दिल्लीः कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ यात्रा फिलहाल जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के बनिहाल में रोक दी गई है। कांग्रेस का आरोप है कि यात्रा को घाटी जाने के लिए पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल रही है। उधर, राहुल गांधी यात्रा को छोड़कर खन्नाबल अनंतनाग को रवाना हो गए हैं।
प्रदेश कांग्रेस की रजनी पाटिल ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि प्रशासन भारत जोड़ो यात्रा को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहा। सुरक्षा में चूक यूटी प्रशासन के अनुचित रवैये को दर्शाती है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जम्मू कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा की सुरक्षा पुख्ता नहीं की जा रही है।
J&K UT Adminstration failed to provide security to #BharatJodoYatra led by Shri @RahulGandhi .
Security lapses indicate unfair & unprepared attitude of UT adminstration. @OfficeOfLGJandK pic.twitter.com/hQoCIraZIO
— Rajani Patil (@rajanipatil_in) January 27, 2023
बनिहाल से आगे घाटी में प्रवेश करने पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध भी नहीं किए गए। राहुल गांधी को इस तरह कश्मीर में प्रवेश नहीं करवा सकते। सुरक्षा में चूक का मसला सामने आते ही राहुल गांधी यात्रा को बीच में ही छोड़कर खन्नाबल को निकल गए।
आपको बता दें कि राहुल गांधी की रामबन जिले में बनिहाल से शुक्रवार को सुबह 9 बजे शुरू हुई थी। यात्रा का पड़ाव आज अनंतनाग था। अब तक जम्मू कश्मीर में 90 किलोमीटर की पदयात्रा हो चुकी है।
उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शुक्रवार को बनिहाल में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही यात्रा कांग्रेस नेता की छवि बनाने के लिए नहीं, बल्कि देश की स्थिति और माहौल को बदलने के लिए निकाली जा रही है।
उन्होंने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने पर कांग्रेस के रुख में नहीं पड़ना चाहते हैं। श्रीनगर से 120 किलोमीटर दूर बनिहाल पहुंचे अब्दुल्ला ने कहा कि वह यात्रा में इसलिए शामिल हुए क्योंकि उन्हें देश की छवि की ज्यादा चिंता थी। हम किसी व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि देश की छवि के लिए इसमें शामिल हुए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री कहा कि राहुल ने व्यक्तिगत कारणों से यात्रा शुरू नहीं की, बल्कि देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के प्रयासों पर चिंता के कारण पदयात्रा शुरू की। केंद्र सरकार भले ही अरब देशों से दोस्ती कर रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय का इसमें कोई प्रतिनिधि नहीं है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद यह पहली बार है कि सत्तारूढ़ दल के पास मुस्लिम समुदाय से संसद का एक भी सदस्य न तो लोकसभा में है और न ही राज्यसभा में। यह उनके रुख को दर्शाता है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर कांग्रेस के रुख पर बोलते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि हम अदालत में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए केस लड़ेंगे।
उमर ने आरोप लगाया कि जिस तरह से सरकार याचिका की सुनवाई पर अपने पैर खींच रही है, वह बताती है कि हमारा मामला बहुत मजबूत है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव पर कहा कि आठ साल हो गए हैं। पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में दो चुनावों के बीच यह सबसे लंबा दौर रहा है। आतंकवाद के चरम पर भी ऐसा नहीं था। केंद्र सरकार चाहती है कि जम्मू-कश्मीर के लोग चुनाव के लिए भीख मांगें। उन्होंने कहा कि हम भिखारी नहीं हैं और हम इसके लिए भीख नहीं मांगेंगे।