दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि लोकतंत्र, कानून का राज, स्वतंत्रता, परस्पर सम्मान, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का सम्मान और पारदर्शिता आदि वैश्विक कल्याण के  मूल्यों को आज अलग अलग प्रकार से चुनौती दी जा रही है जिसका सामना करने के  लिए समान मूल्यों, साझा हितों, समान भूगोल एवं समान उद्देश्यों वाली  शक्तियों को मिलकर काम करना होगा।

मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के  प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन के साथ पहली वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर बैठक में  ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध विस्तृत होने के साथ-साथ गहरे भी हैं। यह गहराई हमारे समान मूल्यों, साझा हितों, समान भूगोल एवं समान उद्देश्यों  से आती है। यह सौभाग्य की बात है कि हमारे संबंधों की बागडोर का एक छोर  आप जैसे सशक्त और विज़नरी नेता के हाथ में हैं। मेरा मानना है कि भारत और  ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को और सशक्त करने के लिए यह उपयुक्त समय है,  उपयुक्त मौक़ा है। अपनी दोस्ती को और मज़बूत बनाने के लिए हमारे पास असीम  संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नागरिकों, कारोबार जगत, शिक्षाजगत, अनुसंधानकर्ताओं इत्यादि के बीच संपर्क और मज़बूत बने। कैसे हमारे संबंध  अपने क्षेत्र के लिए और विश्व के लिए एक स्थिरता का कारक बनें, कैसे हम मिल  कर वैश्विक कल्याण के लिए कार्य करें, इन सभी पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता  है।

पीएम ने कहा कि समकालीन विश्व में देशों की एक दूसरे से अपेक्षाएं, और हमारे नागरिकों की हमसे अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करने के नाते, हम दोनों देशों का कर्तव्य है कि इन अपेक्षाओं पर खरे उतरें। वैश्विक कल्याण के मूल्य जैसे लोकतंत्र, कानून का राज, स्वतंत्रता, परस्पर सम्मान, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का सम्मान और पारदर्शिता आदि को बरकरार रखना एवं संरक्षित करना हमारा पावन दायित्व है। यह एक प्रकार से भविष्य के लिए हमारी धरोहर है। आज जब अलग-अलग प्रकार से इन मूल्यों को चुनौती दी जा रही है, तो हम आपसी सम्बन्धों को मजबूत कर के इन्हें सशक्त कर सकते हैं। भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने सम्बन्धों को व्यापक तौर पर और तेज़ गति से बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह न सिर्फ़ हमारे दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र और विश्व के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी ने विश्व में हर प्रकार की व्यवस्था को प्रभावित किया है और हमारे शिखर सम्मेलन का यह डिजिटल स्वरूप इसी प्रकार के प्रभावों का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के इस काल में हमारी समग्र सामरिक साझेदारी की भूमिका और महत्वपूर्ण रहेगी। विश्व को इस महामारी के आर्थिक और सामाजिक दुष्प्रभावों से जल्दी निकलने के लिए एक समन्वित और सहयोगात्मक ढंग से काम करने की आवश्यकता है।


               

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