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दिल्लीः श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अब मालदीव छोड़ सिंगापुर रवाना हो गये हैं। राजपक्षे को सिंगापुर ले जाने के लिए निजी विमान मालदीव पहुंचा था। आपको बता दें कि श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और वहां के लोग इसके लिए गोटबाया राजपक्षे को जिम्मेदार मान रहे हैं। गोटबाया श्रीलंका छोड़कर मालदीव भाग गए थे। वहीं, कोलंबो में विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है। इस बीच संसद भवन की सुरक्षा के लिए टैंकों की तैनाती की गई है।

गोटबाया राजपक्षे बुधवार देर रात भी मालदीव के वेलाना इंटरनेशनल हवाईअड्डे से सिंगापुर जाने की तैयारी में थे, लेकिन यहां हो रहे प्रदर्शन के डर से फ्लाइट छोड़ दी। मालदीव में रहने वाले श्रीलंकाई नागरिकों ने राजपक्षे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उन्हें वापस श्रीलंका भेजने की मांग की।

आपको बता दें कि राष्ट्रपति राजपक्षे के भाई एवं पूर्व मंत्री बासिल राजपक्षे भी अमेरिका भाग गए हैं। उधर, स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने कहा कि अब तक गोटबाया का इस्तीफा नहीं मिला है।

श्रीलंका में राजपक्षे के देश छोड़ने से लोगों का गुस्सा भड़क गया है। राजधानी कोलंबो की सड़कों पर प्रदर्शनकारी जमकर उत्पात कर रहे हैं। लोगों के उग्र विरोध को देखते हुए सेना ने अपने नागरिकों के सामने हथियार नीचे कर दिए हैं। काबू करने के लिए वे सिर्फ आंसू गैस के गोले छोड़ रहे हैं या हल्का बल प्रयोग कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई और 75 से ज्यादा लोग जख्मी हैं। अब आइए आपको श्रीलंका की महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बारे में जानकारी देते हैं-

  • गोटबाया राजपक्षे बुधवार को इस्तीफा देने का वादा किया था। 73 वर्षीय गोटबाया ने देश छोड़कर जाने के कुछ घंटे बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। अब वहां नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। प्रधानमंत्री आवास अभी भी प्रदर्शनकारियों के कब्जे में है।
  • श्रीलंका में उग्र प्रदर्शनों को देखते हुए इमरजेंसी लगा दी गई है। प्रधानमंक्षी रानिल विक्रमसिंघे ने सेना से शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक्शन लेने की अपील की। हालांकि, उनके के आदेश का पूर्व फील्ड मार्शल और सांसद सरथ फोंसेका ने विरोध किया है।
  • कोलंबो में गुरुवार सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन अब इसे हटा लिया गया है।
  • मालदीव में बुधवार शाम से श्रीलंकाई नागरिक वेलना इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास डटे हैं। वे राजपक्षे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
  • श्रीलंका में बुधवार को सर्वदलीय बैठक भी हुई। इसमें सरकार में शामिल दलों के नेताओं को छोड़कर अन्य सभी नेता शरीक हुए। इसमें विक्रमसिंघे से इस्तीफा देने की मांग की गई। नेता प्रतिपक्ष साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि  एक सांसद वाले नेता को पहले प्रधानमंत्री बनाया जाता है और फिर उसे ही कार्यवाहक राष्ट्रपति। ये डेमोक्रेसी का राजपक्षे स्टाइल है। क्या तमाशा है? क्या त्रासदी है?
  • प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि हम अपने संविधान को नहीं फाड़ सकते। हम फासीवादियों को सत्ता संभालने की अनुमति नहीं दे सकते। हमें लोकतंत्र के लिए इस फासीवादी खतरे को खत्म करना चाहिए।

चलिए अब आपको बताते हैं श्रीलंका की राजनीति में अब आगे क्या होगा- मौजूदा समय में भले ही राजपक्षे परिवार का सदस्य सत्ता में न हों, इसके बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पोडुजाना पेरमुना (SLPP) का संसद में बहुमत है। इसके चलते नया राष्ट्रपति चुनने में उसकी अहम भूमिका होगी। 225 सदस्यीय सदन में SLPP के 116 सदस्य हैं। विपक्ष के 108 सदस्य हैं।

एसएलपीपी के कई सदस्य पूर्व मीडिया मंत्री दुल्लास अलहप्परुमा के पक्ष में हैं। राष्ट्रपति पद की दौड़ में रानिल विक्रमसिंघे, जनता विमुक्ति पेरमुना पार्टी के अनुरा कुमारा दिसानायके, दुल्लास अलहप्परुमा और नेता प्रतिपक्ष प्रेमदासा हैं।

राष्ट्रपति वही बनेगा जिसे SLPP का समर्थन मिलेगा। ऐसे में महिंदा की भूमिका अहम हो सकती है। राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद PM 30 दिन के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति बनेंगे। प्रधानमंत्री इस्तीफा देते हैं, तो स्पीकर कार्यवाहक राष्ट्रपति बनेंगे। 30 दिन में राष्ट्रपति चुनाव कराना होगा। महिंदा राजपक्षे को छोड़कर संसद के बाकी सदस्य नामांकन के पात्र होंगे। महिंदा राष्ट्रपति नहीं बन सकते, क्योंकि संविधान उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बनने से रोकता है।

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