जनरल डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः यदि आप विदेशी जीव और पौधे रखते हैं तो इसकी जानकारी आपको सरकार को देनी पड़ेगी। साथ ही इस पर इनका आयात करने के लिए पहले अनुमति लेगी होगी। इस संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन्यजीव विभाग ने एक मशविरा पत्र जारी किया है।

मंत्रालय ने सीआईटीईएस यानी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन की पहली, दूसरी और तीसरी अनुसूची में शामिल विदेशी जीवों एवं पौधों के पंजीकरण और आयात के नियम तय किये हैं। मंत्रालय के अनुसार जिन व्यक्तियों के पास पहले से ऐसे जीव या पौधे मौजूद हैं उन्हें भी पंजीकरण कराना होगा। यदि ऐसे लोग अगले छह महीने तक पंजीकरण कराने पर उन्हें इन जीवों और पौधों के आयात के प्रमाण के रूप में कोई कागजात नहीं देना होगा। छह महीने बाद उन्हें इसके लिए कागजात पेश करने होंगे।विदेशी जीवों और पौधों के मालिकों को अपने राज्यों के मुख्य वन्यजीव संरक्षक को विशेष फॉर्मेट में इसकी जानकारी देनी होगी। राज्य के मुख्य वन्य जीव संरक्षक प्रत्यक्ष निरीक्षण कर दी गई सूचना का मिलान करेंगे और इसके बाद उन्हें रिकॉर्ड में शामिल कर छह महीने के भीतर ऑनलाइन प्रमाणपत्र जारी करेंगे। पंजीकरण के बाद यदि इनमें से किसी जीव या पौधे की मौत हो जाती है या उनका मालिक उसे किसी और बेच अथवा सौंप देता है तो एक महीने के भीतर इसकी भी जानकारी देनी होगी। वहीं विदेशी जीवों या पौधों के आयात के लिए राज्य के मुख्य वन्यजीव संरक्षक के पास ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा और उनसे अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा। इसके बाद विदेश व्यापार महानिदेशालय में आवेदन करना होगा। मालिक के लिए विदेश से आयातित जीवों और पौधों के स्वास्थ्य का पूरा रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा।

आपको बता दें कि सीआईटीईएस के पहली अनुसूची में ऐसे जीव या पौधे हैं जो लुप्त होने की कगार पर हैं। दूसरी अनुसूची में ऐसे जीव एवं पौधे हैं जो अभी लुप्तप्राय नहीं हैं, लेकिन जिस प्रकार उनका व्यापार हो रहा है, भविष्य में वे लुप्त होने की कगार पर पहुंच सकते हैं। तीसरी अनुसूची में वे जीव एवं पौधे हैं जिनके लिए किसी दूसरे सम्मेलन की तरफ से अनुरोध किया गया है।

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