प्रयागराजः अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी प्रयागराज में सोमवार को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। महंत गिरि की मौत के मामले में पुलिस ने उनके शिष्य आनंद गिरि को गिरफ्तार किया है। आपको बता दें कि आनंद गिरि शक के दायरे में इसलिए हैं, क्योंकि महंत नरेंद्र गिरि से उनका विवाद काफी पुराना था।
महंत नरेंद्र गिरि तथा आनंद गिरि के बीच विवाद की वजह बाघंबरी गद्दी की 300 साल पुरानी वसीयत है, जिसे नरेंद्र गिरि संभाल रहे थे। कुछ साल पहले आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि पर गद्दी की 8 बीघा जमीन 40 करोड़ में बेचने का आरोप लगाया था, जिसके बाद विवाद गहरा गया था। इसके अलावा आनंद ने नरेंद्र पर अखाड़े के सचिव की हत्या करवाने का आरोप भी लगाया था।
ऑस्ट्रेलिया में 2018 में महिलाओं से छेड़छाड़ के आरोप में फंस चुके आनंद गिरि ने ये आरोप भी लगाए थे कि उन्हें छुड़ाने के नाम पर महंत नरेंद्र गिरि ने कई बड़े लोगों से 4 करोड़ रुपए वसूले थे। इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर अपनी जान को खतरा बताया था। हालांकि, कुछ महीने पहले गुरु-शिष्य में समझौता भी हो गया था। तब हरिद्वार से प्रयागराज पहुंचे आनंद गिरि ने अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरि के पैरों में गिरकर माफी मांग ली थी।
इस दौरान उन्होंने कहा था कि मैं पंच परमेश्वर से भी अपने कृत्यों के लिए माफी मांग रहा हूं। मेरे द्वारा सोशल मीडिया, समाचार पत्रों, टीवी चैनलों पर जो भी बयान जारी किए गए उसे मैं वापस लेता हूं। इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि ने भी आनंद गिरि पर लगाए गए आरोपों को वापस लेते उन्हें माफ कर दिया था।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के हस्तक्षेप के बाद इस विवाद पर राम लग गया था। इसके बाद गुरु पूर्णिमा के दिन आनंद गिरि अखाड़े में अपने गुरु की पूजा कर सके थे। अखाड़े और मठ में आनंद गिरि के प्रवेश पर लगाई गई रोक हटा दी थी। हालांकि, आनंद गिरि का अखाड़े से निष्कासन वापस हुआ या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है।
आपको बता दें कि पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने 14 मई 2021 को आनंद गिरि को अखाड़े और बाघंबरी गद्दी से बाहर कर दिया था। आनंद गिरि पर अपने परिवार से संबंध रखने का आरोप लगा था। नरेंद्र गिरि ने कहा था कि बड़े हनुमान मंदिर पर आने वाले दान-चढ़ावे में से आनंद गिरि धन अपने परिवार पर खर्च कर रहे हैं। इसके बाद अखाड़े के पंच परमेश्वरों की सहमति के बाद आनंद गिरि पर यह कार्रवाई की गई थी।
हालांकि अखाड़े से बाहर होने के बाद आनंद गिरि ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था और अपने गुरु नरेंद्र गिरि पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इनमें सबसे गंभीर आरोप मठ की करोड़ों रुपए की जमीनों को बेचने और उन रुपयों का दुरुपयोग करने का था।
आनंद ने कहा था कि उनके गुरु नरेंद्र के कई बड़े और महंगे शौक हैं। इन शौक को पूरा करने के लिए नरेंद्र गिरि मठ के धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। मठ के कई सेवादारों के परिवारों पर भी करोड़ों रुपया खर्च करने का भी आरोप लगाया था। इसके बाद गुरु और चेले के बीच विवाद गहरा गया था।
आनंद गिरि ने अपने गुरु के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी और अपनी जान का खतरा बताया था।
प्रयागराज स्थिति लेटे हनुमान मंदिर और श्री निरंजनी अखाड़े से निकाले जाने के बाद स्वामी आनंद गिरि ने अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरि पर मठ की अरबों रुपए की जमीनों को बेचने का गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गए पत्र में अखाड़े में हो रहे घोटाले की जांच कराए जाने की मांग की थी।
बताया जाता है कि बाघंबरी गद्दी की जमीन पर आनंद गिरि के नाम से पेट्रोल पंप खोलने की योजना थी। महंत नरेंद्र गिरि ने बताया था कि आनंद गिरि के नाम से ही 1200 वर्ग गज जमीन का एग्रीमेंट किया गया था और एनओसी भी मिल गई थी। मुझे जब इस बात का पता चला कि इस जगह पेट्रोल पंप नहीं चल पाएगा, तो मैंने उसे निरस्त करा दिया। इससे आनंद गिरि नाराज हो गए।
आपको बता दें कि निरंजनी अखाड़ा 900 साल पुराना और बाघंबरी गद्दी 300 साल पुरानी है। नरेंद्र गिरि श्री पंचायती तपोनिधि निरंजन अखाड़े के मंहत और सचिव भी थे। उन्होंने एक बार बताया था कि उन्होंने बाघंबरी गद्दी की 8 बीघा जमीन बेची थी और उसका हिसाब कोर्ट को दे दिया है। वहीं आनंद गिरी ने आरोप लगाया था कि 2012 में नरेंद्र गिरी ने गद्दी की 8 बीघा जमीन सपा के तत्कालीन विधायक को 40 करोड़ रुपए में बेच दी थी। यह जमीन प्रयागराज के अल्लापुर इलाके में है।