दिल्लीः पांच साल बाद भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की बैठक बुलाने पर सहमति बन गई है। ये सहमति ब्राजील की राजधानी रियो डि जेनेरियो में जी-20 समिट के दौरान बनी। यहां दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच सीमा विवाद सहित विभिन्न मुद्दे पर वार्ता हुई। आपको बता दें कि दो दिन तक चली G20 समिट का समापन हो गया है।

विदेश मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान और कैलाश मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू करने पर भी चर्चा की। आपको बता दें कि कोविड महामारी के बाद से ही दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान और कैलाश मानसरोवर यात्रा पर रोक लगा दी गई थी।

रियो डि जेनेरियो में आयोजित जी-20 समिट का समापन हो गया है। अब अगला जी-20 समिट दक्षिण अफ्रीका में होगा। दक्षिण अफ्रीका को 2025 में होने वाले अगले समिट की मेजबानी मिली है। सभी सदस्यों द्वारा जारी साझा घोषणापत्र में भुखमरी से लड़ने के लिए एक वैश्विक समझौते, जंग में उलझे गाजा के लिए ज्यादा सहायता के साथ मिडिल ईस्ट और यूक्रेन में जंग रोकने की अपील की गई।

उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 समिट के तीसरे सेशन के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा, चिली के राष्ट्रपति गैब्रियल बोरिक, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ द्विपक्षीय बैठक की।

ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने मोदी से बैठक के दौरान पिछले साल नई दिल्ली में G20 के सफल आयोजन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा कि हम ठीक उसी तरह G20 समिट की मेजबानी करना चाहते थे, जैसा पिछले साल भारत ने क‍िया था। वहां से काफी कुछ सीखकर आए थे। काश कुछ उस तरह हम कर पाते।
लूला डी सिल्वा ने कहा कि G20 समिट में ब्राजील ने जो कदम उठाए हैं, वे भारत के पिछले साल G20 में लिए गए फैसलों से प्रेरित हैं।

पीएम मोदी G20 समिट के बाद से गुयाना के लिए रवाना हो गए। प्रधानमंत्री मोदी पिछले 56 साल में गुयाना की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।

पीएम मोदी ने G20 समिट के पहले दिन वैश्विक नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकात की थीं। मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, ब्रिटिश PM कीर स्टार्मर, इटली की PM जॉर्जिया मेलोनी, पुर्तगाल के PM लुइस मोंटेनेग्रो, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो और नॉर्वे के PM जोनास गेर स्टोर से द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की थी।

पीएम मोदी समिट के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मिले और उनके बीच अनौपचारिक बातचीत भी हुई। PM मोदी ने G20 समिट के पहले दो सेशन- ‘भुखमरी और गरीबी के खिलाफ एकजुटता’ और ‘सरकारों के कामकाज में सुधार’ पर सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि जंग की वजह से दुनिया में खाने का संकट पैदा हुआ है। इसका सबसे ज्यादा असर गरीब देशों पर पड़ा है।

आपको बता दें कि जी-20 या ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी, दुनिया के 19 देशों और यूरोपीय संघ की सरकारों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों का एक अंतरराष्ट्रीय मंच है. इसका मकसद वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों को संबोधित करना, वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देना, और टिकाऊ और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
इसकी स्थापना 1999 में की गई थी। जी-20 समूह बनने से पहले इस समूह को जी-7 कहा जाता था। साल 2007 में आए वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के बाद जी-20 संगठन को राष्ट्रप्रमुखों के स्तर का बना दिया गया। अब तक इसकी कुल 19 बैठकें हो चुकी हैं। भारत ने इसकी 18वीं बैठक की मेज़बानी की थी।
जी-20 में शामिल देशों में भारत, अमेरिका, चीन, रूस, ब्राज़ील, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, फ़्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, कोरिया गणराज्य, सऊदी अरब, दक्षिण अफ़्रीका, तुर्किये, यूके शामिल हैं।

वहीं, नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू से PM मोदी की मुलाकात। ब्राजील आने से पहले मोदी ने नाइजीरिया का दौरा किया था।

प्रधानमंत्री मोदी 18 नवंबर की सुबह रियो डि जेनेरियो पहुंचे थे। यहां भारतीय समुदाय ने संस्कृत मंत्रों से उनका स्वागत किया। इससे पहले मोदी दो दिन के लिए नाइजीरिया दौरे पर थे। वहां उन्हें सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान ‘द ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नाइजर’ से नवाजा गया। मोदी ब्राजील के बाद गुयाना का दौरे पर गए।

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