Old compass on vintage map with rope closeup. Retro stale

दिल्लीः उत्तरी आयरलैंड में मैरी मालोन का जन्म 23 सितंबर 1869 को हुआ था। मैरी जब 15 साल की थीं, तब वह आयरलैंड से अमेरिका आ गईं। यहां आकर उन्होंने कुकिंग और नौकरानी का काम किया। 1900 से 1907 तक मैरी ने न्यूयॉर्क के 8 परिवारों में नौकरानी का काम किया। इनमें से 7 परिवारों में टायफाइड नाम की बीमारी फैल गई। टायफाइड के बारे में माना जाता है कि ये बीमारी बिना किसी कैरियर के नहीं फैलती।

1906 के आखिर में एक परिवार में टायफाइड की बीमारी फैली। इसी परिवार में मैरी काम किया करती थीं। इसके बाद अमेरिका के एक डिटेक्टिव जॉर्ज सोपर को जिम्मेदारी दी गई कि वह पता लगाएं कि टायफाइड बीमारी फैल कहां से रही है, जबकि वहां तो इसकी कोई हिस्ट्री भी नहीं है। 15 जून 1907 को जॉर्ज सोपर ने अपनी फाइंडिंग छापी, जिसमें लिखा कि उस परिवार ने टायफाइड फैलने से तीन पहले ही मैरी को अपने यहां काम पर रखा था और बीमारी फैलने के तीन हफ्ते बाद मैरी वहां से चली गईं। सोपर ने शक जताया कि मैरी ही टायफाइड की कैरियर हैं।

सोपर की फाइंडिंग्स सामने आने के बाद न्यूयॉर्क हेल्थ डिपार्टमेंट ने मैरी को गिरफ्तार कर लिया। बाद में जब मैरी के सैम्पल्स की जांच की गई, तो पता चला कि उनके गॉल ब्लैडर में टायफाइड के बैक्टीरिया हैं। उसके बाद 19 मार्च 1907 को मैरी को क्वारंटीन कर दिया गया। उन्हें न्यूयॉर्क के नॉर्थ ब्रदर आइसलैंड में क्वारैंटन किया गया। हफ्ते में तीन बार उनके सैम्पल लिए जाने लगे। ताज्जुब की बात ये थी कि मैरी में टायफाइड का कोई लक्षण था ही नहीं। यही वजह थी कि वह जाने-अनजाने टायफाइड की कैरियर बन गई थीं और इसी कारण उनका नाम भी टायफाइड मैरी पड़ गया था।

करीब 3 साल तक क्वारंटीन रहने के बाद मैरी को आज ही के दिन 1910 में क्वारंटीन सेंटर से रिहा किया गया। उन्हें इस शर्त पर छोड़ा गया कि वो अब कुकिंग या नौकरानी का काम नहीं करेंगी। क्वारैंटाइन सेंटर से निकलने के बाद मैरी ने यहां-वहां कुछ काम किया, लेकिन ज्यादा दिनों तक काम नहीं कर पाईं।

1915 में मैरी ने न्यूयॉर्क के एक महिला अस्पताल में काम करना शुरू किया। उसके बाद वहां की 25 मरीज टायफाइड से संक्रमित हो गईं। दोबारा जॉर्ज सोपर को इसके लिए बुलाया गया। उन्होंने मैरी को पहचान लिया। उसके बाद मैरी को 27 मार्च 1915 को फिर से नॉर्थ ब्रदर आइसलैंड के एक अस्पताल में क्वारैंटाइन कर दिया गया। अपनी मौत से 6 साल पहले मैरी पैरालाइज्ड हो गईं। 11 नवंबर 1938 को क्वारंटीन सेंटर में ही निमोनिया की वजह से मैरी की मौत हो गई।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैरी की वजह से 50 से ज्यादा लोग टायफाइड से संक्रमित हुए थे। इनमें से तीन की मौत हो गई थी। आपको बता दें कि  मैरी मालोन का केस दुनिया का पहला ऐसा मामला था, जिसमें किसी एसिम्प्टमैटिक कैरियर को जबरन क्वारंटीन किया गया। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 19 फरवरी को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर…

1389: दिल्ली के सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक द्वितीय की हत्या हुई।
1473: प्रसिद्ध यूरोपिय खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ निकोलस कॉपरनिकस का जन्म।
1630: मराठा शासक शिवाजी का जुन्नेर में जन्म।
1719: मुगल शासक फर्रुखसियार की हत्या हुई।
1891: अमृत बाज़ार पत्रिका का दैनिक प्रकाशन शुरू हुआ।
1915: महान स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले का निधन।
1956: भारत के प्रसिद्ध विद्वान एवं विचारक नरेन्द्र देव का निधन।
1978: गायक पंकज मलिक का निधन। उन्हें 1972 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
1986: देश में पहली बार कंप्यूटरीकृत रेलवे आरक्षण टिकट की शुरुआत हुई।
1992: प्रसिद्ध भारतीय चित्रकारनारायण श्रीधर बेन्द्रे का निधन।
1993: हैती के पास समुद्र में 1500 यात्रियों सहित एक जहाज डूबा।
1997: चीन के सर्वोच्च नेता डेंग जिएआउपिंग का 92 साल की उम्र में निधन। डेंग जिएआउपिंग को आर्थिक सुधारों के लिए भी जाना जाता है।
1999: डेनमार्क के वैज्ञानिक डॉक्टर लेन वेस्टरगार्ड ने वाशिंगटन में प्रकाश की गति धीमी करने में सफलता पाई।
2001: ब्राजील की जेलों में दंगे, आठ मरे, 7000 लोगों को क़ैदियों ने बंधक बनाया।
2000 : तुवालू संयुक्त राष्ट्र का 189वां सदस्य बना।
2003: संयुक्त अरब अमीरात ने दाऊद के भाई इकबाल शेख और उसके सहयोगी एजाज पठान को भारत को सौंपा।
2004: कीटनाशकों और औद्योगिक रसायनों पर प्रतिबंध लगाने वाली स्टॉकहोम संधि का विश्व के 50 से ज्यादा देशों द्वारा अनुमोदन।
2006: पाकिस्तान ने हत्फ द्वितीय (अब्दाली) मिसाइल का परीक्षण किया।
2008: फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा के राष्ट्रपति का पद छोड़ा।
2019: हिन्दी के प्रसिद्ध कवि एवं आलोचक नामवर सिंह का निधन।

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