दिल्लीः आज दिन रविवार और तिथि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष  की चतुर्थी को करवाचौथ का पर्व के तौर पर मनाया जाता। आज के दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखेंगी और इसे लेकर महिलाओं ने शृंगार के साथ ही व्रत से जुड़ी सामग्री की खूब खरीदारी की।

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक करवाचौथ का पर्व हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। करवाचौथ व्रत की शुरुआत हमेशा सरगी खाने से होती है, जो सूर्योदय से करीब दो घंटे पहले खाई जाती है। इस दौरान करवा माता, भगवान गणेश और चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।

करवाचौथ के दिन पूजा का मुहूर्त रविवार को शाम 5.46 बजे से शुरू हो कर 07.02 बजे तक रहेगा। वहीं, करवाचौथ पर इस बार सुबह 06.24 बजे से 06.46 बजे तक भद्रा का साया रहा। लेकिन पूजा के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा।
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सुहागिनें चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें। व्रत खोलने के बाद पति और बड़ाें का आशीर्वाद लें। यह बात जरूर ध्यान रखें कि पूजा की थाली में छलनी, आटे का दीया, फल, ड्राईफ्रूट, मिठाई और दो पानी के लोटे होने चाहिए।

सुहाग जिस चुन्नी को ओढ़कर कथा सुने उसी चुन्नी को ओढ़कर चंद्रमा को अर्घ्य दें। छलनी में दीया रखकर चंद्रमा को उसमें से देखे और फिर उसी छलनी से तुरंत अपने पति को देखें।

चंद्रपूजन के बाद आप बायना (खाना और कपड़े, दक्षिणा ) निलाकर अपने बड़ों को दें और फिर खाना खाएं। इस दिन लहसुन-प्याज वाला और तामसिक खाना न बनाएं।

करवा चौथ पूजा विधि और मंत्रः
करवा चौथ के दिन इन मंत्रों के जप से लाभ होगा
करवा चौथ पूजन मंत्र
“ॐ शिवायै नमः, श्रीं ह्रीं क्लीं मातः पार्वत्यै नमः”

अर्घ्य मंत्र (चंद्रमा को अर्घ्य देने के समय)

“सौम्यरूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम।
मम पूर्वकृतं पापं ओषधे क्षमस्व मे।”

पति की आरती के समय किया जाने वाला मंत्र
“ऊँ क्लीं सौभाग्यं देहि, पति मे श्रीं ह्रीं स्वाहा”

Karwa Chauth 2024 Upay: करवा चौथ के दिन करें ये उपाय, बना रहेगा प्रेम का अटूट बंधन

01:11 PM, 20-Oct-2024
करवा चौथ पूजा विधि Karwa Chauth Puja Vidhi
करवा चौथ पर शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर दें।
एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांध दें और दूसरा मिट्टी का करवा लेकर उसमें जल भरकर व ढक्कन में शक्कर भर दें, उसके ऊपर दक्षिणा रखें, रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं।
इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढाकर भगवान का पूजन करें, पूजा के उपरांत भक्तिपूर्वक हाथ में गेहूं के दाने लेकर चौथ माता की कथा पढ़ें या सुने।
फिर रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्रदेव को अर्ध्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हुए व्रत को समाप्त करें।
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12:57 PM, 20-Oct-2024
गलती से व्रत टूटने पर क्या करें Galti Se Vrat Tootne Par Kya Karein
अगर आपका करवा चौथ का व्रत पूजा से पहले गलती से टूट गया है तो घबराएं नहीं और न ही व्रत को बीच में छोड़ें। अगर गलती से आपका व्रत टूट जाए तो तुरंत हाथ जोड़कर भगवान से इस गलती के लिए माफी मांगें। माफी मांगने के बाद दोबारा व्रत करने का संकल्प लें। इस संकल्प को करने के लिए सबसे पहले अपने दाहिने हाथ में जल लें और क्षमा याचना मंत्र का 51 बार जाप करें। इसके बाद चंद्रदेव का ध्यान करके जल अर्पित कर दें। इसके बाद आप दोबारा व्रत आरंभ कर सकते हैं।

: अगर गलती से टूट जाए करवा चौथ का व्रत तो तुरंत कर लें ये काम
चंद्रोदय का समयः
वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक 20 अक्तूबर को करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर 53 मिनट पर होगा। देशभर के अलग-अलग शहरों में चांद के निकलने के समय में कुछ बदलाव हो सकता है। दिल्ली में चांद 7.53 बजे, नोएडा में 7.52, गुरुग्राम में 7:55 और गाजियाबाद में 07:52 बजे चांद दिखाई देगा।

चौथ माता की पूजा के साथ करें गौरी-शंकर पूजाः करवा चौथ पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष महत्व रखती है। सुहागन महिलाएं गौरी-शंकर के रूप में शिव-पार्वती की मूर्ति का पूजन करती हैं और उन्हें सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, और वस्त्र चढ़ाती हैं। यह पूजा अखंड सौभाग्य और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। पूजा के समय ‘ऊँ उमामहेश्वराय नमः’मंत्र का जाप किया जा सकता है, जो विवाहित जीवन के समस्त विघ्नों को दूर करने में सहायक होता है।

करवा चौथ पर होती है चौथ माता की पूजाः करवा चौथ के दिन चौथ माता की पूजा का भी विशेष महत्व है। महिलाएं अपने करवे में जल भरकर चौथ माता को अर्पित करती हैं और उनसे सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं। पूजा के समय सुहाग की सारी वस्त्र-आभूषण पहनना शुभ होता है।

व्ध्यान रखने योग्य बातेंः करवा चौथ व्रत के दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जो कि पति की दीर्घायु के लिए समर्पित होता है। इस व्रत में सूर्योदय से चंद्रोदय तक कुछ भी नहीं खाया-पीया जाता है। व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी खाने से की जाती है। यह सरगी सास द्वारा दी जाती है, जिसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। चंद्रोदय के बाद पति के हाथों से जल ग्रहण करके ही व्रत पूर्ण होता है।
11:50 AM, 20-Oct-2024
सुहाग सामग्री का दानः  करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं विशेष रूप से सुहाग सामग्री जैसे कि लाल चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, काजल, मेहंदी और कंघी आदि का दान करती हैं। इसे सौभाग्यवती महिलाओं को दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सुहाग सामग्री दान करने से मां पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

 

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