संवाददाता: स्ंतोष कुमार दुबे
दिल्ली: भारत को कम कार्बन ऊर्जा के विकास में तेजी लाने में मदद करने के लिए विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने दूसरे चरण में 1.5 अरब डॉलर के वित्तपोषण को मंजूरी दी है। विश्व बैंक ने आज यहां जारी बयान में कहा कि यह अभियान हरित हाइड्रोजन के लिए एक जीवंत बाजार के विकास को बढ़ावा देने, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाना जारी रखने और कम कार्बन ऊर्जा निवेश के लिए वित्त को प्रोत्साहित करने का प्रयास करेगा।
विश्व बैंक ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, और अर्थव्यवस्था के तेजी से विस्तार करने की उम्मीद है। उत्सर्जन वृद्धि से आर्थिक विकास को अलग करने के लिए अक्षय ऊर्जा को विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्रों में बढ़ाने की आवश्यकता होगी। इसके लिए हरित हाइड्रोजन उत्पादन और खपत के विस्तार के साथ-साथ कम कार्बन निवेश के लिए वित्त जुटाने को बढ़ावा देने के लिए जलवायु वित्त के तेजी से विकास की आवश्यकता होगी।
विश्व बैंक ने कहा कि लो कार्बन एनर्जी प्रोग्रामेटिक डेवलपमेंट पॉलिसी ऑपरेशन के इस दूसरे चरण में हरित हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइज़र के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सुधारों का समर्थन करेगा, जो हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण तकनीक है। इसके साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा की पैठ को बढ़ावा देने के लिए सुधारों का भी समर्थन करता है।
जून 2023 में विश्व बैंक ने 1.5 अरब डॉलर पहला लो-कार्बन एनर्जी प्रोग्रामेटिक डेवलपमेंट पॉलिसी ऑपरेशन को मंजूरी दी थी जिसने ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में अक्षय ऊर्जा के लिए ट्रांसमिशन शुल्क की छूट का समर्थन किया, सालाना 50 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा निविदाओं को लॉन्च करने के लिए एक स्पष्ट मार्ग जारी किया और एक राष्ट्रीय कार्बन क्रेडिट बाजार के लिए एक कानूनी ढांचा बनाया।
भारत के लिए विश्व बैंक के कंट्री निदेशक ऑगस्टे टैनो कौमे ने कहा, “ विश्व बैंक को भारत की कम कार्बन विकास रणनीति का समर्थन जारी रखने की खुशी है, जो निजी क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा रोजगार पैदा करते हुए देश के शुद्ध-शून्य लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी। वास्तव में, पहले और दूसरे चरण दोनों में हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा में निजी निवेश को बढ़ावा देने पर मजबूत ध्यान दिया गया है। सुधारों के परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 25/26 से प्रति वर्ष कम से कम 450,000 टन ग्रीन हाइड्रोजन और 1,500 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइज़र का उत्पादन होने की उम्मीद है। इसके अलावा, यह अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने और प्रति वर्ष पांच करोड़ टन उत्सर्जन में कमी लाने में भी महत्वपूर्ण रूप से मदद करेगा। यह ऑपरेशन राष्ट्रीय कार्बन क्रेडिट बाजार को और विकसित करने के कदमों का भी समर्थन करेगा।
उन्होंने कहा, “ भारत ने हरित हाइड्रोजन के लिए एक घरेलू बाजार विकसित करने के लिए साहसिक कार्रवाई की है, जो अक्षय ऊर्जा क्षमता का तेजी से विस्तार कर रहा है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की प्रोत्साहन योजना के तहत पहली निविदाओं ने निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण रुचि का प्रदर्शन किया है”
इस परिचालन के लिए टीम लीडर ऑरेलियन क्रूज, शियाओडोंग वांग और सुरभी गोयल ने कहा “यह अभियान हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना में निवेश बढ़ाने में मदद कर रहा है। यह अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत की यात्रा में योगदान देगा। यह ऑपरेशन भारत सरकार की ऊर्जा सुरक्षा और बैंक की हाइड्रोजन फॉर डेवलपमेंट (एच4डी) साझेदारी के साथ संरेखित है। ऑपरेशन के लिए वित्तपोषण में इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से 1.46 अरब डॉलर का ऋण और इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन से 3.15 करोड़ डॉलर का ऋण शामिल