संवाददाताः संतोष कुमार दुबे

दिल्लीः केंद्र सरकार ने बुधवार को एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनरों को दीपावली से पहले तोहफा दिया। सरकार ने बुधवार को कर्मचारियों के महंगाई भत्ते ‘डीए’ और महंगाई राहत ‘डीआर’ में तीन फीसदी वृद्धि करने का निर्णय लिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में डीए की दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर मुहर लगी। बढ़ी हुईं दर का फायदा कर्मचारियों को गत एक जुलाई से मिलेगा। सरकार के इस निर्णय के बाद कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की दर अब 50 प्रतिशत से बढ़कर 53 प्रतिशत हो गई है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक के बाद संवाददाता को इस बारे में जानकारी दी। इससे पहले कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने 30 सितंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर डीए की दरों में बिना कोई देरी किए वृद्धि करने की मांग की थी। पत्र में कहा गया कि सामान्य तौर पर महंगाई भत्ते एवं महंगाई राहत में बढ़ोतरी का भुगतान, अक्तूबर के पहले सप्ताह में हो जाता था। इस बार केंद्र सरकार ने दशहरे पर भी ऐसी कोई घोषणा नहीं की।

कितना होगा कर्मचारियोयं को फायदाः 
मान लीजिए किसी कर्मचारी का मूल वेतन 18 हजार रुपये है,  तो 53 प्रतिशत महंगाई भत्ते के हिसाब से उसके वेतन में हर माह लगभग 540 रुपये बढ़ जाएंगे। अब अगर कर्मचारी का मूल वेतन 25 हजार रुपये है तो उसे प्रतिमाह 750 रुपये का फायदा होगा।  जिस कर्मी की बेसिक सेलरी 35 हजार रुपये है तो उसे प्रतिमाह 1050 रुपये ज्यादा मिलेंगे।  45 हजार रुपये की बेसिक सेलरी वाले कर्मी के लगभग 1350 रुपये बढ़ेंगे।  ऐसे कर्मी, जिन्हें 52 हजार रुपये बेसिक सेलरी मिलती है तो डीए बढ़ोतरी पर उन्हें हर माह 1560 रुपये का फायदा होगा। 70 हजार रुपये की बेसिक सेलरी वाले कर्मचारी को लगभग 2100 रुपये का फायदा होगा।  85,500 रुपये की बेसिक सेलरी पर लगभग 2565 रुपये का इजाफा होगा।  एक लाख रुपये बेसिक सेलरी वाले कर्मियों के खाते में हर माह 3000 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी होगी।

आमतौर पर सितंबर महीने में होती है DA/DR के दरों की घोषणाः  आपको बता दें कि डीए/डीआर की दरों में बढ़ोतरी की घोषणा, सितंबर माह में कर दी जाती थी। कई बार अक्तूबर के प्रारंभ में भी डीए/डीआर का एलान हुआ है। तीन अक्टूबर को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई थी। उसमें रेल कर्मचारियों को 78 दिन का बोनस देने की घोषणा की गई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि रेल कर्मचारियों के लिए 2029 करोड़ रुपए के बोनस को मंजूरी मिल गई है। इसके बाद केंद्रीय कर्मचारियों को यह आस बंध गई थी कि 9 अक्तूबर की केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में डीए की घोषणा कर दी जाएगी। ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स’ के महासचिव एसबी यादव ने 30 सितंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर डीए की दरों में बिना कोई देरी किए वृद्धि करने की मांग की थी। उन्होंने लिखा, अक्तूबर माह में केंद्र सरकार, भत्तों व बोनस देने की घोषणा करती है तो उनका भुगतान नवंबर में हो सकेगा।

इन भत्तों को तय समय पर जारी न कर केंद्र सरकार, खुद लाभ कमा रही है। एसबी यादव के अनुसार, वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि महंगाई भत्ता ‘डीए’ और महंगाई राहत ‘डीआर’ एक जुलाई से देय हैं। आमतौर पर सितंबर के आखिरी सप्ताह में इसकी घोषणा कर दी जाती थी। इसके बाद अक्टूबर के पहले सप्ताह में कर्मचारियों को तीन महीने का बकाया भुगतान किया जाता था। इन भत्तों की घोषणा में हो रही देरी को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में गहरा असंतोष था। नवरात्र, दुर्गा पूजा उत्सव व दशहरे का पर्व निकल गया, मगर डीए/डीआर की घोषणा नहीं की गई।

DA/DR के दरों की घोषणा में देरी क्योंः केंद्र सरकार के कर्मियों के लिए महंगाई भत्ते ‘डीए’ की दरों में बढ़ोतरी की घोषणा कई माह देरी से की जाती है। इसके द्वारा सरकार, खुद लाभ कमा लेती है। चूंकि डीए/डीआर की दरों में हुई बढ़ोतरी से सरकार पर हजारों करोड़ रुपये का भार पड़ता है। ऐसे में सरकार, डीए/डीआर की घोषणा, तीन चार माह देरी से करती है। इस अवधि के दौरान सरकार का पैसा निवेश होता है, जिस पर उसे अच्छा खासा ब्याज मिलता है। नियमानुसार, पहली जनवरी और पहली जुलाई से महंगाई भत्ते एवं महंगाई राहत में बढ़ोतरी करने का प्रावधान है, लेकिन केंद्र सरकार हर दफा यह घोषणा करने में तीन चार माह की देरी कर देती है। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव और राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड के वरिष्ठ सदस्य सी.श्रीकुमार के अनुसार, सरकार को इस मामले में देरी नहीं करनी चाहिए। जब पहली जनवरी और पहली जुलाई से डीए बढ़ोतरी का नियम है तो इसमें कई माह की देरी क्यों हो रही है। अगर ये भत्ते देने में तीन चार माह की देरी होती है तो सरकार हजारों करोड़ रुपये बचा लेती है।

 

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