दिल्लीः लिट्टे यानी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम 70 के दशक में श्रीलंका में अपना सिर उठाने लगा था। लिट्टे श्रीलंका से अलग एक स्वतंत्र तमिल राष्ट्र के लिए आंदोलन करने वाला संगठन था। अपनी मांग को लेकर धीरे-धीरे लिट्टे का आंदोलन उग्र और हिंसक होता जा रहा था। 1983 में लिट्टे के लोगों ने जाफना में 13 श्रीलंकाई सैनिकों की हत्या कर दी। इस वजह से हिंसा और भड़क उठी। लिट्टे और श्रीलंकाई सेना में हिंसक टकराव बढ़ने लगे। नतीजा ये हुआ कि श्रीलंका में गृह युद्ध शुरू हो गया।
पड़ोसी मुल्क में हो रही इस व्यापक हिंसा का असर भारत पर भी पड़ा। लाखों तमिल लोग समुद्र के रास्ते भारत आने लगे। दूसरी ओर, लिट्टे भारत के तमिलों के साथ मिलकर अलग देश बनाने की मांग कर रहा था। यानी श्रीलंकाई गृह युद्ध का सीधा-सीधा असर भारत पर भी पड़ रहा था।
1986 में हालात और बदतर हो गए। तमिलों के गढ़ जाफना में श्रीलंकाई सेना ने हमला कर दिया। कई तमिल नागरिक मारे गए। भारत ने जाफना में घिरे तमिलों के लिए सेना भेजी। इस ऑपरेशन को ‘पवन’ नाम दिया गया। भारत ने पहले समुद्र के रास्ते मदद भेजनी चाही, लेकिन श्रीलंकाई सैनिकों ने भारतीय सैनिको को रोक दिया।
इस फैसले से नाराज भारत ने ऐलान कर दिया वह हवाई रास्ते के जरिए तमिलों को मदद पंहुचाएगा और इसमें भारतीय वायुसेना भी शामिल रहेगी। भारतीय वायुसेना के विमानों पर हमला युद्ध का ऐलान माना जाएगा। भारत के इस फैसले के बाद श्रीलंका सरकार लिट्टे से समझौता करने पर राजी हो गई। जुलाई 1987 में भारतीय शांति सेना की जाफना में तैनाती शुरू हुई। भारतीय सेना की तैनाती के साथ ही शांति समझौते पर हस्ताक्षर के लिए राजीव गांधी भी कोलंबो पहुंचे।
30 जुलाई को राजीव गांधी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था। तभी एक सैनिक विजिथा रोहन विजेमुनि ने अपनी बंदूक की बट से उन पर हमला कर दिया।
विजिथा सिंहली समुदाय से था और शांति सेना भेजे जाने के फैसले से राजीव गांधी से नाराज था। हालांकि समय रहते राजीव गांधी झुक गए, लेकिन उन्हें चोट लगी। तुरंत राजीव गांधी की सिक्योरिटी ने उन्हें घेर लिया। किसी भारतीय प्रधानमंत्री पर विदेशी धरती पर हुआ ये इकलौता हमला है।
शांति समझौते के बाद 1990 तक भारतीय सेना के जवान वहां रहे। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के 1200 जवान शहीद हुए। ये वह फैसला था जो आगे चलकर राजीव की हत्या की वजह बना। दरअसल शांति सेना को भेजने से लिट्टे राजीव का दुश्मन बन बैठा। 1991 में लिट्टे ने एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी।
अब बात खेल की दुनिना की करते हैं। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फीफा वर्ल्ड कप का पहला फाइनल आज ही खेला गया था। फाइनल में उरुग्वे ने अर्जेंटीना को 4-2 से हराकर वर्ल्ड चैंपियन का खिताब अपने नाम किया था। इस वर्ल्ड कप के पहले फुटबॉल प्रेमियों के लिए एक बड़ा इवेंट केवल ओलिंपिक खेलों में ही होता था।
1920 के आसपास मांग उठने लगी कि फुटबॉल के लिए एक अलग वर्ल्ड कप का आयोजन किया जाए। दूसरी ओर, 1932 के ओलिंपिक खेलों में से फुटबॉल को हटा दिया गया। इसके बाद फीफा ने 26 मई 1928 को घोषणा की कि 1930 में फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन किया जाएगा।
1924 और 1928 के ओलिंपिक में उरुग्वे ने गोल्ड मेडल जीते थे। इसलिए फैसला लिया गया कि पहले वर्ल्ड कप का आयोजन उरुग्वे में होगा। हालांकि ओलिंपिक से अलग फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन करना इतना आसान भी नहीं था।
यूरोप उस समय आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। फुटबॉल प्लेयर्स को डर था कि वर्ल्ड कप के बाद जब वे लौटेंगे, तब तक उनकी नौकरी नहीं रहेगी। इस वजह से इंग्लैंड, स्पेन, जर्मनी और हॉलैंड जैसी बढ़िया खेलने वाली टीमें भी इस वर्ल्ड कप में शिरकत नहीं कर सकीं।
फीफा अध्यक्ष जुल्स रिमेट ने रोमानिया, बेल्जियम और फ्रांस के कई खिलाड़ियों को ये आश्वासन दिया कि उनकी नौकरी नहीं जाएगी, तब जाकर ये टीमें वर्ल्ड कप में आईं। 13 जुलाई 1930 को वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई। पहले दिन दो मैच खेल गए। अलग-अलग मुकाबलों में फ्रांस ने 4-1 से मैक्सिको और यूएस ने 3-0 से बेल्जियम को हराया।
यूएस आर्मी सिग्नल कॉर्प्स ने 1908 में 2-सीटर ऑब्जर्वेशन एयरक्राफ्ट के लिए निविदाएं आमंत्रित कीं। परफॉर्मेंस पर खरा उतरने वाले डिजाइन को यूएस आर्मी अपने कामकाज में इस्तेमाल करती। राइट ब्रदर्स ने भी अपने विमान को यूएस आर्मी के सामने पेश किया। सितंबर 1908 में वर्जीनिया में राइट ब्रदर्स के बनाए विमान का ट्रायल हुआ। हालांकि कुछ ट्रायल उड़ानों के बाद राइट ब्रदर्स का ये विमान क्रैश हो गया। हादसे में आर्मी के एक लेफ्टिनेंट की मौत हो गई।
जून 1909 में राइट ब्रदर्स ने एक और विमान तैयार किया और दोबारा ट्रायल किए। 30 जुलाई 1909 को इस विमान का फाइनल ट्रायल होना था। टेस्टिंग ग्राउंड पर अमेरिकी राष्ट्रपति विलियम होवर टाफ्ट के साथ करीब 7 हजार लोग मौजूद थे। पायलट ओर्विल ने अपने साथ लेफ्टिनेंट बेंजामिन डी फोलोइस के साथ उड़ान भरी। करीब 10 मील दूरी की ये उड़ान सफल रही। इसके बाद 30 हजार डॉलर में अमेरिकी सेना ने इस विमान को खरीद लिया। आपको बता दें कि किसी देश की सेना में इस्तेमाल होने वाला ये पहला विमान था। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 30 जुलाई को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
1733 : पहला अमेरिकी लॉज बोस्टन के फ़ॉरिमेसिस की सोसाइटी में बनाया गया।
1756 : बर्तोलोमेओ रास्ट्रेलि नव निर्मित कैथरीन पैलेस को महारानी एलिज़ाबेथ और उसके दरबारियों को प्रस्तुत किया गया।
1824 : जीयोचिनो रॉसीनी थिएटर इटालियन, पेरिस के नए प्रबंधक बने।
1836: अमेरिका के हवाई में अंग्रेजी भाषा का पहला अखबार प्रकाशित हुआ।
1886: देश की पहली महिला विधायक और समाज सुधारक एस. मुथुलक्ष्मी रेड्डी का जन्म।
1909: राइट बंघुओं ने सेना के लिए पहला विमान बनाया।
1914 : ऑस्ट्रिया की आर्टिलरीर बेलग्रेड शहर सर्बिया की राजधानी बना।
1930: एनबीसी रेडियो पर डेथ वैली डेज का पहला प्रसारण हुआ।
1932 : अमेरिका के लास एंजिल्स में दसवें आधुनिक ओलंपिक खेल की शुरुआत हुई।
1938 : पहला बच्चों का कॉमिक द बीनो ब्रिटेन में प्रकाशित हुआ।
1935: पेंगुइन ने अपनी पहली पेपरबैक बुक पब्लिश की।
1942: जर्मन की सेना ने बेलारूस के मिंस्क में 25000 यहूदियों की हत्या की।
1957: एक्सपोर्ट रिस्क इंस्योरेंस कॉर्पोरेशन आफ इंडिया (प्राइवेट) लिमिटेड की स्थापना।
1966: इंग्लैंड ने फुटबॉल का विश्वकप पहली बार जीता।
1980: वानूआतो देश को स्वतंत्रता मिली।
2002: कनाडा ने अलकायदा सहित सात समूहों को आतंकवादी संगठन घोषित किया।
2006: सबसे लंबे समय तक चलने वाले म्यूजिक शो टॉप ऑफ द पॉप्स के आखिरी एपिसोड का प्रसारण किया गया। इस शो के नाम लगातार 42 सालों तक चलने का रिकॉर्ड है।
2007: चीनी वैज्ञानिकों ने झेंगझाऊ में लगभग 50 लाख साल पुरानी चट्टानों की खोज की।
2012: उत्तरी ग्रिड में खराबी के चलते दिल्ली सहित सात राज्यों में बिजली गुल। 36 करोड़ लोग प्रभावित।
2012: आंध्रप्रदेश में एक ट्रेन में आग लगने से 32 यात्रियों की मौत हो गई।