दिल्लीः महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ग्रह दशा पिछले कुछ समय से ठीक नहीं चल रही है। पहले मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छीनी और जिस पार्टी की उनके पिता बाल ठाकरे ने बनाया था, वह भी छीन गई। जी हां चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया है। आयोग ने शुक्रवार शाम को शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। आयोग ने पाया कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है और उद्धव गुट ने बिना चुनाव कराए अपनी मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से पदाधिकारी नियुक्त करने के लिए इसे बिगाड़ा।
चुनाव आयोग ने यह भी पाया कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई। इन तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था। पार्टी की ऐसी संरचना भरोसा जगाने में नाकाम रहती है। इसी के साथ महाराष्ट्र में शिवसेना से अब उद्धव गुट की दावेदारी खत्म मानी जा रही है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग के फैसले पर कहा, “यह हमारे कार्यकर्ताओं, सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों और लाखों शिवसैनिकों सहित बालासाहेब और आनंद दीघे की विचारधाराओं की जीत है। यह लोकतंत्र की जीत है।“ उन्होंने कहा कि यह देश बाबासाहेब अंबेडकर की ओर से तैयार किए गए संविधान पर चलता है। हमने उस संविधान के आधार पर अपनी सरकार बनाई। चुनाव आयोग का आज जो आदेश आया है, वह मेरिट के आधार पर है। मैं चुनाव आयोग का आभार व्यक्त करता हूं।
वहीं राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “CM एकनाथ शिंदे की शिवसेना को शिवसेना का चिन्ह और नाम मिला है। असली शिवसेना एकनाथ शिंदे की शिवसेना बनी है। हम पहले दिन से आश्वस्त थे, क्योंकि चुनाव आयोग के अलग पार्टियों के बारे में इसके पहले के निर्णय देखे तो इसी प्रकार का निर्णय आए हैं।“
उधर, चुनाव आयोग के फैसले पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट किया, “इसकी स्क्रिप्ट पहले से तैयार थी। देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है। कहा गया था कि नतीजा हमारे पक्ष में होगा, लेकिन अब एक चमत्कार हो गया है। लड़ते रहो। ऊपर से नीचे तक करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया है। हमें फिक्र करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जनता हमारे साथ है। हम जनता के दरबार में नया चिह्न लेकर जाएंगे और फिर से शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे, ये लोकतंत्र की हत्या है।“
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने शिवसेना पर शिंदे गुट के दावे को लेकर चुनाव आयोग की कार्यवाही पर लगी रोक हटा दी थी। कोर्ट ने पिछले साल 27 सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि आयोग शिवसेना के चुनाव चिह्न पर फैसला कर सकता है। यह उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि उन्होंने विधायकों की योग्यता पर फैसला होने तक इलेक्शन कमीशन की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।
इससे पहले, उद्धव की याचिका पर सुनवाई करते हुए 23 अगस्त को जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने केस संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर करते हुए चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जस्टिस रमना ने कहा था कि संवैधानिक बेंच यह तय करेगी कि आयोग की कार्यवाही जारी रहेगी या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में शिवसेना बनाम शिंदे गुट विवाद पर फैसला 21 फरवरी तक टाल दिया है। बेंच ने कहा, ‘नबाम रेबिया के सिद्धांत इस मामले में लागू होते हैं या नहीं, केस को 7 जजों की बेंच को भेजा जाना चाहिए या नहीं, ये मौजूदा केस के गुण-दोष के आधार पर तय किया जा सकता है। इसे मंगलवार को सुनेंगे।’
CJI की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ इस केस को 7 जजों की बेंच को रेफर करने का फैसला एक दिन पहले सुरक्षित रख लिया था। बेंच में जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा समेत CJI डीवाय चंद्रचूड़ भी शामिल थे।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को फटकार लगाई थी। CJI ने कहा कि सरकार बनाने की प्रक्रिया में राज्यपाल को राजनीति से दूर रहना चाहिए। कोई भी धड़ा यदि सरकार बनाने का दावा करता है तो राज्यपाल को सदन में विश्वास मत सुनिश्चित करना चाहिए।
महाराष्ट्र में जून 2022 में CM एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को उद्धव ठाकरे गुट ने अयोग्य ठहराने की मांग की थी। हालांकि, ठाकरे गुट की मांग से पहले ही शिंदे गुट की ओर से डिप्टी स्पीकर सीताराम जिरवाल को हटाने का नोटिस लंबित था।