Tuesday, November 5, 2024
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जहरीली हुई दिल्ली की हवा, एक्यूआई पहुंचा 400, जानें क्या है खतरा और उपाय

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संवाददाताः संतोष कुमार दुबे

दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है। दिल्ली में देर रात यानी दीपावली के दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार चला गया। वहीं यहां पर 01 नवबंर को सुबह करीब 06 बजे AQI 391 दर्ज किया गया। अब बात अगर देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की बात करें, तो इनमें 09 उत्तर प्रदेश के हैं। UP के संभल में AQI सबसे ज्यादा 388 दर्ज किया गया।

दिल्ली में दीपावली के दिन (31 अक्टूबर) शाम 05 बजे रियल टाइम एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 186 रिकॉर्ड किया गया था। यानी 10-12 घंटों में ही हवा सामान्य से बेहद खराब कैटेगिरी में चली गई।

आपको बता दें कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 01 जनवरी 2025 तक पटाखों को बैन किया था। पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर रोक है। इनकी ऑनलाइन डिलीवरी पर भी रोक लगाई गई थी, फिर भी आतिशबाजी हुई।

दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 200 पार होने के बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली NCR में ग्रैप-1 लागू कर दिया गया था। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर बैन है। कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट ने एजेंसियों को पुराने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों (बीएस -III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल) के संचालन पर सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं।

आयोग ने एजेंसियों से सड़क बनाने, रेनोवेशन प्रोजेक्ट और मेन्टेनेन्स एक्टिविटीज में एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव और डस्ट रिपेलेंट तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी कहा है।

उधर, पंजाब सरकार ने करीब 15 दिन पहले कहा था कि दिवाली, गुरुपर्व, क्रिसमस और नए साल के जश्न के दौरान केवल ग्रीन पटाखे फोड़ने की परमिशन दी जाएगी। ग्रीन पटाखे वे हैं, जिनमें बेरियम साल्ट या एंटीमनी, लीथियम, पारा, आर्सेनिक, सीसा या स्ट्रोंटियम क्रोमेट के कम्पाउंड्स नहीं होते।

क्या है ​​​​​​AQI , हाई लेवल खतरा क्योंः आपको बता दें कि AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है।

हवा में पोल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।

101 और 160 के बीच एक्यूआई स्तर नारंगी श्रेणी में आता है। इस स्तर पर, बुजुर्ग नागरिकों, बच्चों और अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं वाले लोगों को लंबे समय तक बाहरी गतिविधियों से बचने की सलाह दी जाती है। जैसा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान देखा गया है, कोलकाता में हवा की गुणवत्ता अक्टूबर के दूसरे और तीसरे सप्ताह से खराब होने लगती है। शहर की सर्दियों से पहले हवा में प्रदूषकों के संचय में वृद्धि हुई।

 

क्या होता है एक्यूआईः इसे वायु गुणवत्ता सूचकांक कहा जाता है। एयर क्वालिटी इंडेक्ट में 08 प्रदूषक तत्व को देखा जाता है कि उनकी मात्रा कितनी है। अगर उनकी तय लिमिट से ज्यादा मात्रा होती है, तो समझ जाता है कि वहां की हवा प्रदूषित है। इसमें सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि शामिल हैं। इन सभी की जांच के बाद एक्यूआई निकाला जाता है.

कितना एक्यूआई नॉर्मल माना जाता हैः एक्यूआई का फॉर्मूला ये है कि ये जितना कम होता है, उतना ही सेहत के हिसाब से ठीक है। एक्यूआई का कम होना बताता है कि हवा साफ है और जितना इसका स्तर ज्यादा होता है, ये बताता है कि प्रदूषण काफी ज्यादा है। जैसे अगर  एक्यूआई 0 से 50 के बीच रहे तो इसे अच्छा माना जाएगा और आशा की जाती है कि भारत के हर शहर में ये ही एक्यूआई हो। इसके बाद जैसे जैसे यह बढ़ता जाता है, तो टेंशन ज्यादा हो जाती है. जैसे अगर ये 51 से 100 हो जाए तो भी इसे संतोषजनक माना जाता है। फिर 101 से 200 तक मीडियम, 201 से 300 तक खराब और 301 और 400 के बीच बेहद खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर स्थिति मानी जाती है।

कैसे चेक कर सकते हैं एक्यूआईः अब आप अपने शहर का एक्यूआई चेक करके भी समझ सकते हैं कि आखिर आपके शहर के क्या हालात हैं और आप दिल्ली से कितनी बेहतर स्थिति में रह रहे हैं। अपने शहर का एक्यूआई चेक करने के कई तरीके हैं और ऑनलाइन माध्यम से इसे चेक कर सकते हैं. दरअसल, कई ऐसी वेबसाइट हैं, जिस पर एएक्यूआई की जानकारी दी जाती है, जिनमें आप अपनी लोकेशन के आधार पर या फिर शहर, एरिया सेलेक्ट करके इसकी जानकारी ले सकते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने क्रोनिक बीमारियों जैसे सांस के मरीज, हृदय रोगी, निमोनिया या अन्य श्वसन संक्रमण के शिकार लोगों को इन दिनों विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है।

हो सकता है अस्थमा अटैक का खतराः स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार वायु प्रदूषण आपके फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर डाल सकता है। जब प्रदूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण सांस के साथ अंदर जाते हैं तो इससे फेफड़ों के लिए दिक्कतें बढ़ सकती हैं। यह स्थिति पहले से ही सांस की बीमारियों जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस वाले मरीजों के लिए खतरनाक और जानलेवा भी हो सकती है। प्रदूषित हवा में कुछ समय भी रहना अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ाने वाली हो सकती है।

उपाय- सांस के मरीजों को घर से बाहर जाने से बचना चाहिए। बाहर जाना हो तो मास्क जरूर लगाएं। अपने पास इनहेलर और दवाएं हमेशा रखें।

बढ़ सकती है हृदय रोगियों के लिए दिक्कतेंः वायु प्रदूषण फेफड़ों के साथ-साथ हृदय रोग के शिकार लोगों के लिए भी बहुत नुकसानदायक है। प्रदूषित वातावरण में रहने से ब्लड प्रेशर बढ़ने, हृदय गति रुकने, स्ट्रोक जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। प्रदूषण के कारण रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचता है। वायु प्रदूषण के कारण रक्त वाहिकाएं संकरी और सख्त हो सकती है, जिससे रक्त का प्रवाह कठिन हो जाता है। इस तरह की स्थिति रक्तचाप और हृदय की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ाने वाली हो सकती है।

उपाय- हृदय रोग के शिकार लोगों को ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने, खूब पानी पीते रहने और प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क लगाने की सलाह दी जाती है।

क्या है सलाहः स्वास्थ्य विशेषज्ञ के मुताबिक आप पहले से बीमार हों या स्वस्थ, प्रदूषण सभी के लिए खतरनाक है। प्रदूषण के पीक वाले समय जैसे सुबह-शाम घर से बाहर जाने से बचें। पटाखों के धुंआ से खुद को बचाएं, अस्थमा रोगियों के लिए इन बातों का ध्यान रखना और भी जरूरी हो जाता है। घर के भीतर की हवा को साफ-स्वच्छ करने के लिए एयर प्यूरीफयर का इस्तेमाल करें। दिवाली के उत्सव के दौरान मास्क पहनकर रखें जिससे प्रदूषक आपके शरीर में न प्रवेश कर पाएं।

किसी भी समय आपको सांस की दिक्कत, छाती में दर्द या जकड़न महसूस होती है तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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