, तो जिन्दगी में संतुलन और शांति की कमी हो सकती है। यही कारण है कि इमोशनल इंटेलिजेंस को समझना और उसे सुधारना जरूरी है।

इमोशनल इंटेलिजेंस नाम आते ही हमारे जेहन में कई सवाल हिचकोले मारने लगते हैं, जैसे…

  • इमोशनल इंटेलिजेंस क्या है?
  • इसका महत्व क्या है?
  • इमोशनल इंटेलिजेंस बेहतर करने के तरीके क्या हैं?

सबसे पहले बात करते हैं इमोशनल इंटेलिजेंस क्या हैः इमोशनल इंटेलिजेंस ऐसी क्षमता है, जो हमें भावनाओं को समझने, सही तरीके से उनका इस्तेमाल करने और उन्हें सकारात्मक रूप से नियंत्रित करने की शक्ति देती है।

इससे हम तनाव कम कर सकते हैं, दूसरों के साथ बेहतर कम्युनिकेशन कर सकते हैं। साथ ही सहानुभूति प्रकट कर सकते हैं और परेशानियों को सुलझा सकते हैं।

हमारी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में इमोशनल इंटेलिजेंस का गहरा प्रभाव होता है। यह हमें मजबूत रिश्ते बनाने, करियर में सफलता प्राप्त करने और अपनी जिंदगी के बड़े फैसले सही तरीके से लेने में मदद करता है।

क्या आप भी अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहते हैं? ऐसे में इमोशनल इंटेलिजेंस को समझना और उसे विकसित करना बेहद जरूरी है।

क्या महत्व हैः आपने अक्सर सुना होगा कि सफलता के लिए सिर्फ ज्ञान जरूरी नहीं, बल्कि भावनाओं को समझना और उन्हें नियंत्रित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

क्या आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं, जो बहुत होशियार हो, लेकिन सोशल स्किल्स में कमजोर हो, अपने काम या रिश्तों में कुशल न हो? हो सकता है कि ऐसे लोग पढ़ाई-लिखाई में टॉपर हों, लेकिन जीवन के असली संघर्षों का सामना करने में उन्हें कठिनाई होती है।

आपने देखा होगा कि कई सारे लोग परीक्षा से पहले ही अपने सिलेबस को कई बार पढ़ चुके होते हैं और उनकी तैयारी भी बेहतर होती है। इसके बावजूद परीक्षा के तनाव के चलते उनका प्रदर्शन औसत रहता है।

वहीं, कुछ छात्र कक्षा में औसत मालूम पड़ते हैं, लेकिन परीक्षा से पहले बिना तनाव लिए की गई उनकी तैयारी उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करती है।

दरअसल, जीवन में केवल आईक्यू (IQ) से काम नहीं चलता है। आपको भावनाओं को समझने और नियंत्रित करने की कला भी आनी चाहिए। इमोशनल इंटेलिजेंस से हमें मुश्किल हालातों में टिके रहने की ताकत मिलती है।

ऐसे में चाहे परीक्षा का तनाव हो, करियर का दबाव हो या रिलेशन में उतार-चढ़ाव हो, जिंदगी में सफलता पाने के लिए आईक्यू के साथ ईक्यू (इमोशनल इंटेलिजेंस) का भी बेहतर होना बहुत जरूरी है।

कैसे डेवलप करेंः इमोशनल इंटेलिजेंस बेहतर करने के लिए हम कई सारे तरीके अपना सकते हैं। इसमें अपनी भावनाओं के साथ–साथ सामने वाली की भावनाओं को समझना बहुत जरूरी है। साथ ही सोशल अवेयरनेस भी होनी चाहिए। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं।

सेल्फ मैनेजमेंट- तनाव और भावनाओं को नियंत्रित करना किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी है। जब आप तनाव महसूस करते हैं तो आपकी सोच और फैसले पर इसका गहरा असर पड़ता है।

ऐसे में अपनी भावनाओं पर काबू करके, नकारात्मक परिस्थितियों में शांत रहकर और सही निर्णय लेते हुए आप धीरे-धीरे इमोशनल इंटेलिजेंस सीख सकते हैं।

सेल्फ अवेयरनेस- हालांकि, भावनाओं को काबू करने से पहले भावनाओं को पहचानना सीखना होगा। साथ ही समझना होगा कि वे विचारों और काम को कैसे प्रभावित करती हैं।

जब आप खुद को समझते हैं तो अपनी ताकत और कमजोरियों को भी पहचानना सीखते हैं। साथ ही माइंडफुलनेस के अभ्यास से फिजिकल और मेंटल संकेत को पहचानते हैं। इससे खुद को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाते हैं।

सोशल अवेयरनेस- आपको दूसरों की भावनाओं को भी समझना होगा। ऐसा केवल सामने वाले की बातचीत के आधार पर नहीं, बल्कि बॉडी लैंग्वेज के जरिए सामने वाले के इमोशंस को पहचाना होगा।

जब आप दूसरों की भावनाओं को सही तरीके से समझते हैं तो अधिक सहानुभूति के साथ उनके साथ व्यवहार कर पाते हैं। यह पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्तों को बेहतर बनाने में मदद करता है।

रिलेशनशिप मैनेजमेंट- रिलेशनशिप मैनेजमेंट कोई रॉकेट साइंस नहीं है। हालांकि, इसके लिए आपको बेहतर कम्युनिकेशन, विश्वास हासिल करना और निभाना, साथ ही विवादों का बातचीत के जरिए समाधान करना सीखना होगा।

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