दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भोपाल गैस कांड के पीड़ितों का मुआवजा बढ़ाने की मांग करने वाली केंद्र सरकार की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामलों को दोबारा खोलने से पीड़ितों की मुश्किलें बढ़ेगी। केंद्र सरकार की इस याचिका में गैस पीड़ितों को यूनियन कार्बाइड से करीब 7,800 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग की गई थी।

इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल , जस्टिस संजीव खन्ना , जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने कहा कि केस दोबारा खोलने पर मुश्किलें बढ़ेंगी। 03 दिन तक दलीलें सुनने के बाद 5 जजों की बेंच ने इस साल 12 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि पीड़ितों को अधर में नहीं छोड़ सकते।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन पर और ज्यादा मुआवजे का बोझ नहीं डाला जा सकता। हम इस बात से निराश हैं कि इस पर पहले ध्यान नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को नुकसान की तुलना में करीब 06 गुना ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है। केंद्र सरकार RBI के पास पड़े 50 करोड़ रुपए में से पीड़ितों की मदद जरूरत के मुताबिक करे। कोर्ट ने कहा कि अगर ये केस दोबारा खोला जाता है, तो यह यूनियन कार्बाइड के लिए ही फायदेमंद होगा, जबकि पीड़ितों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 2010 में दाखिल की थी क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी।

गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया था, लेकिन पीड़ितों ने ज्‍यादा मुआवजे की मांग करते हुए कोर्ट में अपील की। केंद्र ने 1984 की गैस कांड पीड़ितों को डाउ केमिकल्स से 7,844 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा मांगा है। इसके लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी।

उधर, गैस पीड़ित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बताया था कि 1997 में मृत्यु के दावों के रजिस्ट्रेशन को रोकने के बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट को बता रही है कि आपदा से केवल 5,295 लोग मारे गए। आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 1997 के बाद से आपदा के कारण होने वाली बीमारियों से हजारों लोग मरते रहे हैं। मौतों का असली आंकड़ा 25 हजार से ज्यादा है।

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा के मुताबिक, यूनियन कर्बाइड को इसकी जानकारी थी कि गैस रिसाव की वजह से स्थायी नुकसान होगा। सरकार से भी यह बात छुपाई गई थी।

अब जानिए क्या है भोपाल गैस कांडः 2-3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात गैस त्रासदी हुई। यूनियन कार्बाइड कारखाने के 610 नंबर के टैंक में खतरनाक मिथाइल आइसोसायनाइड रसायन था। टैंक में पानी पहुंच गया। तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया। धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वॉल्व उड़ गया। उस समय 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था।

उस वक्त एंडरसन यूनियन कार्बाइड का प्रमुख था। हादसे के चार दिन बाद वह अरेस्ट हुआ, लेकिन जमानत मिलने के बाद अमेरिका लौट गया। फिर कभी भारतीय कानूनों के शिकंजे में नहीं आया। उसे भगोड़ा घोषित किया गया। अमेरिका से प्रत्यर्पण के प्रयास भी हुए, लेकिन कोशिशें नाकाम रहीं। 92 साल की उम्र में एंडरसन की मौत 29 सितंबर 2014 में अमेरिका के फ्लोरिडा में हो गई थी।

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