डॉ. भागवत ने समझाई हिंदुत्व और हिंदुस्तान की परिभाषा, बोले, एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकते हिंदुत्व और हिंदुस्तान

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ग्वालियरः आरएसएस ((RSS) यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदू के बिना भारत नहीं और भारत के बिना हिंदू नहीं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ. भागवत ने हिंदुत्व और हिंदुस्तान की परिभाषा समझाते हुए ने शनिवार को कहा, ‘‘हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है जिसका उद्गम हिंदुत्व था तथा हिंदू एवं भारत अविभाज्य हैं।’’ उन्होंने कहा कि हिंदू यदि हिंदू बने रहना चाहते हैं, तो भारत को ‘अखंड’ बनना ही होगा।

देश के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि खुद को हिन्दू मानने वालों की पहले ताकत कम हुई और फिर संख्या कम हुई। इसलिए देश का विभाजन हुआ और पाकिस्तान भारत में नहीं रहा।
डॉय भागवत ने कहा कि हिंदुओं के बिना भारत नहीं है और भारत के बिना हिंदू नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान बना क्योंकि हम उस भाव (पहचान) को भूल गये कि हम हिंदू हैं, और इसे मुसलमान भी भूल गए। ब्रिटिश ने पहले हिंदुत्व की पहचान को तोड़ दिया तथा फिर भाषा एवं धर्म के आधार देश को।

संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘इतिहास गवाह है कि जब भी हम हिंदू ‘भाव’ यानी पहचान को भूले, देश के सामने संकट खड़ा हो गया और वह टूट गया, लेकिन अब (हिंदू का) पुनरूत्थान हो रहा है तथा भारत की प्रतिष्ठा वैश्विक रूप से बढ़ रही है। दुनिया भारत को निहार रही है और उसके लिए समाज के सभी वर्गों को मिलकर काम करना चाहिए।’’

डॉ. भागवत ने कहा, ‘‘ यदि भारत को भारत बने रहना है तो उसे हिंदू बने रहना होगा और यदि हिंदू हिंदू बने रहना चाहते है तो भारत को अखंड होना ही होगा। यह हिंदुस्तान है जहां हिंदू रह रहे हैं और अपनी परंपराओं का पालन कर रहे हैं. जिस किसी बात को हिंदू कहा जाता है। उसका विकास इसी भूमि में हुआ।’’

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