दिल्लीः आज से 97 साल पहले आज के ही दिन काकोरी कांड हुआ था, जिसके कारण अंग्रेजों ने चार भारतीय क्रांतिकारियों को फांसी दे दी थी। गांधीजी ने 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया था। कुछ साल में ही ये आंदोलन चरम पर पहुंच गया। इसी दौरान 1922 में गोरखपुर में चौरी-चौरा कांड हुआ। आंदोलनकारियों ने एक पुलिस थाने को घेरकर आग लगा दी, जिसमें 20 से भी ज्यादा पुलिसवाले मारे गए।
इस हिंसक घटना से आहत गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया। गांधी जी के इस फैसले से देश में निराशा का माहौल छा गया। युवा क्रांतिकारी सबसे ज्यादा निराश हुए। आंदोलन से निराश युवाओं ने ये फैसला लिया कि वो एक पार्टी का गठन करेंगे।
शचीन्द्रनाश सान्याल के नेतृत्व में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना हुई। योगेशचन्द्र चटर्जी, रामप्रसाद बिस्मिल, सचिन्द्रनाथ बक्शी पार्टी के महत्वपूर्ण सदस्यों में शामिल थे। बाद में चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह भी पार्टी से जुड़ गए। पार्टी का मानना था कि भारत की आजादी के लिए हथियार उठाने ही पड़ेंगे।
हथियार खरीदने के लिए पैसों की जरूरत होती थी। इसलिए पार्टी के लोग शुरुआत में डकैती डालकर पैसों का प्रबंध किया करते थे, लेकिन डकैती में निर्दोष लोग मारे जाते थे और सरकार क्रांतिकारियों को चोर कहकर बदनाम करती थी इसलिए फैसला लिया गया कि डकैती के बजाय अब सरकारी खजाने को लूटा जाएगा।
क्रांतिकारियों ने सरकारी खजाना लेकर जा रही ट्रेन को लूटने की योजना बनाई। 9 अगस्त 1925 को सहारनपुर से लखनऊ की ओर जा रही ट्रेन को 10 क्रांतिकारियों ने निशाना बनाया। इस ट्रेन को काकोरी स्टेशन पर रोका गया और बंदूक की नोक पर गार्ड को बंधक बनाकर लूटा गया। क्रांतिकारियों के हाथ कुल 4,601 रुपए की रकम आई।
इस घटना से ब्रिटिश सरकार में भूचाल मच गया। आनन-फानन में गिरफ्तारियां की गईं। हालांकि घटना में केवल 10 ही लोग शामिल थे लेकिन सरकार ने एक महीने के अंदर करीब 40 लोगों को गिरफ्तार किया। 6 अप्रैल 1927 को फैसला सुनाया गया।
राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। कई लोगों को 14 साल तक की सजा दी गई। सरकारी गवाह बनने पर दो लोगों को रिहा कर दिया गया। चंद्रशेखर आजाद पुलिस की गिरफ्त से दूर ही रहे। हालांकि इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में वे शहीद हो गए।
फांसी का फैसला आने के बाद भारतीय आंदोलन पर उतर आए, लेकिन अंग्रेजों ने भारतीयों की एक न सुनी। सबसे पहले 17 दिसंबर 1927 को गोंडा जेल में राजेंद्र लाहिड़ी को फांसी दी गई। इसके दो दिन बाद रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया। अशफाक उल्ला खान को फैजाबाद जेल और रोशन सिंह को इलाहाबाद में फांसी दी गई।
अमेरिका ने 6 अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया गया था। जापान कुछ समझ पाता इससे पहले ही अमेरिका ने 9 अगस्त को दूसरा बम जापान पर गिरा दिया। ये पहले गिराए बम से भी ज्यादा खतरनाक था।
9 अगस्त की सुबह अमेरिका के B-29 विमान ने तिनियन आइलैंड से उड़ान भरी। विमान में 4,050 किलो का बम ‘फैट मैन’ लोड था। इस बम को जापान की औद्योगिक नगरी कोकुरा पर गिराना था। यहां बड़ी तादाद में गोला-बारूद बनाने वाली फैक्टरियां थीं।
कुछ ही देर में विमान कोकुरा के ऊपर पहुंच गया था, लेकिन शहर के ऊपर घने बादल छाए हुए थे। साथ ही अमेरिकी विमानों को जापानी राडार की पहुंच से भी दूर रहना था। कैप्टन लियोनार्ड चेशर को आदेश मिला कि अपने दूसरे टार्गेट की तरफ जाओ। दूसरा टार्गेट नागासाकी था। नागासाकी के ऊपर पहुंचते ही फैट मैन को ड्रॉप कर दिया गया। 11 बजकर 2 मिनट पर बम को छोड़ा गया। करीब 50 सेकेंड बाद ये फटा। और इसी के साथ पूरा शहर जमींदोज हो गया। पलभर में ही जिंदा लोग भाप बनकर उड़ गए।
3 दिन के भीतर हुए इन भीषण धमाकों से जापान तहस-नहस हो गया। साल के आखिर तक मरने वालों का आंकड़ा 2 लाख को पार कर गया। जो लोग किसी चमत्कार की वजह से जिंदा बच गए थे उन्हें जिंदगीभर कैंसर और ल्यूकेमिया जैसी बीमारियों से लड़ना पड़ा। 2 सितंबर को जापान ने मित्र देशों के सामने सरेंडर कर दिया।
अब बात भारत-रूस मैत्री संधि की। आजादी के बाद से ही भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत रहे हैं। जून 1955 में भारतीय प्रधानमंत्री ने सोवियत संघ का दौरा किया था। इसके बाद सोवियत संघ के राष्ट्रपति निकिता ख्रुश्चेव भी भारत आए थे। रूस ने भिलाई, विशाखापट्टनम और बोकारो में स्टील प्लांट की स्थापना करने में भारत की मदद की। सोवियत संघ ने भारत को मिग-21 युद्धक विमान भी दिए थे। भारतीय प्रधानमंत्री नेहरू भी सोवियत संघ के इकोनॉमिक मॉडल से प्रभावित थे। भारत-रूस संबंधों में आज का दिन भी खासा महत्व रखता है। 9 अगस्त 1971 को भारत और रूस ने मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था। इधर पाकिस्तान-अमेरिका के बीच नजदीकी बढ़ती जा रही थी। साथ ही पाकिस्तान पर बिल्कुल भरोसा नहीं किया जा सकता था। यानी भारत को अपने पड़ोसी देशों से खतरा महसूस होने लगा था।
ऐसे हालात में सोवियत विदेश मंत्री अंद्रेई ग्रोमिको भारत आए और 1971 को आज ही के दिन उन्होंने भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह के साथ सोवियत-भारत मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 09 अगस्त को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
1173: दुनिया के सात अजूबों में से एक इटली के पीसा की झुकी हुई मीनार का निर्माण शुरू हुआ।
1329: पोप जॉन 22वें ने भारत के क्यूलोन में पहले कैथोलिक धर्मप्रदेश की स्थापना की।
1483: वेटिकन का सिस्टिन चैपल प्रार्थना के लिए खुला।
1830: लुई फिलिप फ्रांस के राजा बने।
1831: अमेरिका में पहली बार स्टीम इंजन ट्रेन चली।
1892: एडिसन को टू-वे टेलीग्राफ के लिए पेटेंट मिला।
1910: अल्वा फिशर ने बिजली से चलने वाली वाशिंग मशीन का पेटेंट हासिल किया।
1916: कैलिफ़ोर्निया में लस्सेन ज्वालामुखीय राष्ट्रीय उद्यान स्थापित किया गया।
1925: क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 10 लोगों ने गार्ड के डिब्बे में लोहे की तिज़ोरी को तोड़कर चार हज़ार रुपये लेकर फरार हो गए। यह घटना काकोरी षड्यंत्र के नाम से प्रसिद्ध है।
1942: अगस्त क्रांति की शुरुआत हुई थी तथा सूर्योदय से पहले ही महात्मा गांधी सहित कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार करवा लिया था।
1942: स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने मलाया (अब मलेशिया) में जापान की मदद से इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापाना की।
1942: अहमद कवाम तीसरी बार ईरान के प्रधानमंत्री बने।
1945: अमेरिका ने फैट नाम का दूसरा परमाणु बम जापान के नागासाकी शहर पर गिराया।
1945: मंगोलिया ने जापान से युद्ध की घोषणा की।
1962: जर्मनी के शायर और लेखक नोबेल पुरुस्कार हरमैन हीसे का निधन।
1965: सिंगापुर ने फेडरेशन ऑफ मलेशिया से अलग होकर आजादी की घोषणा की।
1974: राष्ट्रपति निक्सन के इस्तीफे पर उपराष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड अमेरिका के 38 वें राष्ट्रपति बने।
1989: तोशिकी कैफु जापान के प्रधानमंत्री बने।
1999: रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने प्रधानमंत्री सर्जेई स्तेपशिन को बर्खास्त कर खुफिया सेवा के प्रमुख ब्लादिमीर पुतिन को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
2016:16 साल से भूख हड़ताल कर रहीं मणिपुर की इरोम शर्मिला ने शहद खाकर अपनी भूख हड़ताल खत्म की। इसे दुनिया की सबसे ज्यादा दिनों तक चलने वाली भूख हड़ताल माना जाता है।