स्पोर्ट्स डेस्कः टीम इंडिया लगातार दूसरी बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) का खिताब जीतने से चूक गई। डब्ल्यूटीसी के फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 209 रनों से हरा दिया। आपको बता दें कि पिछले 10 साल में भारतीय टीम 8 ICC टूर्नामेंट के नॉकआउट में पहुंची, इनमें चार फाइनल खेले, लेकिन एक भी खिताब नहीं जीत सकी। तो चलिए अब हम आपको बताने जा रहे हैं, उन वजहों को जिसकी वजह से टीम इंडिया के हाथ मायूसी लगी और उसे डब्ल्यूटीसी के फाइनल मैच में हार का सामना करना पड़ा।

  • टीम इंडिया को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की तैयारी करने का बहुत कम टाइम मिला। हमारे कुछ खिलाड़ी IPL का फाइनल खेलने के बाद सीधे इंग्लैंड पहुंचे और एक हफ्ते से भी कम समय में खिताबी मुकाबला खेलने उतर गए। और तो और इस अहम मैच से पहले टीम इंडिया को प्रैक्टिस मैच खेलने तक का मौका नहीं मिला। इसका असर खिताबी मुकाबले में देखने को मिला। टीम के बैटर्स इंग्लिश कंडीशंस को समझ नहीं सके। अजिंक्य रहाणे और शार्दूल ठाकुर को छोड़ कर कोई भी फिफ्टी नहीं लगा सका।
  • कई बार भारतीय टीम ओवरसीज कंडीशन पर खराब स्टार्ट करती है और पहला टेस्ट गंवा देती है, लेकिन बाद में दमदार वापसी की है। ऐसा हमें पिछले 2-3 सालों में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में देखने को मिला है।
  • मैच के बाद भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने WTC फाइनल की टाइमिंग और वेन्यू पर सवाल उठाते हुए कहा कि WTC फाइनल की टाइमिंग सही नहीं थी। आमतौर पर WTC का फाइनल मुकाबला जून महीने में इंग्लैंड पर खेला जाता है, जबकि इंडियन प्रीमियर लीग मार्च से मई तक होती है, ICC ने IPL को यही विंडो दी है।
  • टीम इंडिया फाइनल मुकाबले में अपनी पूरी स्ट्रेंथ के साथ नहीं उतरी। टीम के 4 बेस्ट प्लेयर मौजूद नहीं थे। विकेटकीपर केएल राहुल, मीडिल ऑर्डर बैटर श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत और तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह यह मैच नहीं खेल रहे थे। अय्यर, राहुल और बुमराह चोटिल हैं, जबकि पंत कार एक्सीडेंट से रिकवरी कर रहे हैं।
  • फाइनल मुकाबले में चारों की कमी खली। आमतौर पर टॉप ऑर्डर के फ्लॉप होने पर अय्यर और पंत बीच में रन बनाकर भारतीय पारी को बिखरने से बचाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं था।
  • ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों की तैयारी भारतीयों से बेहतर थी। ऑस्ट्रेलियन प्लेयर्स ने कुछ महीने पहले ही इस मुकाबले की तैयारी शुरू कर दी थी। कप्तान पैट कमिंस सहित आधे से ज्यादा खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया में इंग्लैंड जैसी पिच बनाकर अभ्यास करते रहे। जबकि स्टीव स्मिथ, मार्नस लाबुशेन और मार्कस हैरिस ने काउंटी के दौरान इंग्लैंड की पिचों पर बैटिंग का अभ्यास किया। इस मुकाबले के चलते कंगारू टीम के 13 खिलाड़ियों ने IPL से किनारा भी कर लिया था।
  • मैच की रणनीति और प्लानिंग, थिंक टैंक भी कमजोर द ओवल मैदान पर खेले गए फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम की रणनीति ठीक नहीं रही। टीम का थिंक टैंक भी कमजोर दिखा। टॉस के दौरान कप्तान पिच कंडीशन को भांप नहीं सके और पहले बॉलिंग करने का फैसला ले लिया। ओवल में धूप खिलते ही पिच का मिजाज बदला और मैच की परिस्थितयां भी बदल गईं। बॉल पिच पर घास होने के बाद भी कम स्विंग कर रही थी। ऐसे में ऑस्ट्रेलियन बैटर्स ने खूब रन बनाए और पहली पारी में 469 रन का स्कोर खड़ा किया।
  • मुकाबले में रोहित-द्रविड़ का टीम सिलेक्शन भी सवालों के घेरे में रहा। रोहित चार तेज गेंदबाज और एक स्पिन ऑलराउंडर्स के साथ उतरे। उन्होनें रविचंद्रन अश्विन को बाहर बैठाया, जबकि रवींद्र जडेजा बतौर स्पिन ऑलराउंडर उतरे। अश्विन इस समय टेस्ट में दुनिया के नंबर-1 गेंदबाज हैं। इतना ही नहीं चैंपियनशिप के मौजूदा सीजन के टॉप विकेट टेकर की सूची में तीसरे नंबर पर भी हैं। अश्विन को नजरअंदाज करना भारत को भारी पड़ा
  • डब्ल्यूटीसी के फाइनल मैच की पहली पारी के दौरान स्टीव स्मिथ और ट्रेविस हेड के बीच चौथे विकेट के लिए 285 रन की पार्टनरशिप हुई। इस पार्टनरशिप ने मैच में अंतर पैदा कर दिया। इसी साझेदारी के दम पर ऑस्ट्रेलियन पहली पारी में 450+ का स्कोर खड़ा करने में कामयाब हो गए। भारतीय टीम पूरे मुकाबले में बड़े स्कोर के दवाब से ही नहीं उबर सकी।

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