दिल्लीः देश के पांच राज्यों में चुनाव समाप्त होने के बाद शुरू हुआ पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। बुधवार को पेट्रोल-डीजल पर 80-80 पैसे बढ़े हैं। पिछले 9 दिन में 8वीं बार इन दोनों ईंधनों के दाम बढ़े हैं। इस दौरान इन दोनों ईंधनों की कीमतों में 5.60 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
आपको बता दें केंद्र सरकार ने 4 नवंबर 2021 को पेट्रोल पर 5 रु./ली. टैक्स घटाकर जो राहत दी थी, उसका असर अब खत्म हो चुका है। क्योंकि, 9 दिन में पेट्रोल 5.60 रु. महंगा हो गया है। अक्टूबर 2021 में 13 राज्यों की 29 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव में बीजेपी को उम्मीद के अनुसार नतीजे नहीं मिले थे। इसके बाद पेट्रोल पर 5 रुपए टैक्स घटा था।
वहीं यूपी समेत देश के 5 राज्यों में मार्च में चुनाव हुए। नवंबर से मार्च तक कच्चे तेल के दाम 72.6 प्रतिशत तक उछले, लेकिन तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए। 10 मार्च को आए चुनावी नतीजे बीजेपी के लिए अच्छे रहे। इसके 12 दिन बाद इन दोनों ईंधनों के दाम बढ़ने शुरू हो गए, जबकि कच्चे तेल के दाम घट रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मंगलवार को कच्चा तेल 6.79 प्रतिशत गिरावट के साथ 104.84 डॉलर/बैरल रहा। यह उच्चतम स्तर से 31 फीसदी कम है।
दुनिया के सबसे बड़ा तेल निर्यातक सऊदी अरब कच्चे तेल की कीमत बढ़ाने की तैयारी में है। सरकारी कंपनी सऊदी अरामको एशियाई ग्राहकों के लिए अपने प्रमुख अरब लाइट क्रूड के दाम 5 डॉलर प्रति बैरल बढ़ाएगा। इससे ओमान-दुबई बेंचमार्क मूल्य से इसका अंतर 9.95 डॉलर/बैरल हो जाएगा, जो 2000 के बाद से सबसे अधिक अंतर होगा। भारत अपनी जरूरत का 20 प्रतिशत कच्चा तेल सऊदी अरब से खरीदता है।
उधर, क्रिसिल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमत में 15 से 20 रुपए का इजाफा करना होगा। इस लिहाज से देखें तो पेट्रोल-डीजल की कीमत में अभी और 18 रुपए की बढ़ोतरी हो सकती है।
आपको बता दें कि जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी।
19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया। अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।
केंद्र सरकार ने अप्रैल से दिसंबर (2021) तक पेट्रोल-डीजल समेत पेट्रोलियम उत्पादों पर 3.31 लाख करोड़ रुपए टैक्स से वसूले हैं। यह खुलासा एक RTI से हुआ है। एक RTI के जवाब में सरकार ने बताया कि पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर 37,653.14 करोड़ रुपए का सीमा शुल्क वसूला गया, जबकि केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 2,93,967.93 करोड़ रुपए सरकारी खजाने में जमा हुए हैं। इधर, एक्साइज ड्यूटी की बात करें, तो केंद्र सरकार अब तक 13 बार ड्यूटी में इजाफा कर चुकी है, जबकि महज 4 बार इसे घटाया गया है।