दिल्लीः आज यानी 19 नवम्ब का दिन भारत की तीन नारी शक्तियों से जुड़ा हुआ है। इनमें दो का आज जन्मदिन है, तो तीसरे को अंतरिक्ष में उड़ान भरने के लिए आज के दिन को याद किया जाता है। सबसे पहले बात करते हैं स्पेस में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की। 1947 भारत को आजादी मिलने के साथ ही देश का बंटवारा भारत-पाकिस्तान रूप में हो चुका था। देश की बड़ी आबादी इधर से उधर और उधर से इधर हो रही थी। इसी दौरान मुल्तान के रहने वाले बनारसी लाल चावला का परिवार करनाल आ गया था। बनारसी लाल ने यहां आकर कपड़े बेचना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने टायर का बिजनेस डाला। उनके चार बच्चे थे।
1 जुलाई 1961 को जन्मी सबसे छोटी बेटी का नाम मोंटो रखा। यही मोंटो आगे चलकर कल्पना चावला नाम से जानी गई। स्पेस में जाने वाली पहली भारतीय महिला। शुरुआत में करनाल से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया, फिर एयरोस्पेस में मास्टर्स की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गईं।
1984 में एयरोस्पेस की इंजीनियरिंग भी पूरी कर ली। फिर एक और मास्टर्स किया और पीएचडी की। 1988 में नासा में काम करना शुरू किया। 1991 में अमेरिका की नागरिकता मिल गई। इसी साल नासा एस्ट्रोनॉट कॉर्प्स का हिस्सा बनीं। 1997 में अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला और नासा के स्पेशल शटल प्रोग्राम का हिस्सा बन गईं।
19 नवंबर 1997 यानी आज ही के दिन कल्पना ने अपना अंतरिक्ष मिशन शुरू किया था। उस समय उनकी उम्र महज 35 साल थी। 6 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उन्होंने स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से उड़ान भरी। इस मिशन के दौरान कल्पना ने 65 लाख मील का सफर तय किया था। 376 घंटे 34 मिनट अंतरिक्ष में बिताए।
इसके बाद साल 2003 आया। यह यात्रा कल्पना की दूसरी लेकिन उनके जीवन की अंतिम यात्रा साबित हुई। 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा प्रवेश करते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें सवार कल्पना चावला समेत 7 अंतरिक्ष यात्रियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो गई।
इंदिरा गांधी का जन्मः इंदिरा गांधी भारत की राजनीति में एक ऐसा नाम है, जिनका व्यक्तित्व और कृतित्व सदा चर्चा में रहा। देश की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने ऐसे कई फैसले लिए, जिनकी वजह से मोरारजी देसाई द्वारा ‘‘गूंगी गुड़िया’’ कही गई इंदिरा ‘आयरन लेडी’ के तौर पर उभरीं।
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के यहां 19 नवंबर,1917 को जन्मी कन्या को उसके दादा मोतीलाल नेहरू ने इंदिरा नाम दिया और पिता ने उसके सलोने रूप के कारण उसमें प्रियदर्शिनी भी जोड़ दिया। फौलादी हौसले वाली इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार और कुल चार बार देश की बागडोर संभाली।
सियासत की माहिर इंदिरा के कुड फैसले विवादित भी रहे। प्रधानमंत्री के रूप में उनकी सिफारिश पर देश में लगाए गए आपातकाल को उन्हीं फैसलों में गिना जाता हैं, जिसकी वजह से उन्हें अपनी सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा और एक अन्य विवादित फैसला उनकी मौत की वजह बना। जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई की कीमत उन्हें अपने सिख अंगरक्षकों के हाथों जान गंवाकर चुकानी पड़ी।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्मः 19 नवंबर 1828 को वाराणसी के रहने वाले मोरोपंत तांबे और भागीरथी बाई के यहां एक लड़की जन्म हुआ। नाम रखा मणिकर्णिका। लोग प्यार से मनु कहकर पुकारते थे। पिता मोरोपंत मराठा बाजीराव की सेवा में नियुक्त थे। बचपन में ही मनु की मां का निधन हो गया था।
अब उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं था। इसलिए पिता उन्हें भी पेशवा बाजीराव द्वितीय के यहां ले जाने लगे। यहां लोग उनकी चंचलता देखकर मनु को छबीली पुकारने लगे। मनु ने शस्त्र विद्या और शास्त्र विद्या दोनों सीखना शुरू कर दी। 1842 में उनकी शादी झांसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हो गई।
अब मनु झांसी की रानी लक्ष्मीबाई हो गई थीं। 1851 में उन्हें एक बेटा हुआ, लेकिन 4 महीने बाद उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद राजा गंगाधर का भी स्वास्थ्य बिगड़ गया। दत्तक पुत्र गोद लिया गया, नाम दामोदर राव रखा गया। 21 दिसंबर 1853 को राजा की मृत्यु हो गई। राज्य हड़प नीति के तहत बालक दामोदर राव के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया गया। मुकदमा खारिज हुआ।
ब्रिटिश अधिकारियों ने राज्य का खजाना हड़प लिया। उनके पति के कर्ज को रानी लक्ष्मी बाई के सलाना खर्चे में काटना शुरू कर दिया। इसके बाद झांसी का किला छोड़कर लक्ष्मीबाई रानी महल में रहने लगीं। 1857 में पूरे देश अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए बगावत शुरू हो गई। इसका केंद्र था झांसी। इसके बाद लक्ष्मीबाई ने लोगों को संगठित करना शुरू किया। महिलाओं को प्रशिक्षण देने लगीं।
1857 को झांसी पर ओरछा और दतिया के राजाओं ने आक्रमण किया लेकिन रानी ने इसे विफल कर दिया। 1858 जनवरी के अंत में ब्रिटिश सेना ने झांसी शहर पर कब्जा कर लिया। लेकिन रानी अंग्रेजों से बचकर अपने बेटे दामोदर के साथ भागने में सफल हुईं। वह कालपी पहुंचीं और तात्या टोपे से मुलाकात की। तात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेनाओं ने ग्वालियर के किले पर कब्जा कर लिया। 18 जून 1858 को ब्रिटिश सरकार से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु हो गई। आइए एक नजर डालते 19 नवम्बर को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
1816 : वारसॉ विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
1822 : चिली में वालपराइसो के निकट भूकंप से लगभग 200 लोगो की मृत्यु हुई, यह एक सुनामी का कारण बनता है और तटीय क्षेत्र को बढ़ाता है।
1824 : रूस के सेंट पीटर्सबर्ग शहर में बाढ़ से दस हजार लोगों की मौत।
1838 : ब्रह्मसमाज के आध्यात्मिक नेता केशब चंद सेन का जन्म।
1828 : मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ।
1893 : पहला रंगीन सप्लीमेंट संडे न्यूयॉर्क वर्ल्ड समाचार पत्र द्यारा प्रकाशित किया गया।
1895 : फ्रेडेरिक ई. ब्लेसडेल ने पेपर पेंसिल का पेटेंट कराया।
1917 : इंदिरा गांधी का उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जन्म।
1977 : मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात का ऐतिहासिक इस्राइल दौरा। यह किसी अरब नेता का पहला इस्राइल दौरा था। इस दौरान उन्होंने शांति स्थापना का प्रस्ताव पेश किया।
1982 : नयी दिल्ली में नौवें एशियाई खेलों की शुरूआत। लंबे अर्से के बाद देश में विशाल पैमाने पर खेल स्पर्धाओं का आयोजन किया गया।
1985 : अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव के बीच पहली मुलाकात। दोनों जिनेवा में एक शिखर सम्मेलन के दौरान मिले।
1994 : भारत की ऐश्वर्या राय मिस वर्ल्ड चुनी गईं।
1995 : कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में विश्व कीर्तिमान बनाया।
1997 : कल्पना चावला अंतरिक्ष जाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
2000 : पाकिस्तान की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की माँ नुसरत भुट्टो को दो वर्ष के कठिन कारावास की सज़ा सुनाई।
2006: भारत ने मीडियम रेंज की न्यूक्लियर क्षमता वाली मिसाइल का परीक्षण किया था। इसके एक दिन बाद पाकिस्तान ने भी ऐसी ही मिसाइल का परीक्षण किया था।
2007 : अमेजन ने किताब पढ़ने वाले इलेक्ट्रानिक उपकरण किंडल की बिक्री शुरू की, जिसने ई-बुक्स को प्रचलित बनाने में बड़ा योगदान दिया।
2009: गूगल क्रोम ने OS (ऑपरेटिंग सिस्टम) के कोड का खुलासा किया था।
2013 : लेबनान की राजधानी बेरुत में ईरानी दूतावास के समीप हुये दोहरे आत्मघाती बम धमाके में 23 लोगों की मौत, 160 अन्य घायल।
2019 : गोटबाया राजपक्षे ने श्रीलंका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली।