नोएडाः आरएसएस (RSS) यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहनराव भागवत ने देश के विभाजन को कभी न मिटने वाली वेदना है और कहा है कि यह तभी मिटेगी, जब विभाजन निरस्त होगा। भारत एक जमीन का टुकड़ा नहीं हमारी मातृभूमि है। संपूर्ण दुनिया को कुछ देने लायक हम तब होंगे जब विभाजन हटेगा।

नोएडा के सेक्टर-12 स्थित भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि देश का विभाजन कोई राजनैतिक प्रश्न नहीं है, बल्कि यह अस्तित्व का प्रश्न है। भारत के विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार ही इसलिए किया गया, ताकि खून की की नदियां ना बहें, लेकिन उसके उलट तब से अब तक कहीं ज्यादा खून बह चुका है।

संघ प्रमुख ने कहा कि हमारी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए लाखों देशभक्तों ने बलिदान दिया। वहीं स्वतंत्रता के बाद विभाजन का दर्द झेला है। हमें खंडित भारत मिला है। अब खंडित भारत को अखंडित बनाना होगा। यह हमारा राष्ट्रीय एवं धार्मिक कर्तव्य है। हम इस कर्तव्य पथ पर चलेंगे,  तो विजय हमारी होगी।

कृष्णानंद सागर द्वारा लिखित तथा जागृति प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ का विमोचन करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि  भारत का विभाजन कभी न मिटने वाली वेदना है और यह तभी मिटेगी, जब विभाजन निरस्त होगा। भारत एक जमीन का टुकड़ा नहीं हमारी मातृभूमि है। संपूर्ण दुनिया को कुछ देने लायक हम तब होंगे जब विभाजन हटेगा।

उन्होंने कहा कि विभाजन कोई राजनैतिक प्रश्न नहीं है, बल्कि यह अस्तित्व का प्रश्न है. भारत के विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार ही इसलिए किया गया, ताकि खून की की नदियां ना बहें, लेकिन उसके उलट तब से अब तक कहीं ज्यादा खून बह चुका है। भारत की प्रवृत्ति विशिष्टता को अपनाने की है। अलगाव की प्रवृत्ति वाले तत्वों के कारण देश का विभाजन हुआ। हम विभाजन के दर्दनाक इतिहास का दोहराव नहीं होने देंगे।

संघ प्रमुख ने कहा कि कैसे देश टूटा, उस इतिहास को पढ़कर आगे बढ़ना होगा। विभाजन के बाद भी दंगे होते हैं। उन्होंने कहा कि अपने प्रभुत्व का सपना देखना गलत है। राजा सबका होता है। सबकी उन्नति उसका धर्म है।

डॉ. भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को संगठित होने की जरूरत है। हमारी संस्कृति विविधता में एकता की है, इसलिए हिंदू यह नहीं कह सकता कि मुसलमान नहीं रहेंगे। अनुशासन का पालन सबको करना होगा। अशफाक उल्ला खान जैसे क्रांतिकारी जन्नत की जगह भारत में दोबारा जन्म की चाह रखते थे। उन्होंने कहा कि अत्याचार को रोकने के लिए बल के साथ सत्य आवश्यक है।  उन्होंने कहा कि विभाजन इस्लामिक और अंग्रेजों के आक्रमण का नतीजा है। विभाजन एक सोचे समझे षडयंत्र का परिणाम है। भारत को तोड़ने का प्रयास सफल नहीं होने देंगे।

वहीं कृष्णानंद सागर ने कहा कि उनकी पुस्तक ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ विभाजन के दौर में हुए षड्यंत्रों पर आधारित है। इस कार्यक्रम में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री श्रीराम आरावकर, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव कुमार रत्नम, भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन, रमन चावला, जागृति प्रकाशन के समन्वयक योगेश शर्मा सहित कई लोग उपस्थित रहे।

 

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