मुंबईः तेलुगु सिनेमा के पहले सुपरस्टार कृष्णा बाबू का आज दोपहर में अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा। कृष्णा बाबू, तेलुगु सुपरस्टार महेश बाबू के पिता थे। उनका 15 नंवबर को हार्ट अटैक से निधन हो गया है। कृष्णा बाबू ने करीब 5 दशक के फिल्मी करियर में 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किये हैं और उनके नाम  कई बड़े रिकॉर्ड दर्ज हैं।

कृष्णा बाबू के पास सबसे तेज 200 फिल्में करने का रिकॉर्ड है, साथ ही एक ही एक्ट्रेस के साथ 48 फिल्मों में काम करने का रिकॉर्ड भी इन्हीं के नाम है। ये रिकॉर्ड कृष्णा ने अपनी दूसरी पत्नी विजया के साथ बनाया है। वहीं, जया प्रदा के साथ भी उन्होंने 47 फिल्मों में काम किया। इस तरह 95 फिल्मों में उनकी सिर्फ दो ही हीरोइंस रहीं।

कृष्णा ने अपने करियर की शुरुआत 1961 में मामूली रोल निभाकर की थी, लेकिन महज 4 सालों में ही ये तेलुगु स्टार बनकर उभरे। करियर में एक समय ऐसा भी रहा जब 1975 में इनकी बैक-टु-बैक 15 फिल्में फ्लॉप हुईं। इन्होंने हार नहीं मानी और अगले ही साल कई हिट फिल्में देकर वापसी की। कृष्णा बाबू 1998 में संसद भी रह चुके थे।

31 मई 1943 में आंध्रप्रदेश के बुरीपालेम, गुंटूर जिले में जन्मे कृष्णा बाबू का असली नाम घटामनेनी शिवा रामा कृष्णा मूर्ति है। इनके पिता घटामनेनी राघवा चौधरी एक किसान थे। अभिनय में रुचि होने के कारण कृष्णा ने 18 साल की उम्र में मामूली रोल से तेलुगु सिनेमा में कदम रखा। इनकी पहली फिल्म साल 1961 की कुला गोथरालू रही। चंद और फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करने के बाद कृष्णा को साल 1965 की फिल्म थेने मनासुलु में लीड रोल मिला। लगातार हिट फिल्में देते हुए ये स्टार बनकर उभरे। इन्होंने एनटी रामा राव और अक्किनैनी नागेश्वर राव जैसे कई बड़े सितारों के साथ भी काम किया। 1970 तक कृष्णा बाबू एक स्टार बन चुके थे।

1971 में कृष्णा बाबू ने अपने भाई के साथ मिलकर प्रोडक्शन हाउस पद्मालय फिल्म्स की नींव रखी। इस प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले कृष्णा ने कई बिग बजट फिल्में बनाईं, जिनमें अग्नि परीक्षा, मोसागल्लाकु मोसागाडु, पदंति कपूरम, देवुडु चेसीना मनुशुलु, अल्लूरी सीतारामा राजू शामिल हैं।

1967 की फिल्म साक्षी की शूटिंग के दौरान कृष्णा बाबू की मुलाकात एक्ट्रेस विजया से हुई। दोनों फिल्म की लीड कास्ट थे। शूटिंग के दौरान ही दोनों को प्यार हुआ और दोनों ने 1969 में शादी कर ली। दोनों ने एक प्रोडक्शन हाउस विजया कृष्णा मूवीज की शुरुआत की और कई क्रिटिकली अक्लेम्ड फिल्में प्रोड्यूस कीं। इनमें मीना, देवदासु, मोसागल्लाकी मोसाकाडु जैसी बेहतरीन फिल्में शामिल हैं। कृष्णा बाबू को ही तेलुगु सिनेमा में स्पाई और काउबॉय जॉनर लाने का क्रेडिट दिया जाता है।

तेलुगु सिनेमा के पहले सुपरस्टार कृष्णा बाबू उन गिने चुने सितारों में से एक रहे जो सालाना 12-15 फिल्में किया करते थे। इनमें से कुछ में इनके रोल होते तो कई प्रोडक्शन की फिल्में होतीं। 1975 में चीकती वेलुगुलु के अलावा इनकी बैक-टू-बैक 14 फिल्में फ्लॉप हुईं। अल्लूरी सीतारामा के बाद लोग इन्हें सिर्फ शालीन किरदारों में देखना चाहते थे, लेकिन वे एक्शन फिल्में कर रहे थे। एक साल बाद कृष्णा बाबू ने पादी पंटालू, राजा राजेश्वरी विला कॉफी क्लब, रामा राजयामलू रख्ता पासम जैसी कई हिट फिल्में दीं और करियर में वापसी की।

बताया जाता है कि 1976 में कृष्णा बाबू ने कुरुक्षेत्रम फिल्म अनाउंस की। इससे एनटी रामाराव काफी नाराज हुए क्योंकि वे भी इसे सब्जेक्ट पर दाना वीरा सूरा कर्णा बनाना चाहते थे। जब कृष्णा बाबू ने आइडिया ड्राप करने से इनकार किया, तो दोनों के रिश्ते में कड़वाहट आ गई। दोनों ने एक ही सब्जेक्ट पर फिल्में बनाईं, लेकिन हैरानी की बात ये रही कि दोनों ही हिट साबित हुईं।

पॉपुलैरिटी और बड़े रिकॉर्डः

1982 तक कृष्णा बाबू ने 21 सालों में 200 फिल्में कीं। ये अपने आप में बड़ा रिकॉर्ड था क्योंकि इससे पहले किसी भी एक्टर ने इतने कम समय में इतनी फिल्में नहीं की थीं। औसतन ये सालाना 10 फिल्में करते थे। 1986 तक ये बॉक्स ऑफिस के राजा थे, जिनकी लगभग हर फिल्म बेहतरीन कमाई करती थी। अग्निपार्वाथम, पलनति सिम्हम, वज्रयुद्धम में कृष्णा ने लार्जर देन लाइफ रोल प्ले किए।

कृष्णा बाबू को तेलुगु सिनेमा का नई टेक्नोलॉजी से जोड़ने का क्रेडिट मिला। तेलुगु सिनेमा में पहली 70MM फिल्म (सिम्हासनम- 1986), पहली सिनेमास्कॉप फिल्म (अल्लूरी सीता रामा राजू- 1974), पहली DTS फिल्म (तेलुगु वीरा लेवारा- 1995), पहली ईस्टमैनकलर फिल्म (एनाडु- 1982) सुपरस्टार कृष्णा ने ही बनाई हैं।

कृष्णा बाबू ने ना पिलुपी प्रभानजनम फिल्म में पॉलिटिकल पार्टी तेलुगु देसम पार्टी के खिलाफ मुहिम छेड़ी। पार्टी के लोगों ने इस फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी। खूब विवाद हुए और फिल्म के विरोध में कई रैलियां निकाली गईं। इससे फिल्म को और पब्लिसिटी मिली और कई जगह बैन होने के बावजूद ये हिस साबित हुई। इसी बीच कृष्णा बाबू रिकॉर्डब्रेकिंग फिल्म मुद्दाई में नजर आए।

सम्राट फिल्म से कृष्णा ने अपने बड़े बेटे रमेश बाबू को लॉन्च किया। ये फिल्म तो हिट रही, लेकिन इसके बाद आईं इनकी 10 फिल्में हिट नहीं हो सकीं।

फिल्मों के अलावा कृष्णा बाबू राजनीति में भी अहम योगदान दे चुके हैं। साल 1998 में ये कांग्रेस पार्टी की ओर से सांसद रह चुके हैं। दिसंबर 2012 में कृष्णा बाबू ने राजनीति और फिल्मों से रिटायरमेंट अनाउंस की थी। 50 सालों के फिल्मी सफर में इन्होंने 350 से ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग की है।

टूटा दुखों का पहाड़ः कृष्णा बाबू की दूसरी पत्नी विजया की 27 जून 2019 में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। इसके बाद कृष्णा बाबू ने इसी साल 8 जनवरी को अपने बड़े बेटे रमेश बाबू को खो दिया। एक महीने पहले 28 सितंबर को कृष्णा की पहली पत्नी इंदिरा भी गुजर गईं।

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