दिल्लीः 13 जून का दिन दिल्लीवासियों को कभी नहीं भूलने वाला जख्म दे गया। दरअसल 13 जून 1997 को भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध पर आधारित फिल्म ‘बॉर्डर’ रिलीज हुई थी। आपको बता दें कि 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में राजस्थान के लोंगेवाला में 120 भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी थी। फिल्म भारतीय सैनिकों की इसी वीरगाथा पर बनी थी। सनी देओल, सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ और अक्षय खन्ना जैसे कलाकार फिल्म का हिस्सा थे।
यह फिल्म देशभर में करीब 290 स्क्रीन्स पर रिलीज की गई। इसमें से दक्षिणी दिल्ली का ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा भी था। शाम का शो था इसलिए सिनेमाहॉल खचाखच भरा था। फिल्म लगभग आधी होने को थी, लेकिन करीब पौने पांच बजे सिनेमाहॉल के ग्राउंड फ्लोर पर लगे एक ट्रांसफॉर्मर में आग लग गई।
इससे पहले कोई कुछ समझ पाता, आग ने पूरे हॉल को अपनी चपेट में ले लिया। कोई जलकर मर गया, तो किसी की दम घुटने से मौत हो गई। हादसे में 59 लोग मारे गए और 100 से भी ज्यादा लोगों को चोटें आईं। हॉल की पार्किंग में रखी कारें भी जलकर खाक हो गईं।
हॉल के ट्रांसफॉर्मर में इसी दिन सुबह 7 बजे भी आग लग गई थी। करीब आधा घंटे के बाद आग पर काबू पा लिया गया था। दोपहर तक ट्रांसफॉर्मर को सुधार कर फिर से बिजली सप्लाई शुरू हो गई थी। हालांकि रिपेयर होने के बाद भी ट्रांसफॉर्मर में स्पार्किंग और ऑइल लीकेज हो रहा था। हॉल मैनेजमेंट ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और इसी लापरवाही ने 59 लोगों की जान ले ली।
पुलिस ने अगले महीने उपहार सिनेमा के मालिक सुशील अंसल और उसके बेटे प्रणव अंसल को मुंबई से गिरफ्तार किया। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने कुल 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की। 2003 में कोर्ट ने पीड़ितों को 18 करोड़ मुआवजा देने का आदेश दिया।
अदालत ने 2007 में सुशील तथा गोपाल अंसल सहित 12 आरोपियों को दोषी करार दिया और सभी को दो साल कैद की सजा सुनाई। 2015 में कोर्ट ने जुर्माना लगाकर अंसल बंधुओं को रिहा कर दिया।
1971 में आज ही के दिन न्यूयॉर्क टाइम्स ने ‘पेंटागन पेपर्स’ को पहली बार पब्लिश किया था। आगे चलकर इन पेपर्स ने अमेरिका की राजनीति में भूचाल ला दिया। इन पेपर्स में वियतनाम वॉर में अमेरिका की भूमिका को लेकर कई खुलासे थे।
एक मिलेट्री एनालिस्ट डैनियल एल्सबर्ग ने वियतनाम युद्ध से जुड़ी बेहद खुफिया जानकारी द न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार को दे दी थी। अखबार ने इस पेपर्स से जुड़ी खबरों को पब्लिश करना शुरू किया ही था, लेकिन राष्ट्रपति निक्सन इसके खिलाफ कोर्ट चले गए।
उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कोर्ट से मांग की कि सेना के मामलों से जुड़ी बेहद गोपनीय जानकारी अखबारों में पब्लिश होने पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने पेंटागन पेपर्स छापने पर रोक लगा दी।
इसके बाद डैनियल एल्सबर्ग ने ये जानकारी ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ को दे दी और 18 जून से इस अखबार ने भी पेंटागन पेपर्स से जुड़ी खबरें पब्लिश करना शुरू की। सरकार द वॉशिंगटन पोस्ट के खिलाफ भी कोर्ट में गई, लेकिन 30 जून को सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए अखबारों को राहत देते हुए पेंटागन पेपर्स पब्लिश करने की अनुमति दे दी।
एक तरफ सरकार अखबारों के पीछे पड़ी थी, दूसरी तरफ सरकर ने डैनियल एल्सबर्ग पर देश के खिलाफ साजिश रचने, जासूसी करने और सरकारी कागजों की चोरी करने जैसे कई आरोप लगा दिए। हालांकि डैनियल इन सब आरोपों से बरी हो गए।
उसके बाद अखबारों में सीरीज के रूप में पेंटागन पेपर्स पब्लिश होते रहे। जून 2011 में अमेरिकी सरकार ने पेंटागन पेपर्स को आम लोगों के लिए रिलीज कर दिया।
दुनिया के मशहूर पॉप सिंगर माइकल जैक्सन पर कई बार यौन शोषण के आरोप लगे। साल 1993 में माइकल जैक्सन पर एक 13 साल के बच्चे के साथ यौन शोषण करने के आरोप लगे थे। आरोपों में कहा गया कि कैलिफोर्निया में माइकल जैक्सन के घर पर बच्चे के साथ माइकल जैक्सन ने गलत व्यवहार किया।
करीब 1 साल तक माइकल के खिलाफ केस चलता रहा, लेकिन माइकल इस इल्जाम से बरी हो गए। कहा जाता है कि केस सुलझाने के लिए माइकल ने बच्चे के पिता को 2 करोड़ डॉलर दिए थे।
साल 2002 में जैक्सन पर ब्रिटिश पत्रकार मार्टिन बशीर एक डॉक्यूमेंट्री ‘लिविंग विद माइकल जैक्सन’ बना रहे थे। डॉक्यूमेंट्री में माइकल जैक्सन के साथ गैविन अरविजो नाम का एक बच्चा भी था। अरविजो को कैंसर था जिसके इलाज के लिए माइकल जैक्सन ने अरविजो की आर्थिक मदद की थी, इसी वजह से दोनों एक-दूसरे को जानते थे।
फरवरी 2003 में ये डॉक्यूमेंट्री रिलीज हुई। डॉक्यूमेंट्री में अरविजो और माइकल जैक्सन एक-दूसरे का हाथ थामे दिखे। माइकल जैक्सन ने ये भी कहा कि वे दोनों साथ ही सोते हैं।
डॉक्यूमेंट्री रिलीज होते ही विवाद खड़ा हो गया। बाद में अरविजो के परिवार ने ही माइकल जैक्सन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। माइकल जैक्सन को गिरफ्तार कर लिया गया और 28 फरवरी 2005 को ट्रायल शुरू हुआ और आज ही के दिन माइकल जैक्सन को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 13 जून को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
1290: खिलजी प्रमुख जलालुद्दीन फिरोजशाह दिल्ली की गद्दी पर बैठा और इसके साथ ही गुलाम वंश के शासन का अंत हुआ। लंबे समय से अफगानिस्तान में बसे खिलजी कबीले ने 1320 तक शासन किया।
1325: इब्न बतूता ने सउदी अरब के मक्का के लिए अपनी पहली यात्रा शुरू की।
1731: स्वीडिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना।
1757: बंगाल, बिहार और उड़ीसा के नवाब सिराजुद्दौला से युद्ध करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के रॉबर्ट क्लाइव ने मुर्शिदाबाद की तरफ कूच किया। उस समय उनके पास 1000 यूरोपीय और 2000 भारतीय सैनिकों के अलावा आठ तोपें थीं।
1888: अमेरिकी कांग्रेस ने श्रम विभाग का गठन किया।
1909: केरल के पालाघाट में ई एम एस नंबूदरिपाद का जन्म।
1932: ब्रिटेन ने 72 वर्षों तक स्वेज नहर का नियंत्रण अपने कब्जे में रखने के बाद उसे मिस्र को सौंपा।
1940: देश के महान क्रांतिकारी ऊधम सिंह को लंदन में फांसी दी गई। उन्हें जनरल ओ डायर की हत्या का दोषी ठहराया गया। जनरल डायर जलियांवाला बाग की त्रासदी के समय पंजाब का गवर्नर था और ऊधम ने उस हत्याकांड का बदला लेने के लिए जालिम की जान ली थी।
1943: नेताजी सुभाष चंद्र बोस जर्मनी से तोक्यो पहुंचे।
1993: किम कैंपबेल कनाडा की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।
1993: किम कैंपबेल कनाडा की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।
1997: राजधानी दिल्ली के उपहार सिनेमा में शो के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत।
1998: बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के नेता बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी गई।
2002: अमेरिका ने ऐंटी-बालिस्टिक मिसाइल संधि से खुद को अलग किया।
2005: पॉपस्टार माइकल जैक्सन 13 साल के बच्चे के यौन उत्पीड़न मामले में बरी।
2006: नाइजीरिया और कैमरून ने सीमा विवाद पर समझौता किया।
2012: पाकिस्तान के प्रसिद्ध गजल गायक मेंहदी हसन का निधन।
2016: भारत के प्रसिद्ध लेखक, उपन्यासकार, नाटककार, आलोचक तथा व्यंग्यकार मुद्राराक्षस का निधन।