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कोलंबोः 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद सबसे बुरे आर्थिक संकट के जूझ रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर मालदीव भाग गए हैं। इसके बाद यहां लोगों को गुस्सा भड़क गया है। प्रदर्शनकारी राजधानी कोलंबो की सड़कों पर जमकर उत्पात मचा रहे हैं। हजारों की तादाद में लोग संसद भवन की तरफ मार्च कर रह रहे हैं। इसके साथ प्रधानमंत्री आवास का भी घेराव किया जा रहा है।

कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प भी हुई, दूसरी तरफ सेना में अपने लोगों के सामने हथियार नीचे कर दिए। इस उग्र विरोध प्रदर्शन में 12 लोग घायल हुए हैं। वहीं, राजपक्षे ने विरोध के 139 दिन बाद अपना इस्तीफा भी दे दिया।

श्रीलंका की वायुसेना के मीडिया डायरेक्टर ने कहा कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, फर्स्ट लेडी और दो बॉडीगार्ड्स को मालदीव जाने के लिए रक्षा मंत्रालय से इमीग्रेशन, कस्टम और बाकी कानूनों से अनुमति लेने के बाद मालदीव जाने के लिए उड़ान मुहैया कराई गई। 13 जुलाई की सुबह उन्हें एयरफोर्स का एक एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराया गया था। राजपक्षे मालदीव की राजधानी माले पहुंच चुके हैं।

आपको बता दें कि गोटबाया 8 जुलाई के बाद से कोलंबो में नहीं दिख रहे थे। वे मंगलवार यानी 12 जुलाई को नौसेना के जहाज से भागने की फिराक में थे, लेकिन पोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने पासपोर्ट पर सील लगाने के लिए VIP सुईट में जाने से इनकार कर दिया था। राजपक्षे ने जोर दिया था कि देशभर में चल रहे विरोध की वजह से दूसरी सार्वजनिक सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, लेकिन अफसर नहीं माने थे।

राजपक्षे ने इस्तीफा देने से पहले शर्त रखी थी कि उन्हें देश से बाहर जाने दिया जाए। इसके कुछ घंटे बाद ही उनके देश छोड़ने की खबरें सामने आई। ऐसे में अब सवाल उठता है कि गोटबाया भागे या भगाए गए। राजपक्षे ने 12 जुलाई को अपने इस्तीफे पर हस्ताक्षर कर सीनियर अधिकारी को सौंप दिया था। यह लेटर 13 जुलाई को संसद स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने को सौंपा जाना था।

पहले गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका छोड़कर अमेरिका भागना चाहते थे, लेकिन अमेरिका ने उन्हें वीजा नहीं दिया। राजपक्षे के पास श्रीलंका और अमेरिका की दोहरी नागरिकता थी, लेकिन 2019 में राष्ट्रपति चुनाव से पहले उन्होंने अपनी अमेरिका की नागरिकता छोड़ दी थी।

दरअसल, श्रीलंका के संविधान में सिंगल सिटीजनशिप का प्रवाधान है। ऐसे में उन्हें राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए सिर्फ श्रीलंका का नागरिक होना जरूरी था।

राष्ट्रपति राजपक्षे के भाई एवं पूर्व वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे को देश छोड़कर भागने की फिराक में थे, लेकिन एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन स्टॉफ के विरोध के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा था। देश में जहां एक तरफ जनता दाने-दाने के लिए तरस रही है, वहीं बासिल ने अमेरिका जाने के लिए 1.13 करोड़ श्रीलंकाई रुपए में बिजनेस क्लास के चार टिकट किए थे। इस बीच खबरें यह भी आ रही है कि बेसिल राजपक्षे भी देश छोड़कर भाग गए हैं।

आपको बता दें कि 10 जुलाई को एक वीडियो सामने आया था, जिसमें राष्ट्रपति भवन में खुफिया रास्ता होने का दावा किया गया था। प्रदर्शन कर रहे लोगों का दावा था कि राष्ट्रपति अपनी जान बचाकर इसी खुफिया रास्ते से बाहर भागे हैं। राष्ट्रपति भवन के फर्स्ट फ्लोर पर ये बंकर बनाया गया था। बंकर से बाहर जाने के पहले यहां लकड़ी की अलमारी फिट की गई है। इसकी बनावट ऐसी है कि किसी को एक बार में इसे जान पाना मुश्किल है।

श्रीलंका की प्रमुख विपक्षी पार्टी समागी जाना बालवेगया (SJB) के प्रमुख सजित प्रेमदासा श्रीलंका के अंतरिम राष्ट्रपति बनाए गए हैं। SJB ने सोमवार को निर्विवादित रूप से प्रेमदास को अंतरिम राष्ट्रपति के पद के लिए नॉमिनेट किया। श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव 20 जुलाई को होना है और 15 जुलाई को संसद का सत्र बुलाया जाएगा।

श्रीलंका में हालात इस कदर बदतर हो गए हैं कि लोगों को एक वक्त का खाना भी अच्छे से नहीं मिल पा रहा है। खाने-पीने वाले प्रोडेक्ट के दाम कई गुना बढ़ चुके हैं। दाल की कीमतें तीन गुना बढ़ चुकी हैं। हालात इतने नाजुक हैं कि यहां भुखमरी और कुपोषण जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। डीजल नहीं होने की वजह से नावें समुद्र में नहीं जा पा रही हैं, जिससे मछलियां भी नहीं पकड़ी जा रहीं। कई लोगों के लिए यह संकट महीनों से बना हुआ है।

श्रीलंका को सरकारी स्तर पर तो भारत से हर तरह की मदद मिल ही रही है। तमिलनाडु के रामेश्वरम के मछुआरे श्रीलंकाई नौसैनिकों को न सिर्फ खाना पहुंचा रहे हैं, बल्कि हौसला भी बढ़ा रहे हैं कि स्थिति जल्द सुधरेगी, हिम्मत रखें। हम आपको खाली पेट नहीं सोने देंगे।

ये वही नौसैनिक हैं, जो भारतीय मछुआरों को प्रताड़ित करते थे और उन पर गोलियां बरसाते थे। मछुआरे एक हफ्ते से नौसैनिकों को खाना, दवा, कपड़े मुफ्त दे रहे हैं। हर मछुआरे के घर चार-पांच लोगों के लिए ज्यादा खाना बन रहा है, ताकि नौसैनिकों का पेट भरा जा सके।

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