दिल्लीः अगर आप आतंकवाद का उद्योग लगाएंगे, तो इस तरह की बड़ी दिक्कतें तो आएंगी। यह टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को लेकर की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने मुश्किलों के लिए खुद जिम्मेदार है। जशंकर ने एशिया इकोनॉमिक डायलॉग में कहा कि अगर आप टेरेरिज्म इंडस्ट्री चलाएंगे तो इस तरह की बड़ी दिक्कतें तो आएंगी ही। उन्होंने पाकिस्तान की मदद के मुद्दे पर कहा कि हम सबसे पहले यह देखेंगे कि भारत के लोग इस बारे में क्या सोचते हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर गुरुवार को एशिया इकोनॉमिक डायलॉग में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। यह इवेंट फॉरेन मिनिस्ट्री ने ही ऑर्गनाइज किया है। पाकिस्तान को छोड़कर तमाम पड़ोसी देशों के डेलिगेशन और मिनिस्टर्स यहां मौजूद थे।
दिवालिया होने की कगार पर खड़े पाकिस्तान की इकोनॉमी और पॉलिटिक्स पर भारतीय विदेश मंत्री से कुछ सवाल पूछे गए। एक ऐसे ही सवाल पर जयशंकर ने कहा- ऐसा कोई भी देश मुश्किलें दूर करके तरक्की नहीं कर सकता, जिसकी बेसिक इंडस्ट्री ही टेरेरिज्म हो।
इसके बाद उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान के इस वक्त जो हालात हैं, उनमें भारत को उसकी मदद नहीं करनी चाहिए। भारत ने श्रीलंका को इसी तरह के हालात में हर तरह की मदद दी थी। इस स सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “असली मुद्दा आतंकवाद का है और भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में यही सबसे बड़ा अड़ंगा है। भारत इस मसले को कैसे नजरअंदाज कर सकता है। अगर पाकिस्तान में इसी तरह टेरेरिज्म इंडस्ट्री चलती रहेगी तो उसकी मुश्किलें भी खत्म नहीं होंगी। रही बात भारत उसे कैसे मदद करे तो मैं साफ कर देना चाहता हूं कि इसके पहले मुझे अपने देश के लोगों की भावनाएं भी समझनी होंगी। मुझे ये समझना होगा कि मेरे देशवासी पाकिस्तान की मदद को लेकर क्या सोचते हैं। इससे ज्यादा मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है, क्योंकि देश के लोगों का जवाब तो आपको मालूम ही है।“
आपको बता दें कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने कुछ दिन पहले कहा था कि पाकिस्तान दिवालिया हो चुका है। हम सब एक डिफॉल्ट हो चुके देश में रह रहे हैं। पाकिस्तान की आर्थिक तंगी को लेकर रक्षा मंत्री ने यहां तक कह दिया कि अब IMF भी हमारी मदद नहीं कर सकता है। हमें खुद ही इसका हल खोजना होगा।
उन्होंने देश के आर्थिक हालातों को लेकर नेताओं और नौकरशाही को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के संविधान का पालन नहीं किया गया। आसिफ ने इमरान की सरकार पर देश में आतंकियों को पनाह देने के आरोप लगाए।
31 जनवरी 2023 को नाथन पोर्टर के नेतृत्व में IMF की एक टीम पाकिस्तान पहुंचती है। वित्त मंत्री इशहाक डार के साथ इस टीम की दो चरणों में बैठक होती है। पहले चरण की बैठक 31 जनवरी से 3 फरवरी तक, जबकि दूसरे चरण की बैठक 3 फरवरी से 9 फरवरी तक चलती है।
बैठक में पाकिस्तान बेलआउट पैकेज के तहत IMF से कर्ज की मांग कर रहा था। दरअसल, 2019 में इमरान खान की सरकार के रहते IMF ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज के तहत 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा की मदद देने का वादा किया था। अब इसी वादे के तहत पाकिस्तान IMF से 1.1 बिलियन डॉलर की एक और किश्त मांग रहा है। हालांकि इसके लिए 10 दिनों तक चली यह बैठक बेनतीजा रही। MF की टीम पाकिस्तान से लौट गई।
IMF ने एक बार फिर से पाकिस्तान को MEFP नाम का मेमोरेंडम देने से इनकार कर दिया है। ये वो मेमोरेंडम है जिसके हाथ लगते ही पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज मिल जाएगा। IMF चाहता है कि पहले पाकिस्तान सरकार अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए उसकी शर्तों को माने।
आईएमएफ ने पाकिस्तान के सामने कौन सी शर्त रखी हैः
- IMF का कहना है कि पाकिस्तान पहले से ही 900 अरब डॉलर सर्कुलर कर्ज का सामना कर रहा है। ऐसे में अगर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए पाकिस्तान सरकार अभी कोई कड़ा फैसला नहीं लेती है तो इससे पार पाने में आगे काफी मुश्किल होगी। ऐसे में पाकिस्तान की जनता से अलग-अलग टैक्स के जरिए 170 अरब रुपए वसूलने की सलाह दी गई है।
- पाकिस्तान अपनी इकोनॉमी को बेहतर करने के लिए सामानों के निर्यात पर टैक्स में छूट दे। इसके बाद देश में तैयार माल दूसरे देशों में जाएगा, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
- पाकिस्तान के पास किसी भी हाल में विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी डॉलर की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए सऊदी अरब, चीन और UAE से मदद मांगने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
- महज 3 अरब डॉलर के फॉरेन रिजर्व (डिपॉजिट) के साथ दिवालिया होने की कगार पर खड़े पाकिस्तान को बचाने की आखिरी कोशिश भी शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने बुधवार रात सरकारी खर्च में जबरदस्त कटौती से जुड़े अहम ऐलान किए। कहा- मैं और कैबिनेट के बाकी मिनिस्टर्स सैलरी नहीं लेंगे। तमाम केंद्रीय मंत्री बिजली, पानी, गैस और टेलिफोन के बिल जेब से भरेंगे।
- शरीफ के मुताबिक- मंत्रियों के पास मौजूद लग्जरी गाड़ियां नीलाम की जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और ब्यूरोक्रेसी से भी खर्च में कटौती की अपील की गई है। हैरानी वाली बात ये है कि मुल्क बनने के बाद से अब तक (76 साल) के दौर में करीब आधा वक्त देश चला चुकी ताकतवर फौज के बजट पर शरीफ एक लफ्ज भी नहीं बोले। वो भी तब जबकि उसके पास अरबों रुपए का बजट है।