दिल्लीः कल यानी गुरुवार यानी 17 फरवरी को फाल्गुन मास की पूर्णिमा है। इस दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है। इस साल होलिका दहन 17 मार्च को किया जाएगा, जबकि रंग वाली होली 18 मार्च को खेली जाएगी। वैदिक शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को हिरण्यकश्यप ने अपनी होलिका की गोद में बैठाकर जिंदा जलाने की कोशिश की थी, लेकिन इस दौरान होलिका खुद ही जल कर राख हो गई थी। उस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा थी। तभी से होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में किया जाता है
होलिका दहन के दिन लोग होली पूजा करने के साथ ही एक-दूसरे को गुलाल-अबीर लगाकर होली की बधाई देते हैं। इस साल होली पर कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। जिन्हें जनमानस के लिए शुभ बताया जा रहा है।
होलिका दहन के समय कुछ चीजों को ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इस दिन भूलकर भी ये गलतियां न करें. ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
होलिका दहन 2022 शुभ मुहूर्त-
होलिका दहन 17 मार्च को किया जाएगा। इसके अगले दिन रंगों की होली 18 मार्च को खेली जाएगी। होलिका दहन का मुहूर्त इस बार रात 9 बजकर 03 मिनट से रात 10 बजे 13 मिनट तक रहेगा। इस साल पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दिन में 1 बजकर 29 बजे शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 18 मार्च दिन में 12 बजकर 46 मिनट पर होगा।
होलिका दहन उपाय-
- मान्यता है कि होलिकादहन करने या फिर उसके दर्शन मात्र से भी व्यक्ति को शनि-राहु-केतु के साथ नजर दोष से मुक्ति मिलती है।
माना जाता है कि होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है। - धार्मिक मान्यता के अनुसार, किसी मनोकामना को पूरा करना चाहते हैं तो जलती होली में 3 गोमती चक्र हाथ में लेकर अपनी इच्छा को 21 बार मन में बोलकर तीनों गोमती चक्र को अग्नि में डालकर अग्नि को प्रणाम करके वापस आ जाएं।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति घर में भस्म चांदी की डिब्बी में रखता है तो उसकी कई बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं।
- अपने कार्यों में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर उसमें कुछ दाने काले तिल,एक बताशा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालकर उसे होली की अग्नि से जलाएं।
- अब इस दीपक को घर के पीड़ित व्यक्ति के सिर से उतारकर किसी सुनसान चौराहे पर रखकर बगैर पीछे मुड़े वापस आकर अपने हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश कर लें।
होलिका दहन के दौरान न करें ये गलतियां
- मान्यता है कि होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है. इसलिए किसी भी नवविवाहिता को ये अग्नि नहीं देखनी चाहिए. इसे अशुभ माना गया है। इससे उनके वौवाहिक जीवन में दिक्कतें शुरू हो सकती हैं।
- होलिका दहन वाले दिन किसी भी व्यक्ति को पैसा उधार देने की मनाही होती है. ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती और व्यक्ति की आर्थिक समस्याएं बढ़नी शुरू हो जाती हैं. इतना ही नहीं, इस दिन उधार लेने से भी परहेज करें।
- मान्यता है कि माता-पिता की इकलौती संतान होने पर होलिका दहन की अग्नि को प्रज्जवलित करने से बचें। इसे शुभ नहीं माना जाता.एक भाई और एक बहन होने पर होलिका की अग्नि को प्रज्जवलित किया जा सकता है।
- मान्यता है कि इस दिन होलिका दहन के लिए पीपल, बरगद या आम की लकड़ियों का इस्तेमाल न करें। ये पेड़ दैवीय और पूजनीय पेड़ हैं। साथ ही इस मौसम में इन वृक्षों पर नई कोपलें आती हैं, ऐसे में इन्हें जलाने से नकारात्मकता फैलती है। होलिका दहन के लिए गूलर या अरंड के पेड़ की लकड़ी या उपलों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- कहते हैं कि इस दिन अपनी माता का आशीर्वाद जरूर लें। उन्हें कोई उपहार लाकर दें, ऐसा करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा बनी रहती है। किसी भी महिला का भूलकर भी अपमान न करें
18 मार्च को रंगों की होली
होलिका दहन के अगले दिन अबीर-गुलाल और रंगों से होली खेली जाएगी। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 17 मार्च को दोपहर करीब 01 बजकर 30 मिनट पर हो जाएगी जिसका समापन 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होगा।