दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने देश की न्याय व्यवस्था पर चिंता चताई है। रमना शनिवार को यहां जस्टिस एमएम शांतनगौदर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में अब भी गुलामी के दौर की न्याय व्यवस्था कायम है। शायद देश की जनता के लिए यह ठीक नहीं है। उन्होंने कानून प्रणाली का भारतीयकरण करने पर जोर दिया और कहा कि भारत की समस्याओं पर अदालतों की वर्तमान कार्यशैली फिट नहीं बैठती है।

बार एंड बेंच के मुताबिक चीफ जस्टिस ने कहा कि ग्रामीण इलाकों के लोग अंग्रेजी में होने वाली कानूनी कार्यवाही को नहीं समझ पाते हैं। इसलिए उन्हें ज्यादा पैसे बर्बाद करने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी को कोर्ट और जज से डर नहीं लगना चाहिए।

सीजेआई ने कहा कि किसी भी न्याय व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण स्थान मुकदमा दायर करने वाले व्यक्ति का होता है। इसलिए कोर्ट की कार्यवाही पारदर्शी और जवाबदेही भरी होनी चाहिए। जजों और वकीलों का कर्तव्य है कि वे ऐसा माहौल तैयार करें जो आरामदायक हो।

उन्होंने जस्टिस शांतनगौदर को याद करते हुए कहा कि जस्टिस शांतनगौदर आम लोगों की जरूरतों को समझते थे। इस दौरान रमना ने शांतनगौदर के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कहा कि जस्टिस शांतनगौदर का देश की न्यायपालिका में अहम योगदान है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश ने आम आदमी के हित का ध्यान रखने वाला जज खो दिया। वह प्रैक्टिस करते समय गरीबों और वंचितों के मामलों को उठाने में रुचि दिखाते थे। उनका फैसला सामान्य और प्रैक्टिकल होता था। वह सुनवाई के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी लाजवाब था।

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