कोलकाताः कोलकाता की निचली अदालत में शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल में बंद पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान ईडी (ED यानी प्रवर्तन निदेशालय ने  दोनों की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार का ये मामला 100 करोड़ रुपए का है, जो आगे बढ़ेगा। सुनवाई के दौरान अर्पिता कोर्ट में ही रोने लगी। अर्पिता ने जज से कहा कि मेरे फ्लैट में पैसा कहां से आया, मुझे नहीं पता।

वहीं पार्थ चटर्जी ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि मुझे राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है। मैं मंत्री रहने से पहले नेता प्रतिपक्ष भी रहा हूं। ईडी मेरे बंगले पर 24 घंटे से ज्यादा वक्त तक रही, लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। मुझे जमानत दी जाए, जिससे मैं चैन से जी सकूं।

उन्होंने ने कहा कि मैंने ईडी की अब तक की पूछताछ में पूरा सहयोग किया है और आगे भी करूंगा। मैं खुद एक लॉ का स्टूडेंट्स रहा हूं और ब्रिटिश जमाने में मुझे स्कॉलरशिप मिल चुकी है। मैं क्यों स्कैम करूंगा? मैंने एक रुपए नहीं खाए हैं।
ईडी ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि पार्थ पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं। स्कैम 100 करोड़ से ज्यादा का है और इसमें अभी कई खुलासे बाकी हैं, इसलिए जमानत न दी जाए। जमानत से गवाह और सबूत पर भी असर होगा।

आपको बता दें कि ईडी ने 23 जुलाई और 28 जुलाई को अर्पिता के 2 फ्लैट पर छापेमारी की थी। इस कार्रवाई में उनके फ्लैट्स से 49 करोड़ रुपए कैश बरामद हुए थे। ईडी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अर्पिता ने पूछताछ में कहा था कि पैसे के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं, सभी पैसे पार्थ के हैं। हालांकि, पार्थ इन सभी आरोपों को पूछताछ में खारिज करता रहा।

प्रवर्तन निदेशालय ने 23 जुलाई को कोलकाता के सरकारी आवास से पार्थ को शिक्षक भर्ती घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। पार्थ पर आरोप था कि मंत्री रहते उन्होंने नौकरी देने के बदले गलत तरीके से पैसे लिए। पार्थ की गिरफ्तारी के 5 दिन बाद ममता बनर्जी ने उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था

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