दिल्लीः यूजीसी (UGC) यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग सहायक प्रोफेसर बनने का सपना संजोने वाले उम्मीदवारों को बड़ी राहत दी है। यूजीसी ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए पीएचडी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। यूजीसी ने 12 अक्टूबर को अपनी आधिकारिक वेबसाइट ugc.ac.in पर अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी है।

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के मद्देनजर यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर के लिए पीएचडी की अनिवार्यता को स्थगित करने का फैसला लिया है। यानी जो उम्मीदवार 1 जुलाई 2021 से जुलाई 2023 के बीच सहायक प्रोफेसर पद के लिए आवेदन करेंगे, उनके लिए पीएचडी कंप्लीट अनिवार्य नहीं होगा।

 

उधर, डूटा (DUTA) यानी दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक एसोसिएशन ने यूजीसी के इस फैसले का स्वागत किया है। डूटा अध्यक्ष राजीव राय ने कहा कि यह फैसला विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में एडहॉक प्रोफेसर के लिए बड़ी राहत है।

आपको बता दें कि यूजीसी ने, विनियम, 2018 में खंड 3.10 के संबंध में एक संशोधन किया है, जिसके तहत यह तय किया गया है कि पीएचडी डिग्री विश्वविद्यालय के विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर सीधी भर्ती के लिए 01.07.2023 तक एक अनिवार्य योग्यता होगी। इस संशोधन को यूजीसी संशोधन विनियमन, 2021 के रूप में जाना जाएगा। इस अमेंडमेंट को पार्ट-III में पब्लिश किया गया है, जिसमें चार सेक्शन हिंदी और अंग्रेजी दोनों में वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकेंगे।

इससे पहले केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया था कि,कोविड-19 महामारी के चलते केंद्र इस साल सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए पीएचडी को न्यूनतम योग्यता के तौर पर नहीं रखेगा। उन्होंने कहा, “मंत्रालय ने सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए पीएचडी पर अस्थायी रोक लगा दी है और इस पद के लिए पीएचडी अभी अनिवार्य नहीं होगी, लेकिन इसे रद्द नहीं किया गया है।“

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