दिल्ली: आज दिन शनिवार और शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज के दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि मां का यह रूप बेहद सौम्य और शांत है, जो सुख-समृद्धि प्रदान करता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है, सुखों में वृद्धि होती है और सामाजिक प्रभाव भी बढ़ता है। लोग आपको सम्‍मान देना शुरू कर देते हैं। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि मां यह रूप बेहद सरल सौम्‍य, शांत और ममतामयी है। मां इस रूप में अपने भक्‍तों की सुख समृद्धि में वृद्धि करती हैं। मां चंद्रघण्‍टा की पूजा करने से आपके सुख और भौतिक सुखों में वृद्धि होती है और मां दुर्गा समाज में आपका प्रभाव बढ़ाती हैं। आइए विस्‍तार से जानते हैं मां चंद्रघण्टा की पूजाविधि, भोग और पूजा मंत्र व आरती।

मां का चंद्रघण्टा नाम कैसे पड़ाः नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्‍टा की पूजा होती है। मां की पूजा से जीवन में सफलता मिलती है। मां के मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा है, इसलिए उन्हें चंद्रघण्‍टा कहते हैं। मां चंद्रघण्‍टा का रूप अलौकिक, तेजस्वी और ममतामयी माना जाता है। मां के इस रूप की पूजा करने से आपको जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर कामयाबी प्राप्‍त होती है। मां की पूजा सूर्योदय से पहले करनी चाहिए। पूजा में लाल और पीले गेंदे के फूल चढ़ाने चाहिए। मां के मस्‍तक पर अर्द्धचंद्र के आकार का घंटा शोभायमान है, इसलिए देवी का नाम चंद्रघण्‍टा पड़ा। इनकी पूजा में शंख और घंटों के साथ पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और कृपा बरसाती हैं।

मां चंद्रघण्टा का स्‍वरूपः नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा होती है। मां का रंग सोने जैसा चमकदार है और वह शेर की सवारी करती हैं। उनके आठ हाथों में कमल, धनुष, बाण, तलवार, कमंडल, त्रिशूल और गदा जैसे अस्त्र-शस्त्र हैं। मां के गले में सफेद फूलों की माला और सिर पर चंद्रमा से सुसज्जित रत्नजड़ित मुकुट है। मां हमेशा युद्ध की मुद्रा में तंत्र साधना में लीन रहती हैं। उनकी पूजा करने से आपके तेज और प्रभाव में वृद्धि होती है। कार्यक्षेत्र में आपका आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है और आपको समाज में विशेष स्‍थान प्राप्‍त होता है।

पूजाविधिः

  • सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और मां का ध्यान करें।
  • मां चंद्रघंटा की मूर्ति को लाल या पीले वस्त्र पर स्थापित करें।
  • मां को कुमकुम और अक्षत अर्पित करें और विधि-विधान से पूजा करें।
  • मां चंद्रघंटा को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। मां को मिठाई और दूध से बनी खीर का भोग लगाएं।
  • पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती और चंद्रघंटा माता की आरती का पाठ भी करें। ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

मां चंद्रघण्‍टा का प्रिय भोगः नवरात्रि में तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा में खीर का भोग लगाना सबसे उत्‍तम माना गया है। मां को केसर की खीर बहुत पसंद है। आप लौंग, इलायची, पंचमेवा और दूध से बनी मिठाइयां भी मां को भोग में चढ़ा सकते हैं। भोग में मिसरी जरूर रखें और पेड़े भी चढ़ा सकते हैं।

मां चंद्रघण्‍टा की पूजा में लाल रंग का महत्‍वः लाल रंग ताकत और तरक्की का प्रतीक माना जाता है। मां चंद्रघण्‍टा की पूजा में लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। ऐसा करने से मां चंद्रघण्टा आपके परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं। इससे आपके सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। आपकी तरक्‍की होती है और आपके अंदर एक नया आत्‍मविश्‍वास पैदा होता है।

मां चंद्रघण्‍टा का पूजा मंत्रः
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

मां चंद्रघण्‍टा की आरतीः

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।

चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।

शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।

कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।

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