Supreme court

दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने देश के अंग्रेजी नाम ‘इंडिया’ को बदलकर ‘भारत’ या ‘हिन्दुस्तान’ करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस बारे में अपनी बात सरकार के समक्ष रखने को कहा है।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने याचिकाकर्ता नम: की ओर से पेश वकील अश्विन वैश्य की दलीलें सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता इस संबंध में अपना ज्ञापन सरकार को दें। याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई की शुरुआत करते हुए कहा कि इंडिया नाम ग्रीक शब्द ‘इंडिका’ से निकला है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता यहां क्यों आये हैं? संविधान में देश का नाम भारत ही है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की शुरुआत में ही लिखा गया है, ‘इंडिया दैट इज भारत’ (इंडिया जो भारत है)। फिरआपको क्या समस्या है? इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि सदियों से भारत और भारत माता की जय बोला जाता रहा है। इस पर जस्टिस बोबडे ने कहा कि याचिकाकर्ता अपना ज्ञापन गृह मंत्रालय को दें।

याचिकाकर्ता ने ‘इंडिया’ शब्द को औपनिवेशिक और गुलामी का प्रतीक बताते हुए संविधान के अनुच्छेद एक में संशोधन का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया था। याचिका में कहा गया था कि इंडिया की जगह भारत नामकरण से देश में एक राष्ट्रीय भावना पैदा होगी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में 15 नवंबर, 1948 को हुए संविधान के मसौदे का भी उल्लेख किया था, जिसमें संविधान के प्रारूप एक के अनुच्छेद एक पर बहस करते हुए एम. अनंतशयनम अय्यंगर और सेठ गोविन्द दास ने ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत, भारतवर्ष, हिंदुस्तान’ नामों को अपनाने की वकालत की थी।

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