मुंबईः महंगाई की मार झेल रही देश की जनता को आरबीआई (RBI) यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने जोर का झटका धीरे से दिया है। आरबीआई ने रेपो रेट को 4% से बढ़ाकर 4.40% कर दिया है। इसका सीधा मतलब यह है कि आपका लोन महंगा होने वाला है और आपको ज्यादा EMI चुकानी होगी। आपको बता दें कि 2 और 3 मई को मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की आपात बैठक हुई थी, जिसमें ये फैसला लिया गया है।आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को यह जानकारी दी।
आपको बता दें कि मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। पिछली मीटिंग 6-8 अप्रैल को हुई थी। पिछली बार 22 मई 2020 को रेपो रेट में बदलाव हुआ था। तब से ये 4% के ऐतिहासिक लो लेवल पर बना हुआ था। रेपो रेट वह रेट होता है जिस पर RBI से बैंकों को कर्ज मिलता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस दर पर बैंकों को RBI के पास अपना पैसा रखने पर ब्याज मिलता है।
RBI जब रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ज्यादातर समय ब्याज दरों को कम करते हैं। इसका मतलब है कि ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम होती हैं, साथ ही EMI भी घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉमर्शियल बैंक को केंद्रीय बैंक से उच्च कीमतों पर पैसा मिलता है, जो उन्हें दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है।
अब आपको सीधे शब्दों में समझाते हैं। मान लीजिए कि अशोक ने 6% के रेट ऑफ इंटरेस्ट पर 20 साल के लिए 10 लाख रुपए का हाउस लोन लिया है। उसकी लोन की EMI 7164 रुपए है। 20 साल में उसे इस दर से 7,19,435 रुपए का ब्याज देना होगा। यानी, उसे 10 लाख के बदले कुल 17,19,435 रुपए चुकाने होंगे।
अब एक महीने बाद RBI रेपो रेट में 0.40% का इजाफा कर देता है। अब जब अशोक का दोस्त का एक दोस्त बैंक में लोन लेने के लिए पहुंचता है तो बैंक रेपो रेट बढ़ने की वजह से उसे 6.40% रेट ऑफ इंटरेस्ट ऑफर करती है।
अशोक का दोस्त भी 10 लाख रुपए का ही लोन 20 सालों के लिए लेता है, लेकिन उसकी EMI 7,397 रुपए की बनती है। यानी आशीष की EMI से 233 रुपए ज्यादा। इस वजह से आशीष के दोस्त को 20 सालों में कुल 17,75,274 रुपए चुकाने होंगे। ये आशीष की रकम से 55 हजार ज्यादा है।
इसके साथ ही RBI ने कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में भी 0.50% की बढ़ोतरी का फैसला किया है। इसे बढ़ाकर 4.5% कर दिया गया है। सीआरआर वह राशि होती है जो बैंकों को हर समय भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास रखनी होती है। यदि केंद्रीय बैंक सीआरआर बढ़ाने का फैसला करता है, तो बैंकों के पास डिसबर्सल के लिए उपलब्ध राशि कम हो जाती है। सीआरआर का इस्तेमाल सिस्टम से लिक्विडिटी को कम करने के लिए करता है।
अचानक RBI का इस तरह से ब्याज दरें बढ़ाना बाजार के लिए काफी सरप्राइजिंग रहा। इस फैसले के बाद सेंसेक्स करीब 1300 पॉइंट गिरकर 55,700 के करीब पहुंच गया। मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने कहा कि मार्केट के लिए ये काफी खराब है। RBI को अचानक इस तरह का फैसला नहीं लेना चाहिए था। सीनियर इकोनॉमिस्ट बृंदा जागीरदार ने कहा कि महंगाई के बढ़ने की वजह से RBI को ये फैसला लेना पड़ा है।
आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की इमरजेंसी मीटिंग ऐसे समय में हुई है जब रूस-यूक्रेन जंग के कारण कच्चे तेल से लेकर मेटल प्राइस में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। ऐसे में पूरी दुनिया में महंगाई बड़ी समस्या बनी हुई है। पिछली मीटिंग में RBI ने पहली तिमाही में महंगाई दर 6.3%, दूसरी तिमाही में 5%, तीसरी तिमाही में 5.4% और चौथी तिमाही में 5.1% रहने का अनुमान जताया था।
आपको बता दें कि अप्रैल में जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर मार्च में बढ़कर 6.95% हो गई थी। खाने-पीने के सामान की महंगाई 5.85% से बढ़कर 7.68% हो गई थी। यह लगातार तीसरा महीना था जब महंगाई दर RBI की 6% की ऊपरी लिमिट के पार रही थी। फरवरी 2022 में रिटेल महंगाई दर 6.07% और जनवरी में 6.01% दर्ज की गई थी। मार्च 2021 में रिटेल महंगाई दर 5.52% थी।