काबुलः अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के हवाई अड्डे के बाहर जोरदार धमाका होने की खबर है। स्काई न्यूज चैनल ने तालिबान के प्रवक्ता के हवाले बताया कि इस घटना में बच्चों सहित कम से कम 13 लोग मारे गए हैं तथा कई लोग घायल हुए हैं। घायलों में तालिबान के सदस्य भी शामिल हैं।

उधर, अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि, गुरुवार को हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जोरदार विस्फोट हुआ है। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक हमला फिदायीन हो सकता है। उधर, अमेरिका के राक्षा मंत्रालय ने भी इस घटना की पुष्टि की है।

इस घटना में कई अफगानी मारे जाने तथा कई घायल भी हैं। हालांकि अभी तक किसी अमेरिकी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। एयरपोर्ट पर लगातार फायरिंग की भी सूचना मिल रही है। आपको बता दें कि तालिबान ने अमेरिका को चेताया था कि 31 अगस्त तक वह किसी भी हाल में वह देश छोड़ दे। अमेरिका ने भी तय समय सीमा में देश से सेना हटाने की बात कही थी,लेकिन आज ही व्हाइट हाउस ने ऐलान किया था कि जरूरत पड़ने पर 31 के बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा सकता है।

इस बीच अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने काबुल एयरपोर्ट पर आतंकवादी हमले की चेतावनी जारी की है और अपने नागरिकों से फिलहाल काबुल एयरपोर्ट पर नहीं जानें और जो लोग एयरपोर्ट के बाहर मौजूद हैं, उन्हें वहां से तुरंत हट जानें अपील की है। काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि जो अमेरिकी नागरिक काबुल एयरपोर्ट के अब्बे गेट, ईस्ट गेट या नॉर्थ गेट पर मौजूद हैं, वे फौरन वहां से हट जाएं और अगले निर्देश का इंतजार करें।

बिगड़ते हालात के बीच अमेरिका और भारत सहित दुनिया के कई देश अपने-अपने नागरियों को अफगानिस्तान के निकाल रहे हैं। इस बीच अमेरिकी सरकार के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि काबुल से एयरलिफ्ट किए गए 100 अफगानियों के संबंध इस्लामिक स्टेट (ISIS) जैसे आतंकी संगठनों से हो सकते हैं और ये लोग इंटेलीजेंस एजेंसी की निगरानी लिस्ट में शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका के ऑटोमेटेड बायोमीट्रिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम से इन लोगों की पहचान हुई है।

अमेरिका, ब्रिटेन और भारत समेत कई देश काबुल से लोगों को निकालने में जुटे हैं। इस बीच फ्रांस ने फैसला लिया है कि वह 31 अगस्त की डेडलाइन से चार दिन पहले ही यानी शुक्रवार से अपनी उड़ानें बंद कर देगा। रूसी न्यूज एजेंसी स्पूतनिक के मुताबिक फ्रांस के प्रधानमंत्री जीन कास्टेक्स ने कहा है कि शुक्रवार रात के बाद काबुल एयरपोर्ट से इवैक्युएशन फ्लाइट ऑपरेट नहीं कर पाएंगे।

दूसरी तरफ अमेरिका ने संकेत दिए हैं कि अमेरिकी सेना का मिशन पूरा करने की 31 अगस्त की डेडलाइन के बाद भी काबुल एयरपोर्ट को खुला रखा जा सकता है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा है काबुल एयरपोर्ट से ऑपरेशन जारी रखने को लेकर कोशिशें जारी हैं और देखना है कि दूसरे देश इसमें भूमिका निभा पाते हैं या नहीं।

अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सरकार ने ऑपरेशन देवी शक्ति चला रखा है। इसके तहत 24 भारतीयों और 11 नेपालियों को काबुल से लेकर एयरफोर्स का विमान गुरुवार को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर लैंड हुआ। इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि 80 अफगानी सिख जो कि भारत आना चाहते थे, उन्हें तालिबान ने रोक दिया और पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को भी भारत नहीं लाने दिया। बताया जा रहा है कि एयरफोर्स के विमान ने अफगानी लोगों का काफी देर तक इंतजार भी किया, लेकिन उन्हें ला नहीं सका।

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान अब अपनी सरकार बनाने की कवायद में जुटा है। इस बीच उनसे अंतरिम रक्षा मंत्री और गृह मंत्री बना दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान ने खतरनाक आतंकी मुल्ला अब्दुल कय्यूम जाकिर को अंतरिम रक्षा मंत्री बनाया है। अमेरिका की अगुआई वाली NATO सेना ने 2001 में जाकिर को गिरफ्तार किया था और 2007 तक ग्वांतनामो की जेल में रखा था। ग्वांतेनामो-बे जेल क्यूबा में स्थित हाई सिक्योरिटी जेल है। यहां खूंखार और हाई प्रोफाइल आतंकियों को रखा जाता है।

तालिबान ने पाकिस्तान से अपनी नजदीकियों की बात कबूल की है। तालिबानी प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तानी चैनल ARY न्यूज से बातचीत में कहा है कि पाकिस्तान उनके संगठन (तालिबान) के लिए दूसरे घर जैसा है। जबीउल्लाह ने ये भी कहा है कि अफगानिस्तान की सीमा पाकिस्तान से लगती है और धार्मिक आधार पर भी दोनों देशों के लोग एक-दूसरे से घुले-मिले हुए हैं। इसलिए हम पाकिस्तान से रिश्ते और मजबूत करना चाहते हैं।

जबीउल्लाह ने भारत के साथ भी अच्छे रिश्ते की बता कही है। उसने कहा कि हमारी बस ये इच्छा है कि भारत अफगानियों के हितों के हिसाब से ही अपनी नीतियां तय करे। तालिबान प्रवक्ता ने कश्मीर को लेकर भारत को सकारात्मक रुख अपनाने की नसीहत दी। उसने कहा कि दोनों देशों के हित एक-दूसरे से जुडे हुए हैं, इसलिए हर विवादित मसलों को उन्हें मिल बैठकर सुलझाना चाहिए।

 

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