दिल्लीः जिसकी याद में दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताज महल को बनवाया गया, उसी मुमताज का आज के ही दिन निधन हुआ था। मुमताज ने 17 जून 1631 को एक बेटी को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के बाद उसी दिन मुमताज का निधन हो गया। उस वक्त दक्कन के खां जहां लोधी ने शाहजहां के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। शाहजहां इस विद्रोह से निपटने के लिए सफर पर थे। मुमताज भी उनके साथ थीं। उनके निधन के बाद मुमताज को मध्यप्रदेश के बुरहानुपर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया।
कहा जाता है कि मुमताज ने शाहजहां से चार वादे पूरे करने को कहा था, जिसमें से एक वादा ये था कि मरने के बाद मुमताज की याद में एक भव्य इमारत बनवाई जाए। खां जहां लोधी से निपटने के बाद शाहजहां आगरा पहुंचे और मुमताज को किए वादे को पूरा करने में लग गए।
दिसंबर 1631 में मुमताज के शव को बुरहानपुर से आगरा लाया गया। एक बड़े काफिले के साथ 8 जनवरी 1632 को मुमताज का शव आगरा पहुंचा। शाहजहां ने आगरा में यमुना नदी के किनारे एक भव्य मकबरा बनवाना शुरू किया।
इसके लिए दुनियाभर से हुनरमंद कलाकार बुलाए गए। पत्थरों पर फूल तराशने के लिए अलग, तो अक्षर तराशने के लिए अलग कारीगर बुलवाए गए। कोई कलाकार गुंबद तराशने में माहिर था, तो कोई मीनार बनाने में। 20 हजार से भी ज्यादा कारीगर आगरा में आए जिन्हें ठहराने के लिए एक अलग बस्ती बसाई गई।
इसी तरह दुनियाभर से कीमती पत्थर और रत्नों को लाया गया। दिन-रात ताजमहल को बनाने का काम चलता रहा और करीब 22 साल बाद ताजमहल बनकर तैयार हुआ। आज ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में गिना जाता है। यूनेस्को ने इस इमारत को विश्व धरोहर घोषित कर रखा है। ताजमहल की खूबसूरती देखने हर साल दुनियाभर से डेढ़ लाख से भी ज्यादा पर्यटक आगरा आते हैं।
भारत में बने पहले फाइटर प्लेन ने पहली उड़ान भरी: वहीं आज के ही दिन भारत ने सफल की एक और उड़ान भरी थी। दरअसल आजादी के बाद से ही हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड (HAL) ट्रेनर एयरक्राफ्ट का निर्माण कर रही थी। दुनिया के बाकी विकसित देश सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल कर रहे थे। भारतीय सेना के पास इस तरह के विमान नहीं थे। प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसकी जिम्मेदारी HAL को दी।
उस समय HAL के पास फाइटर प्लेन की डिजाइन और निर्माण का अनुभव नहीं था। नेहरू ने जर्मन वैज्ञानिक कर्ट टैंक से बात की। कर्ट ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस्तेमाल हुए कई बेहतरीन फाइटर प्लेन डिजाइन किए थे। नेहरू के कहने पर कर्ट अगस्त 1956 में भारत आ गए। उन्होंने HAL के डिजाइनर के साथ मिलकर फाइटर प्लेन बनाने की तैयारी शुरू की।
दो साल बाद टैंक की टीम ने फाइटर प्लेन का एक प्रोटोटाइप तैयार कर लिया था। इस प्रोटोटाइप में इंजन नहीं था और इंजन के लिए भारतीय वैज्ञानिकों को खासी मशक्कत करनी पड़ी। आखिरकार आज ही के दिन साल 1961 में पहली बार भारत में बने फाइटर प्लेन ने उड़ान भरी। इसे HF-24 Marut नाम दिया गया।
न्यूयॉर्क पहुंची थी स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी: अब बात करते हैं फ्रांस की ओर से अमेरिका को दी गई अनमोल उपहार की। 4 जुलाई 1776 को अमेरिका ब्रिटेन से आजाद हुआ था। अमेरिका की आजादी की 100वीं सालगिरह पर फ्रांस के लोगों ने अमेरिका को एक गिफ्ट देने के बारे में सोचा। फ्रांस के राजनीतिज्ञ एडुअर्ड डी लाबौले ने प्रसिद्ध फ्रांसीसी मूर्तिकार फ्रेडेरिक ऑगस्टे बार्थेली के साथ मिलकर मूर्ति बनाने की योजना तैयार की।
मूर्ति बनाने में जो भी खर्च आना था, उसे क्राउड फंडिंग के जरिए जुटाने का फैसला लिया गया। क्राउंड फंडिंग के लिए अलग-अलग इवेंट का आयोजन किया गया और एक अखबार में दान की अपील के बाद 1 लाख डॉलर से भी ज्यादा की राशि इकट्ठा हो गई।
लोहे और तांबे की बड़ी-बड़ी प्लेट्स को जोड़कर 200 टन से भी ज्यादा वजनी मूर्ति बनाई गई। जुलाई 1884 में मूर्ति को बनाने का काम पूरा हो गया। इधर अमेरिका में स्टेच्यू को लगाने की जगह भी तय कर ली गई और प्लेटफॉर्म बनाने का काम भी शुरू हो गया।
अब बड़ा काम मूर्ति को फ्रांस से न्यूयॉर्क ले जाना था। विशाल मूर्ति में से 350 छोटे-छोटे हिस्से अलग किए गए और विशेष रूप से तैयार जहाज ‘आइसेर’ के जरिए न्यूयॉर्क लाया गया। आज ही के दिन साल 1885 में ये जहाज न्यूयॉर्क पहुंचा था। 28 अक्टूबर 1886 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने हजारों दर्शकों के सामने स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी का अनावरण किया था l
स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी एक महिला की मूर्ति है, जो स्वतंत्रता की रोमन देवी लिबर्टस का प्रतिनिधित्व करती है। स्टेच्यू के दाएं हाथ में मशाल है और बाएं हाथ में एक किताब या तख्ती है जिस पर JULY IV MDCCLXXVI लिखा हुआ है, ये अमेरिका की आजादी की तारीख है। मूर्ति के मुकुट से सूरज की 7 किरणें निकल रही हैं, जो दुनिया के 7 महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। अमेरिका के लिबर्टी आइलैंड पर स्थित इस मूर्ति को देखने हजारों लोग आते हैं। आइए एक नजर डालते हैं 17 जून को देश और दुनिया में घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
1609 : नीदरलैंड, इंग्लैंड और फ्रांस ने 12 वर्षों के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
1632 : मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी मुमताज महल का निधन।
1674 : शाहजी भोंसले की पत्नी और छत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई का निधन।
1734 : फ्रांसीसी सैनिकों ने राइन में फिलिप्सबर्ग पर कब्जा किया।
1745 : अमेरिकी उपनिवेशों ने लुईबॉर्ग, फ़्रैंक से केप ब्रेटन द्वीप को कैप्चर किया।
1773 : कूकाका, कोलम्बिया की स्थापना जुआना रंगेल डी कुएल्रर द्वारा की गई।
1799: नेपोलियन बोनापार्ट ने इटली को अपने साम्राज्य में शामिल किया।
1839: भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक का निधन हुआ।
1856 : रिपब्लिकन पार्टी ने अपना पहला राष्ट्रीय सम्मेलन फिलाडेल्फिया में किया।
1858 : 1857 के भारतीय स्वतत्रंता संग्राम की नायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई शहीद।
1885 : स्टैचू ऑफ लिबर्टी न्यूयॉर्क के बंदरगाह पहुँचा।
1922 : पुर्तगाली नौसेना के एविएटर गैगो कोतििन्हो और सैकदुरा कैब्राल ने दक्षिण अटलांटिक के पहले हवाई क्रॉसिंग को पूरा किया।
1936 : हेनरिक हिमलर को जर्मन पुलिस का प्रमुख नियुक्त किया गया।
1938 : जापान ने चीन के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी।
1947: बर्मा ने खुद को गणतंत्र घोषित किया।
1950 : मिस्र के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए आम चुनाव हुए।
1963: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों में बाइबिल के आवश्यक पठन पर पाबंदी लगाई।
1970 : शिकागो में पहली बार किडनी प्रत्यारोपण का ऑपरेशन हुआ।
1973 : भारत के जाने-माने टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस का जन्म।
1981 : मिस्र के काहिरा में मुस्लिमों और इसाईयों के बीच संघर्ष में 14 लोगों की मौत।
1985 : जॉन हेन्ड्रिक्स ने अमेरिका में डिस्कवरी चैनल शुरू किया।
1991 : दक्षिण अफ़्रीकी संसद ने जनसंख्या पंजीकरण अधिनियम को निरस्त कर दिया।
1991: राजीव गांधी को मरणोपरांत भारत रत्न दिया गया।
1994 : शिकागो में फीफा विश्वकप फुटबाल की शुरुआत हुई।
2004 : मंगल पर पृथ्वी की चट्टानों से मिलते-जुलते पत्थर मिले।
2008 : देश में विकसित हल्के लड़ाकू विमान ‘तेज़स’ का बेंगलुरु में सफलतापूर्वक परीक्षण।
2012 : साइना नेहवाल तीसरी बार इंडोनेशिया ओपन चैंपियन बनीं।
2017 : पुर्तगाल में जंगल की आग से 64 लोगों की मौत और 204 अन्य घायल।