दिल्लीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अदालती प्रक्रिया जारी है। इस सिलसिले में कोर्ट कमिश्नर की तरफ से गुरुवार को अदालत में सर्वे रिपोर्ट पेश कर दी गई है। इस मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के हिस्से को मुगल बादशाह औरंगजेब ने गिरा दिया था। यह वहीं हिस्सा है, , जहां आज ज्ञानवापी मस्जिद खड़ी है। हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता परिसर में पूजा करने की अनुमति मांग रहे हैं। वे दावा करते हैं कि मस्जिद परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं।
वहीं इंडिया टुडे ने अफनी रिपोर्ट में बताया है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को ढहाने की बात का जिक्र मासिर-ए-आलमगिरी में है। आपको बता दें कि यह किताब साकी मुस्तैद खान ने औरंगजेब के शासन पर लिखी थी। किताब के मुताबिक, 8 अप्रैल 1669 में बादशाह को बनारस में शिक्षा दे रहे काफिरों के बारे में पता चला।
इस किताब के अंश के अनुसार औरंगजेब को जब पता चला कि टेट्टा, मुल्तान और खासतौर से बनारस में ब्राह्मण काफिर अपने स्थापित किए हुए स्कूलों में अपनी झूठी किताबों के बारे में पढ़ाते है और हिंदू और मुस्लिम दोनों ही प्रशंसक और छात्र इस नीच शिक्षा को हासिल करने के लिए दूर से आते हैं।
इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक इस किताब में लिखा है कि इसके बाद इस्लाम की स्थापना के लिए उत्सुक महामहिम ने सभी प्रांतों के गवर्नर को काफिरों के स्कूल और मंदिरों को गिराने और तत्काल इन काफिरों के धर्म के कामों और शिक्षा को खत्म करने के आदेश दिए। इंडिया टूडे की रिपोर्ट में किताब के हवाले से लिखा गया है कि बादशाह के आदेश पर 2 सितंबर 1669 को बताया गया कि उनके अधिकारियों ने वाराणसी में विश्वनाथ के मंदिर को ढहा दिया।