दिल्लीः अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा के बाद पूरी दुनिया सहमी हुई है। दुनियाभर के लोग तालिबान की धर्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने और मानवाधिकार को कुचलने वाली छवि को लेकर चिंतित है, लेकिन पाकिस्तान तालिबान का खुलकर समर्थन कर रहा है। तालिबान का साथ देने के मामले में वहां के सैन्य अधिकारियों और नेताओं के साथ-साथ अब क्रिकेट स्टार्स में भी होड़ लगी है। इसी कड़ी करने लगे हैं। ताजा समर्थन पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रहे शाहिद अफरीदी की ओर से आया है।

अफरीदी ने तालिबान की सत्ता में वापसी का समर्थन कहते हुए कहा है कि इस बार वे बहुत ही पॉजिटिव माइंडसेट के साथ आए हैं। वे कई क्षेत्रों में महिलाओं को काम करने की इजाजत भी दे रहे हैं। इसमें राजनीति भी शामिल है, लेकिन अफगानिस्तान से जो खबरें सामने आ रही हैं और जो तस्वीरें देखने को मिल रही है, उससे अफरीदी का बयान मेल नहीं खा रहा है। हजारों अफगानी बता रहे हैं कि तालिबान घरों में घुस कर अफगानियों को गोली मार रहे हैं और महिलाओं पर जुल्म की फिर से शुरुआत कर रहे हैं।

अफरीदी ने कहा कि उन्हें लगता है तालिबान को क्रिकेट बहुत पसंद है। वे इस खेल को देश में बढ़ावा देंगे, लेकिन  जिस तरीके से तालिबान ने अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड पर कब्जा किया है और जिस तरह वहां के क्रिकेटर दहशत में हैं उससे तो यही लगता है कि वहां की क्रिकेट काफी मुश्किल में पड़ सकती है। राशिद खान, मोहम्मद नबी जैसे क्रिकेटर्स अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। अब बता नहीं अफरीदी यह बातें किस आधार पर कह रहे हैं।

आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, जब अफरीदी ने इस तरह का बयान दिया है। इससे पहले वह कश्मीर को लेकर भी कई बार विवादित बयान दे चुके हैं। आम तौर पर क्रिकेटर्स से उम्मीद की जाती है कि वे सियासी बयानबाजी नहीं करेंगे लेकिन अफरीदी ने कई बार कश्मीर मुद्दे को बेवजह हवा देने की कोशिश की है। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए कहा था कि उनकी अगुवाई में भारत कश्मीर में धार्मिक आधार पर भेदभाव कर रहा है। बाद में हरभजन सिंह, युवराज सिंह, सुरेश रैना ने अफरीदी को कश्मीर राग अलापने की जगह विफल हो चुके पाकिस्तान को संभालने की नसीहत दी थी।

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