स्टॉकहोमः चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए इस साल डेविड जुलियस तथा अर्देम पटापाउटियन को संयुक्त रूप से दुनिया के प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। इन दोनों ने तापमान और स्पर्श के लिए रिसेप्टर्स की खोज की थी। गत पिछले साल यह पुरस्कार हार्वे अल्टर, माइकल हॉगटन और चार्ल्स राइस को संयुक्त रूप से दिया गया था। इन वैज्ञानिकों ने मिलकर हेपटाइटिस सी नामक वायरस की खोज की थी।
नोबेल पुरस्कार समिति ने चिकित्सा के लिए वर्ष 2021 के पुरस्कार की घोषणा करते हुए बताया है कि डेविड और अर्देम ने कैसे यह खोज की जिसके लिए उन्हें सम्मानित किया गया है। हमारी त्वचा पर मौजूद नसों पर तापमान या दबाव का अलग-अलग असर होता है। यह वैज्ञानिकों के सामने हमेशा से एक पहेली बना रहा कि आखिर तापमान, गरमाहट या ठंडक या स्पर्श को कैसे डिटेक्ट किया आए। Nerve impulse में बदलकर nervous system के उस हिस्से तक पहुंचाया जाता है जहां इनका मतलब हमारे शरीर को समझ में आता है? नई खोज में इसी सवाल का जवाब दिया गया है।
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The 2021 #NobelPrize in Physiology or Medicine has been awarded jointly to David Julius and Ardem Patapoutian “for their discoveries of receptors for temperature and touch.” pic.twitter.com/gB2eL37IV7— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 4, 2021
डेविड जुलियस ने अपनी खोज के लिए मिर्च का इस्तेमाल किया जिससे त्वचा पर दर्द के असर को देखा जाए। उन्होंने cDNA जीन मिला जो ऐसे ion channel (TRPV1) बनाता था, जिन्हें पहले कभी खोजा नहीं गया था। ये ion channel ऐसे तापमान पर ऐक्टिवेट हो जाता था जिसे ‘दर्द’ के बराबार माना गया हो। इसके बाद डेविड और आर्डम ने TRPM8 की खोज की जो ठंडक से जुड़ा रिसेप्टर पाया गया।
वहीं अर्देम ने PIEZO1 और PIEZO2, दो मकैनिकल सेंसर्स की खोज की और पाया कि PIEZO2 स्पर्श को पहचानने के लिए अहम होता है। दोनों की खोज ने स्पर्श के एहसास और सर्दी-गर्मी की समझ के पीछे के रहस्य को दुनिया के सामने लाकर रख दिया है। यह हमारे महसूस करने, किसी चीज को पहचानने और उससे इंटरैक्ट करने की क्षमता के लिए बेहद अहम है। उम्मीद की जा रही है कि इस खोज की मदद से महसूस करने की क्षमता से जुड़े सवालों, खासकर बीमारियों का तोड़ निकाल लिया जाएगा।
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आपको बता दें कि डेविड जूलियस (David Julius) एक अमेरिकी वैज्ञानिक हैं। इनका जन्म वर्ष 1955 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हुआ। साल 1984 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले (California University Berkeley) से पीएचडी की डिग्री हासिल की है। इस समय वे यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को (University of California, San Francisco) में प्रोफेसर हैं।
वहीं अर्देम पटापाउटियन भी अमेरिका में प्रोफेसर हैं। वे मूल रूप से लेबनान के निवासी है। साल 1967 में लेबनान के बेरूत में उनका जन्म हुआ था। युद्ध के कारण वहां के हालात ठीक नहीं थे तो बाद में वे बेरूत से अमेरिका के लॉस एंजिलिस शिफ्ट हो गए। वर्ष 1996 में उन्होंने कैलिफोर्निया इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पेसाडेना से पीएचडी की डिग्री हासिल की. इसके बाद वर्ष 2000 से वे स्क्रिप्स रिसर्च, ला जोला, कैलिफोर्निया में कार्यरत हैं।