दिल्लीः कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की मौत के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने लोकसभा में मंगलवार को शून्यकाल के दौरान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों की मौत का मुद्दा उठाया और सरकार से उनके परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग की।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि सरकार के पास कोई जानकारी नहीं है तो वह हमसे लिस्ट ले ले। मैं सदन में आंदोलन के दौरान मरे किसानों की पूरी सूची रख रहा हूं। उन्होंने कहा, “पंजाब सरकार ने 400 किसानों के परिजनों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया है। इसके अलावा 152 किसानों के परिजनों को सरकारी नौकरी भी दी गई है। मेरे पास पूरी सूची है। इसके अलावा हमने हरियाणा के भी 70 किसानों की सूची तैयार की है। इसके बाजवजूद आपकी सरकार कहती है कि आपके पास मारे गए किसानों की सूची ही नहीं है।“
उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि किसानों को सारे हक मिलने चाहिए और मारे गए लोगों के परिजनों को नौकरी मिलनी चाहिए। राहुल ने शून्यकाल के दौरान सदन में इस विषय को उठाया और लोकसभा के पटल पर करीब 500 किसानों की एक सूची भी रखी और दावा किया कि इन लोगों ने किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाई। उन्होंने कहा, ”पूरा देश जानता है कि किसान आंदोलन में करीब 700 किसान शहीद हुए। प्रधानमंत्री जी ने देश और किसानों से माफी मांगी। प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि उन्होंने गलती की है। 30 नवंबर को कृषि मंत्री से सवाल (लोकसभा में लिखित प्रश्न) पूछा गया था कि कितने किसानों की मौत हुई। उन्होंने जवाब दिया कि उनके पास कोई डेटा नहीं है।“
कांग्रेस नेता ने कहा, “हमने इन किसानों के बारे में पता लगाया। पंजाब की सरकार ने राज्य के करीब 400 किसानों को मुआवजा दिया है। मैं इन किसानों की सूची और प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले हरियाणा के कुछ किसानों की एक सूची सदन के पटल पर रख रहा हूं।“
राहुल गांधी ने कहा, “ये नाम यहां हैं। मैं चाहता हूं कि इन किसानों को हक मिलना चाहिए। उनके परिवारों को मुआवजा मिलना चाहिए।’ गौरतलब है कि सरकार ने गत 30 नवंबर को कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के आसपास कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मृत किसानों की संख्या संबंधी आंकड़ा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पास नहीं है। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जानकारी दी थी। राजीव रंजन सिंह, टी आर प्रतापन, एन के प्रेमचंद्रन, ए एम आरिफ, डीन कुरियाकोस, प्रो. सौगत राय और अब्दुल खालीक ने पूछा था कि तीन कृषि कानून के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी के आसपास आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई। तोमर ने कहा, ‘कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पास इस मामले में कोई आंकड़ा नहीं है।“