Old compass on vintage map with rope closeup. Retro stale

दिल्लीः तीन जून को घटित हुईं घटनाओं में जो घटनाएं अति महत्वपूर्ण है, वे दोनों ही घटनाएं भारत से जुड़ी हुईं है। इनमें से एक हैं भारत के बंटवारे से संबंधित है, तो दूसरी आतंकवाद के दंश से जुड़ी हुई है। सबसे पहले बात करते हैं भारत के बंटवार से जुड़ी घटना की है। आज से ठीक 75 साल पहले यानी तीन जून 1947 को भारत के दो टुकड़े करने का ऐलान हुआ था।

3 जून 1947 को वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के दो हिस्से करके भारत और पाकिस्तान बनाने का ऐलान किया था। इस बंटवारे ने लाखों लोगों को अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया। कहा जाता है कि इस दौरान करीब सवा करोड़ लोग विस्थापित हुए। इतिहास में किसी राजनीतिक कारण से होने वाला ये सबसे बड़ा विस्थापन था। बंटवारे के दौरान हुए दंगों में लाखों लोग मारे गए।

15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ, लेकिन इस आजादी के साथ ही भारत का बंटवारा भी हुआ। भारत की आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान एक नये मुल्क के रूप में अस्तित्व के रूप में आया था।
आपको बता दें कि दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद एक तरफ देश में आजादी के लिए आवाजें बुलंद होने लगी थीं, वहीं दूसरी तरफ मजहबी ताकतें भी सिर उठाने लगी थीं। जगह-जगह सांप्रदायिक दंगे होने लगे थे। देश में उथल-पुथल का माहौल था। आखिरकार फरवरी 1947 में ब्रिटिश सरकार ने भारत को आजाद करने का ऐलान किया, जिसकी जिम्मेदारी भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को सौंपी गई।

माउंटबेटन एक योजना लेकर आए जिसके तहत उन्होंने प्रस्ताव दिया कि प्रांतों को स्वतंत्र उत्तराधिकारी राज्य घोषित किया जाए और फिर उन्हें यह चुनने की अनुमति दी जाए कि उन्हें संविधान सभा में शामिल होना है या नहीं। इस योजना को ‘डिकी बर्ड प्लान’ कहा गया। जवाहरलाल नेहरू ने इस प्लान का विरोध किया और कहा कि इससे देश टुकड़ो में बंट जाएगा और अराजकता का माहौल पैदा होगा। ये अप्रैल 1947 की बात है।

इसके बाद माउंटबेटन ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ लंबे विचार-विमर्श के बाद 3 जून 1947 को भारत को दो देशों में विभाजित करने की योजना का खाका पेश किया। उन्होंने कहा कि भारत की राजनीतिक समस्या का समाधान करने के लिए विभाजन ही आखिरी विकल्प है।

योजना के मुताबिक भारत को दो अलग-अलग हिस्सों में बांटकर दो देश बनाए जाएंगे। एक भारत और दूसरा पाकिस्तान। दोनों देशों का अलग संविधान होगा और अलग संविधान सभा का गठन किया जाएगा। भारत की रियासतों को छूट दी गई कि वो अपनी मर्जी से या तो पाकिस्तान का हिस्सा बन जाएं या भारत में रहें। दोनों में नहीं मिलना है तो स्वतंत्र भी रह सकती हैं। 18 जुलाई 1947 के दिन ब्रिटिश पार्लियामेंट ने इस प्लान को पारित कर दिया।

माउंटबेटन प्लान से भारत को आजादी तो मिली, लेकिन इसके साथ ही कश्मीर जैसी जटिल समस्या भी पैदा हो गई जो आज भी दोनों देशों में विवाद की एक बड़ी वजह है।

अब बात आतंकवाद की करते हैं आज ही के दिन 1984 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया था। पंजाब के अमृतसर में स्थित हरिमंदिर साहिब यानी स्वर्ण मंदिर परिसर पर खालिस्तान समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों ने कब्जा कर लिया था। स्वर्ण मंदिर को खालिस्तानियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए शुरू हुआ ये ऑपरेशन 3 दिनों तक चला। इसमें 500 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई। इनमें सेना के जवान और अधिकारी भी शामिल थे।

कहा जाता है कि देश के बंटवारे के बाद सिखों को भारी नुकसान हुआ। आधा पंजाब पाकिस्तान में चला गया और साथ ही सिखों का पवित्र शहर लाहौर भी। इससे आहत सिखों के बीच भी एक अलग राष्ट्र की मांग जोर पकड़ने लगी। 1966 में भाषा के आधार पर पंजाब से हरियाणा को अलग कर दिया गया। साथ ही केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ भी बना। 1980 के दशक में ‘खालिस्तान’ के तौर पर स्वायत्त राज्य की मांग जोर पकड़ने लगी। इसे खालिस्तान आंदोलन का नाम दिया गया और इसी के साथ जरनैल सिंह भिंडरावाला की लोकप्रियता भी बढ़ने लगी।

धीरे-धीरे आंदोलन हिंसक होता गया। स्थिति काबू से बाहर होने पर केंद्र सरकार ने पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। साल 1983 में पंजाब के डीआईजी अटवाल की स्वर्ण मंदिर परिसर में ही हत्या कर दी गई। इसी साल भिंडरावाला ने स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना लिया। वहां उसने हथियार इकट्ठा करना शुरू कर दिए और स्वर्ण मंदिर को खुद के लिए एक किले में बदलने की तैयारी शुरू कर दी।

अब भिंडरावाला सरकार के निशाने पर था। सरकार ने स्वर्ण मंदिर को आतंकियों के कब्‍जे से मुक्‍त कराने के लिए ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार प्‍लान किया, जिसकी जिम्मेदारी कमांडर मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार को सौंपी। 3 जून को सरकार ने सेना के कमांडोज को स्वर्ण मंदिर में भेजा। खालिस्तानियों की तैयारी सरकार की उम्मीद से कहीं ज्यादा थी, इसलिए ऑपरेशन में टैंक का इस्तेमाल करना पड़ा। भारी गोलीबारी के बाद आखिरकार भिंडरावाला मारा गया और 7 जून को स्वर्ण मंदिर पर भारतीय सेना का नियंत्रण हो गया।

इस ऑपरेशन ने सिख समुदाय में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ गुस्सा पैदा कर दिया, जिसका नतीजा केवल 4 महीने बाद ही सामने आ गया। 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही 2 सिख सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में तीन जून को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर

1867: भारत के प्रसिद्ध शिक्षाविद, राजनेता, समाज सुधारक, न्यायविद और लेखक हरविलास शारदा का जन्म।
1890: खान अब्दुल गफ्फार खान का जन्म हुआ।
1901: ज्ञानपीठ पुरस्कार के प्रथम विजेता महाकवि जी शंकर कुरूप का जन्म।
1915: ब्रिटिश सरकार ने रविंद्रनाथ टैगोर को नाइटहुड की उपाधि से नवाजा।
1918: महात्मा गांधी की अध्यक्षता में इन्दौर में ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ आयोजित हुआ और उसी में पारित एक प्रस्ताव के आधार पर हिन्दी राजभाषा मानी गई।
1924: तमिलनाडु के पांच बार मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि का जन्म।
1930: भारत में ऐतिहासिक रेल हड़ताल कराने वाले और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस का जन्म।
1943: संयुक्त राष्ट्र संघ ने राहत और पुनर्वास प्रशासन की स्थापना की।
1947: ब्रिटिश राज में भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के बंटवारे का ऐलान किया।
1959: सिंगापुर को सेल्फ गवर्निंग स्टेट घोषित किया गया।
1962: एयर फ्रांस की फ्लाइट 007 ओर्ली एयरपोर्ट पर क्रैश हो गई। विमान में सवार 132 यात्रियों में से 130 की मौत हो गई।
1965: एड व्हाइट स्पेस में चलने वाले पहले अमेरिकी एस्ट्रोनॉट बने।
1972: देश के पहले आधुनिक युद्धक पोत नीलगिरी को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जलावतरित किया।
1974: बिहार के मुख्यमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी कृष्ण बल्लभ सहाय का निधन।
1985: भारत सरकार ने पांच दिन का कार्य दिवस सप्ताह शुरू किया।
1999: होवरक्राफ़्ट विमानों के आविष्कारक क्रिसटोफ़र काकरैल का निधन।
1999: कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सीमा में चले गए फ्लाइट कैप्टन नचिकेता राव को पाकिस्तान ने भारत को सौंपा।
2004: केन फ़ोर्ड 2004 में नासा के अंतरिक्ष खोज पैनल के नेतृत्वकर्ता बने।
2005: फ्रांस ने सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन दोहराया।
2009: मीरा कुमार को लोकसभा स्पीकर चुना गया। वे लोकसभा की पहली महिला स्पीकर बनीं।
2014: तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे का सड़क हादसे में निधन।

 

 

 

 

 

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