दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुफ्त चुनावी वादों के मुद्दे पर चुनाव आयोग को कड़ी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच में मुफ्त चुनावी वादों के मुद्दे पर पर रोक लगाने की मांग की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने हलफनामा कब दाखिल किया? रात में हमें तो मिला ही नहीं, सुबह अखबार देखकर पता चला।

सीजेआई ने कहा कि यह गंभीर मसला है, मगर कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। लुभावने चुनावी वादे और सोशल वेलफेयर स्कीम में फर्क होता है।

वहीं, चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा है कि फ्री का सामान या फिर अवैध रूप से फ्री का सामान की कोई तय परिभाषा या पहचान नहीं है। आयोग ने 12 पन्नों के अपने हलफनामे में कहा है कि देश में समय और स्थिति के अनुसार फ्री सामानों की परिभाषा बदल जाती है। ऐसे में विशेषज्ञ पैनल से हमें बाहर रखा जाए। हम एक संवैधानिक संस्था हैं और पैनल में हमारे रहने से फैसले को लेकर दबाव बनेगा।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को सुनवाई के दौरान कहा था कि आयोग ने इस मसले पर पहले कदम उठाए होते तो आज ऐसी नौबत नहीं आती। कोर्ट ने कहा कि शायद ही कोई पार्टी मुफ्त की योजनाओं के चुनावी हथकंडे छोड़ना चाहती है। इस मुद्दे को हल करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी बनाने की जरूरत है, क्योंकि कोई भी दल इस पर बहस नहीं करना चाहेगा।

आपको बता दें कि बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें मांग की है कि चुनाव में उपहार और सुविधाएं मुफ्त बांटने का वादा करने वाले दलों की मान्यता रद्द की जाए।

चुनावों में राजनीतिक दलों मुफ्त के वादे-

  • पंजाब विधानसभा चुनाव में आप ने 18 साल से अधिक उम्र की सभी महिलाओं को 1,000 रुपए महीना देने का वादा किया।
  • शिअद ने हर महिला को 2,000 रुपए देने का वादा किया।
  • कांग्रेस ने घरेलू महिलाओं को 2000 रु. माह देने का वादा किया।
  • यूपी में कांग्रेस का 12वीं की छात्रा को स्मार्टफोन देने का वादा।
  • यूपी में भाजपा ने 2 करोड़ टैबलेट देने का वादा किया था।
  • गुजरात में आप ने बेरोजगारों को 3000 रु. महीना भत्ता देने का वादा किया। हर परिवार को 300 यूनिट फ्री बिजली का भी वादा।
  • बिहार में भाजपा ने मुफ्त कोरोना वैक्सीन देने का वादा किया।

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