दिल्लीः आज राम नवमी यानी प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव है।वैदिक शास्त्रों के मुताबिक चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव को देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि पर भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। रामनवमी पर रामायण और रामरक्षा स्त्रोत का पाठ पढ़ा जाता है। इस दिन सभी मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान राम का जन्म दोपहर के प्रहर में हुआ था। मुहूर्त शास्त्र में दोपहर के अभिजीत मुहूर्त को सबसे शुभ मुहूर्त माना गया है। भगवान श्रीराम का जन्म कर्क लग्न, अभिजीत मुहूर्त, सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह के विशेष योग में हुआ था। चैत्र नवरात्रि के समापन पर तिथि पर राम नवमी का त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं रामनवमी पर्व पर पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और महत्व…

राम नवमी तिथि 2023
चैत्र नवमी तिथि का आरंभ: 29 मार्च 2023, रात्रि  09:07 मिनट से
चैत्र नवमी तिथि समाप्त: 30 मार्च 2023, रात्रि 11 बजकर 30 पर

शुभ मुहूर्तः
नवमी तिथि आरंभ: 29 मार्च 2023, रात्रि  09:07 मिनट से
नवमी तिथि समाप्त: 30 मार्च 2023, रात्रि 11:30 मिनट पर

सुबह- 11:11 से 01: 40  तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:57 से 12:46 तक
ब्रह्ममुहूर्त:  04:49 से 05:37 तक
अमृतकाल: शाम 08:18 से 10:05 तक

शुभ संयोगः  इस बार रामनवमी पर ग्रह-नक्षत्रों का बहुत ही शुभ और दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार रामनवमी के पर्व पर एक साथ 5 दुर्लभ संयोग बन रहा है। राम नवमी पर अमृत सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, शुभ योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहे हैं। इसके अलावा रामनवमी गुरुवार के दिन पड़ने से इसका महत्व काफी बढ़ गया है।

पूजा विधि (Ram Navmi Puja Vidhi 2023)- हिंदू धर्म में रामनवमी का त्योहार बहुत ही खास होता है। चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन पर भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही उत्साह और भक्तिभाव से मनाया जाता है। आइए जानते हैं रामनवमी की संपूर्ण पूजा विधि-

  • सबसे पहले सुबह जल्दी उठ कर दैनिक क्रिया करते हुए स्नान करें और साफ-सुथरा वस्त्र धारण करते हुए सबसे पहले सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
  • पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करते हुए सफाई करें।
  • हाथ में अक्षत लेकर पूजा और व्रत का संकल्प लें और भगवान राम की पूजा आराधना शुरू करें
  • पूजन में माला, फूल, फल, मिठाई, रोली,चंदन, धूप, दीपक, तुलसी के पत्ते से भगवान राम संग माता सीता की पूजा करें।
  • रामचरितमानस, रामायण, रामरक्षास्तोत्र, बजरंग बाण और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • अंत में भगवान राम की आरती करते हुए भगवान राम, माता सीता और हनुमानजी से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्राप्त करें।

इन मंत्रों का करें जापः
ॐ श्री रामाय नमः॥
श्री राम जय राम जय जय राम॥
ॐ दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि,तन्नो राम प्रचोदयात्॥

आपको बता दें कि हिंदू धर्म में चार नवरात्रि होती है, जिनमें दो गुप्त नवरात्रि होती है, जबकि चैत्र तथा शारदीय नवरात्रि पूरे धूमधाम के साथ मनाई जाती है। इन दोनों ही नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा का विधान है, लेकिन दोनों ही चैत्र तथा शारदीय नवरात्रि की नवमी और दशमी तिथि का संबंध भगवान राम से भी है। शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि को भगवान राम ने रावण का वध किया था। वहीं चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम का जन्म हुआ था। उस दिन राम नवमी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में राम नवमी के पर्व का बेहद खास महत्व है। इस दिन जो भी भक्त पूरे भक्ति भाव और विधि विधान से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा करते हैं, उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। ऐसे में चलिए आज जानते हैं नवरात्रि और रामनवमी का कनेक्शन एवं पूजा विधि…

नवरात्रि और रामनवमी का कनेक्शनः  हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि में नवमी तिथि के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में मान्यता है कि चैत्र माह की शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने प्रभु श्री राम के रूप में धरती पर अपना सातवां अवतार लिया था। तभी से ये पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।

रामनवमी का महत्वः  रामनवमी के दिन पूरे देश में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। अयोध्या में रामनवमी के मौके पर भव्य कार्यक्रम और मेले आयोजित किए जाते हैं। मान्यता है कि रामनवमी के दिन मां भगवती और श्रीराम की पूजा पूरे विधि विधान से करने वाले भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही उनके जीवन से कष्टों का नाश होता है। रामनवमी के साथ नवरात्रि का समापन भी किया जाता है। यही वजह है कि इस दिन कई लोग कन्या पूजन कर माता रानी की आराधना करते हैं।

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