दिल्ली डेस्कः उत्तराखंड के जोशीमठ की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है। इस मुद्दे पर पीएमओ (PMO) यानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने रविवार को हाई लेवल मीटिंग की। इसमें जिला प्रशासन से लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित जगह पर शिफ्ट कराने के लिए कहा गया है। इधर, जोशीमठ में जमीन धंसने से निपटने के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट ने तैयारियां तेज कर दी है। विशेषज्ञों की एक टीम सोमवार को जोशीमठ जाएगी और वहां लैंडस्लाइड के कारणों का पता लाएगी।

आपको बता दें कि उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी डॉ. सुखवीर सिंह संधू ने रविवार को जोशीमठ पहुंचकर भूधंसाव क्षेत्रों का जायजा लिया। PMO की मीटिंग में सेक्रेटरी जनरल डॉ. पी के मिश्रा, कैबिनेट सेक्रेटरी और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य शामिल हुए। जोशीमठ के प्रशासनिक अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौजूद थे।

PMO से मीटिंग के दौरान विशेषज्ञों ने जोशीमठ में बड़े रिस्क की आशंका जाहिर की है। सुखवीर सिंह संधू ने कहा कि हमारी कोशिश है कि बिना किसी नुकसान के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कराया जाए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक यह पता लगाने में लगे हैं कि लैंडस्लाइड को कैसे रोका जा सकता है। जल्द ही समाधान ढूंढ लिया जाएगा। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाने शुरू कर दिए गए हैं, हालांकि अभी के हालात को देखते हुए लोगों को डेंजर जोन से निकालना ज्यादा जरूरी है।

वहीं, उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अगर टनल बनाने से वहां की जमीन कमजोर पड़ रही है, तो इसे तत्काल रोक देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जोशीमठ का अस्तित्व, जीवन और वहां के लोगों की आजीविका खतरे में है। हम उनके साथ खड़े हैं। हम इस चुनौती में सरकार और मुख्यमंत्री के साथ हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं जिला प्रशासन ने घरों का सर्वे तेज कर दिया है। प्रशासन ने उस घरों की पहचान शुरू कर दी है, जो डेंजर जोन में हैं। उन घरों पर रेड क्रॉस मार्क लगाया गया है। घरों में रेड क्रॉस मार्क लगाकर लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा जा रहा है।

इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन कर इस मामले में जानकारी ली। सीएम धामी ने बताया कि पीएम ने कई तरह के प्रश्न पूछे।  जैसे कितने लोग इससे प्रभावित हुए हैं, कितना नुकसान हुआ, लोगों के विस्थापन के लिए क्या किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने जोशीमठ को बचाने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।

प्रशासन ने इलाके को डेंजर जोन घोषित किया है। प्रशासन की चेतावनी के बाद जोशीमठ के सिंगधर इलाके में किराए के मकान में रहने वाले लोग भाग चुके हैं। इस बीच एक किराएदार ने बताया कि यहां के हालात ‘बहुत भयावह’ हो गए हैं, जिसके कारण वे घर खाली कर रहे हैं।

उधर, लोगों का दर्द बांटने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ पहुंचे। लोग उनके सामने बिलखकर रोने लगे। महिलाओं ने उन्हें घेर लिया। महिलाएं बोलीं कि हमारी आंखों के सामने ही हमारी दुनिया उजड़ रही है, इसे बचा लीजिए। हमें अपने घरों में रहने में डर लग रहा है। इधर, चमोली जिला प्रशासन ने बताया- जोशीमठ के 9 वार्डों के 603 घरों में अब तक दरारें आई हैं। 66 परिवारों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।

अपने आशियाने को खोने का यहां के लोगों का दर्द उस समय सामने आया, जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ पहुंचे। लोग उनके सामने बिलखकर रोने लगे। महिलाओंने उन्हें घेर लिया। वे बोलीं कि हमारी आंखों के सामने ही हमारी दुनिया उजड़ रही है, इसे बचा लीजिए। हमें अपने घरों में रहने में डर लग रहा है।

सीएम धामी के सामने अपना दर्द बयां करने के लिए लोग इतने बेकाबू हो रहे थे कि सुरक्षाकर्मियों के लिए उन्हें संभालना भी मुश्किल हो रहा था। इस दौरान धामी ने प्रभावितों से कहा कि उत्तराखंड सरकार हर मुश्किल में उनके साथ खड़ी है। धामी ने जोशीमठ में डेंजर जोन वाले इलाकों में बने मकानों को तुरंत खाली कराने को कहा। इधर, चमोली जिला प्रशासन ने बताया कि जोशीमठ के 09 वार्डों के 603 भवनों में अब तक दरारें आई हैं। 55 परिवारों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।

जोशीमठ के 561 घरों में दरारें आ गई हैं। राज्य आपदा प्रबंधन के अधिकारियों और विशेषज्ञों की टीम ने जोशीमठ में प्रभावित क्षेत्रों में डोर-टु-डोर सर्वे शुरू किया। खतरनाक मकानों में रह रहे 600 परिवारों को प्रशासन ने तत्काल शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री राहत कोष से उन्हें 6 महीने तक किराये के तौर पर हर महीने 4 हजार रुपए दिए जाएंगे।

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