पटनाः 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी 100 सीटों के अंदर सिमटर कर रह जाएगी, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस 2024 के लिए क्या रणनीति अपनाती है। यह कहना है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का। नीतीश शनिवार को पटना में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-ML) के अधिवेशन में शामिल हुए और उन्होंने एक बार फिर विपक्षी एकता पर जोर दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस को निर्णय लेना होगा कि 2024 में क्या रणनीति होनी चाहिए और विपक्षी एकता को किस तरह से मजबूत करना चाहिए। यदि कांग्रेस इस बात पर तैयार हो जाए तो 2024 में बीजेपी 100 सीटों के अंदर सिमट कर रह जाएगी।

उधर, नीतीश की सलाह पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जी जो आप सोचते हैं, वह कांग्रेस भी सोचती है। बस बात इतनी सी है कि पहले आई लव यू कौन कहेगा। कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने नीतीश कुमार को जवाब देते हुए कहा कि हम आपकी बात को आलाकमान तक पहुंचा देंगे, मैं एक वकील हूं, आपकी वकालत कर दूंगा।

आपको बता दें कि शनिवार को भाकपा माले के अधिवेशन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और माले के महासचिव दीपंकर भट्‌टाचार्य भी शामिल हुए।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाकपा-माले के मंच से कहा कि विपक्ष एकता की कवायद चल रही है। आप लोगों के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। कई पार्टियां एकजुट होने के लिए तैयार हैं। बस आपके फैसले का इंतजार है। देश के हित में सोचेंगे तो आपको ही फायदा होगा और दोस्त को भी फायदा होगा। नीतीश कुमार ने कांग्रेस से कहा कि हमको कुछ नहीं चाहिए। हम चाहते हैं सभी एकजुट होकर 2024 में भाजपा का सामना करें। हम पहले भी साथ चल रहे थे, आगे भी साथ चलेंगे। सलमान खुर्शीद सामने बैठे हैं। हम लोगों ने विपक्षी एकता के लिए जाकर दिल्ली में संदेश दे दिया था। अब हम लोग कांग्रेस का इंतजार कर रहे हैं।

वहीं भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज देश में संविधान खतरे में है। ऐसे ऐसे में देश में जितनी विपक्षी पार्टियां हैं, उन सभी को एकजुट होना होगा और समय बहुत कम है। 2024 के चुनाव से पहले विपक्ष की एकता जरूरी है।

उधर, आरजेडी नेता एवं बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी मनुस्मृति की थ्योरी को संविधान बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि बीजेपी मंदिर, मस्जिद, गाय की चर्चा करती रहती। नफरत की राजनीति फैलाने वाले लोग यह जान लें कि देश किसी के बाप का नहीं, जो मुसलमानों से वोटिंग का अधिकार छीन लें। भाजपा और आरएसएस मनुस्मृति और गोलवलकर की थ्योरी को संविधान बनाना चाहती, लेकिन देश की जनता इसे कभी पूरा नहीं होने देगी। उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कहा कि हम सभी कांग्रेस का इंतजार कर रहे हैं।

आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने पिछले दिनों विपक्षी एकता को एकजुट करने की कवायद शुरू की थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के बिना भाजपा को हराया नहीं जा सकता है। इसके लिए कांग्रेस को अपनी विपक्षी एकता में शामिल करना ही होगा। कुछ लोगों ने सहमति जताई तो कुछ लोगों ने असहमति जताई थी। पिछले साल लालू यादव के साथ नीतीश कुमार मिलने कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली गए थे, लेकिन सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं हुई थी। तब ये कयास लगाई जाने लगी कि नीतीश कुमार के फार्मूला से कांग्रेस सहमत नहीं है।

नीतीश कुमार का फार्मूला यह है कि चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद को लेकर कोई भी विवाद नहीं होना चाहिए। किसी एक चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल बस इस उद्देश्य से चुनाव लड़े कि भाजपा को हराना है और जब भाजपा हार जाएगी और विपक्षी एकता जीत जाएगी तो मिल बैठकर प्रधानमंत्री के चेहरे का फैसला कर लिया जाएगा। अब ऐसे में कांग्रेस इस बात को लेकर अपनी सहमति नहीं दी थी। नीतीश कुमार बार-बार कह रहे हैं कि कांग्रेस को फैसला लेना है और यदि कांग्रेस फैसला ले ले तो आगे का राह आसान हो जाएगा।

हालांकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा समापन पर सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को निमंत्रण दिया गया था, लेकिन दोनों नेता इसमें शामिल नहीं हुए थे।

माले का 11वां राष्ट्रीय महाधिवेशन पटना के एसकेएम हॉल में चल रहा। 16 फरवरी से यह महाधिवेशन चल रहा है। 15 फरवरी को माले की ओर से पटना के गांधी मैदान मे बड़ी रैली की गई थी। महाधिवेशन में भाग लेने चर्चित लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय भी पटना आईं। महाधिवेशन में दुनिया के 11 देशों से नेता पहुंचे। देश-दुनिया की वर्तमान समस्याओं के समाधान पर विस्तार से चर्चा हुई। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संकट पर भी मंथन हुआ।

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